जी के चक्रवर्ती
आज से लगभग दो वर्ष पूर्व 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने राज्यसभा के एक ऐतिहासिक फैसले से देश के जम्मू-कश्मीर राज्य के पुनर्गठन अधिनियम 2019 पेश कर जम्मू कश्मीर राज्य से संविधान का अनुच्छेद 370 हटाने और राज्य का विभाजन जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख के दो केंद्र शासित प्रदेशों के रूप में किया गया था।
दरअसल जम्मू कश्मीर के राजा हरि सिंह ने अपने मन में स्वतंत्र रहने की विचारधारा के कारण उन्होंने अपने राज्य को भारत में शामिल नही होने का निर्णय लिया था क्योंकि उस वख्त वे कांग्रेस विरोधी थे, इसलिए उन्होंने सोचा कि यदि वे पाकिस्तान में शामिल होते हैं तो उनके हिंदू राजवंश का सूरज हमेशा-हमेशा के लिये ही अस्त हो जायेगा। वहीं पर सितम्बर वर्ष1947 के आसपास ऐसी सूचना मिलनी प्रारम्भ हो गयी थी कि पाकिस्तान ने बड़ी संख्या में कश्मीर में घुसपैठियों को भेजने की योजना पर काम करना शुरू कर दिया है लेकिन कुछ ही दिनों के बाद 26 अक्टूबर 1947 को राजा हरि सिंह द्वारा जम्मू-कश्मीर को भारत के साथ विलय करने के लिये एक पत्र पर अपने हस्ताक्षर कर भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन को दिया इसके ठीक एक दिन बाद यानि 27 अक्टूबर को इसे स्वीकार कर इस राज्य को भारत में शामिल कर देश का अंग बन लिया गया।
आजादी के बाद जम्मू-कश्मीर का भारत के साथ कैसा रिश्ता होगा इसका पूरा एक प्रस्ताव जम्मू कश्मीर की सरकार द्वारा बनाया गया जिसे पहले कश्मीर की संविधान सभा ने 27 मई, 1949 को कुछ बदलाव के साथ आर्टिकल 306ए (अब आर्टिकल 370 ) को स्वीकार कर लिया जिसके कारण 17 अक्टूबर, 1949 को देश का यह राज्य भारतीय संविधान का हिस्सा बन गया था। अभी जम्मू-कश्मीर में अनुछेद 370 के लागू होने को लेकर दिन गुरुवार 24 जून 2021 को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राज्य के आठ राजनीतिक दलों के 14 नेताओं के साथ इस सम्बंध में बैठक संम्पन्न हुई। इस बैठक में पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोग अनुच्छेद 370 को राज्य से हटाने को लेकर नाराज है और यहाँ के लोगों का कहना है कि इस राज्य में अनुच्छेद 370 को फिर से स्थापित कर दिया जाना चाहिए जबकि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने को चुनौती देने वाली एक याचिका की जल्द सुनवाई की मांग सुप्रीम कोर्ट से की गई है। इससे सम्बंधित सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी दायर है जिसपर अभी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल ही रही है।
जबकि इस तरह की मांग यदि पाकिस्तानी परस्त कहा जाय तो शायद गलत नही होगा। देश को आजाद हुये 70 दशकों से भी अधिक के समय व्यतीत होने के बाद भी कहीं न कहीं यहां के कुछ लोग और उनके रहनुमा अभी भी पाकिस्तान और उसके द्वारा समर्थित आतंकवादियों के हिमायती हैं आखिरकार इस प्रदेश में अशांति बने रहने का फायदा यहां के नेताओं और पाकिस्तान समर्थित उग्रवादियों को ही होता रहा है आखिरकार इस राज्य में आज तक व्याप्त ऐसी हालातों के लिये जिम्मेदार कौन है?