अभिनव बजाज, को-फाउंडर, स्टडी मेट्रो
“सीखने की कोई उम्र नहीं होती है”, यह विचार हाल के समय में बहुत लोकप्रिय हो गया है। स्टूडेंट्स और प्रोफेशनल्स की बढ़ती संख्या के साथ ही साथ अपस्किल या रीस्किल की तलाश भी बढ़ रही है। प्रोफेशन के संदर्भ में ‘अपस्किलिंग’ को नई स्किल्स प्राप्त करने की एक प्रक्रिया के रूप में समझा जा सकता है, जिससे व्यक्तियों को इंडस्ट्री के उभरते ट्रेंड्स को विकसित करने में मदद मिलती है। ये स्किल्स किसी व्यक्ति विशेष के पहले से मौजूद स्किल सेट को और भी अधिक सुदृढ़ बनाने का काम करते हैं। विदेश अध्ययन के मामले में अपस्किलिंग क्यों जरुरी है, इसे लेकर श्री अभिनव बजाज, को-फाउंडर, स्टडी मेट्रो ने अपने विचार रखे हैं।
अपस्किलिंग शिक्षा क्षेत्र को कैसे प्रभावित करता है
उच्च शिक्षा संस्थान, स्टूडेंट्स को उनके व्यावसायिक विकास और करियर में उन्नति के लिए संबंधित स्किल्स के सृजन में मदद करते हैं। इतना ही नहीं, वे उन्हें डिग्री पूर्ण होने पर अध्ययन के बाद के करियर के अवसरों से भी अवगत कराते हैं। सार्थक अपस्किलिंग पहलों के माध्यम से ये संस्थान स्टूडेंट्स को भविष्य की चुनौतियों से लड़ने के लिए तैयार करते हैं।
कम्पनियाँ भी क्वालिफिकेशन-बेस्ड रिक्रूटमेंट के बजाए अब स्किल-बेस्ड रिक्रूटमेंट को अपनाने लगी हैं, जिसका सीधा प्रभाव एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस पर पड़ता है। ऐसे में, स्टूडेंट्स में सुदृढ़ स्किल्स का सृजन करने की उनकी जिम्मेदारी और भी अधिक बढ़ जाती है। इसी कारण से, दुनिया भर की टॉप यूनिवर्सिटीज़ से अपेक्षा की जाती है कि वे प्लेसमेंट से पहले अपने स्टूडेंट्स की स्किल्स को सुदृढ़ करने के लिए अपने पाठ्यक्रम में अपस्किलिंग स्ट्रेटेजीस को शामिल करें।
वर्ल्ड एजुकेशन फोरम के अध्ययनों से स्पष्ट होता है कि शिक्षा क्षेत्र को अपने स्टूडेंट्स के बीच अपस्किलिंग को बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक स्ट्रेटेजी को लागू करना बहुत जरुरी हो गया है। रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक, स्किल डेवलपमेंट में निवेश विश्व की जीडीपी को 6.5 ट्रिलियन डॉलर तक बढ़ा सकता है, जिससे वैश्विक स्तर पर 5.3 मिलियन मूल्य का शुद्ध रोजगार के सृजन की सम्भावनाएँ हैं। ये आँकड़ें स्पष्ट करते हैं कि वैश्विक आर्थिक बदलाव में शिक्षा क्षेत्र का कितना बड़ा योगदान है।
शिक्षा क्षेत्र इस नई जरूरत का सारथि बनकर उभरा है
भले ही कोविड महामारी ने शिक्षा सहित कई क्षेत्रों में खूब उथल-पुथल मचाई, लेकिन शिक्षा क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव जो सामने आया, वह ऑनलाइन शिक्षा और ई-लर्निंग को बढ़ावा मिलना रहा। जब दुनिया भर की यूनिवर्सिटीज़ अपने स्टूडेंट्स को सार्थक शिक्षा देने के लिए संघर्ष कर रहे थे, उस समय ई-लर्निंग मॉडल ने दोनों पक्षों के बीच की दूरी को खत्म कर दिया।
डेटा ऑटोमेशन, साइबर सिक्योरिटी, कोडिंग, यूएक्स/यूआई डिज़ाइन, सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन, लीडरशिप स्किल्स, ऑर्गेनाइज़ेशनल बिहैवियर आदि जैसे क्षेत्रों में ई-लर्निंग प्रोग्राम्स को लेकर स्टूडेंट्स के बीच खूब लोकप्रियता बढ़ी है। इसका परिणाम यह हुआ कि इनमें से कई प्रोग्राम्स वर्तमान में कॉलेजेस और यूनिवर्सिटीज़ द्वारा क्रेडिट पाठ्यक्रमों के रूप में अपनाए जाने लगे हैं। इसके अलावा, यूनिवर्सिटीज़ में इंटर्नशिप, मेंटॉरशिप और / या अप्रेंटिसशिप प्रोग्राम्स के माध्यम से भी अपस्किलिंग का समर्थन किया जा रहा है। इसका प्रत्यक्ष लाभ स्टूडेंट्स को मिला है, जिससे न सिर्फ उनका स्किल सेट बढ़ता है, बल्कि करियर की राह को भी गति मिलती है।