जी के चक्रवर्ती
आखिरकार पिछले एक महीने से रूस और यूक्रेन के मध्य चल रही तनातनी का दौर चल ही रहा था कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आननफानन में अपने एक लाख सैनिकों को यूक्रेन सीमा पर युद्धाभ्यास के नाम पर उतार कर उसे तीनो तरफ से घेर लेने के बावजूद रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया। रूस ने मिसाइलों से हमला कर दिया जिसमे भारी तबाही के साथ जानमाल का भी बड़ा नुकसान हुआ है। इस बीच रूस का दावा है कि उसने यूक्रेन की हवाई रक्षा प्रणाली नष्ट कर 74 सैन्य और 11 हवाई ठिकाने तबाह कर दिया कर चेनोंबिल परमाणु संयंत्र पर भी कब्ज़ा कर लिया है। उधर यूक्रेन ने कहा की उसने रूस के 3 हेलीकॉप्टर, 15 टैंक और रूसी सैनिको को मार गिराया हैं।
इस बीच अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने रूस के इस कदम पर कड़े अपनी ओर से कड़े आर्थिक प्रतिबन्ध लगाने के आदेश दिए हैं। इस बीच भारत की तरफ से प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ईमानदारी के साथ बातचीत का हल निकले रूस और नाटो के बीच उत्पन्न मतभेद को दूर करें।
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यदि रूस की कूटनीतिक चाल को देखे तो यह बात निकल कर आती है कि रूस यूक्रेन से जंग लड़े बिना ही डोनेट्स्क और लुहान्स्की जैसे दो देश रूस के पास आ गये है। इन दोनो देशों के रूस के कब्जे में पहुंचने से जाहिर सी बात है कि यू्क्रेन का दायरा पहले से और अधिक सिमट गया है। जैसा कि मार्च 2014 में रूस ने यूक्रेन से क्रीमिया छीनकर व्लादिमीर पुतिन ने अपने हस्ताक्षर द्वारा इसे एक अलग राष्ट्र की घोषणा करने के बाद से रूस और यूक्रेन के मध्य तनाव अपने चरम पर पहुंच चुका था।
वैसे रूस के मार्च 2014 में यूक्रेन से क्रीमिया को छीन लेने के बाद से रूस और यूक्रेन के मध्य शुरू हुआ तनाव आज युद्ध मे परीवर्तित हो गया है तो वहीं युद्ध टालने के प्रयास में विश्व के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका की भूमिका अष्पष्ट रहा, अमेरिका द्वारा रूस के यूक्रेन पर हमला करने की दशा में उसे अंजाम भुगतने की धमकियां देता रहा वहीं जमीनी स्तर पर उंसने अभी तक कुछ भी नही किया और आगे वह क्या करता है यह देखने वाली बात होगी।
वैसे रूसी राष्ट्रपति की रणनीति का ही कमाल है कि जहां अमेरिका-ब्रिटेन जैसे देश, उसे युद्ध की आग में कूदने के लिए लगातार उकसाने के बावजूद रूस यूक्रेन पर गोले-बारूद नही बरसाया।
यह रूस की अद्भुत रणनीतिक कौशल ही है कि यू्क्रेन से युद्ध किए बिना ही रूस ने अपनी फौज का लाव-लश्कर यूक्रेन से सटे अपनी सीमाओं पर खड़े करता चला गया जिसे देखकर न केवल यूक्रेन अपितु पूरी दुनिया ही स्तब्ध रह गई ।
वहीं यह बात रूस की अद्भूत कूटनीति का ही कमाल कहा जायेगा कि उसने, यूक्रेन के साथ युद्ध शुरू हुये बिना ही दुनिया भर के देशों को रूस और यूक्रेन के मघ्य युद्ध शुरू होने का शोर, युद्ध शुरू हुए बिना ही फैला दिया।
अब रूस के यूक्रेन पर हमला करते ही पूरी दुनिया इसे तीसरे विश्व युद्ध की शुरुआत के तौर पर देख रही है। दरअसल रूस यूक्रेन द्वारा नाटों की सदस्यता लेने को लेकर चिंतित होने के कारण वह यूक्रेन के नाटों में शामिल नही होने देना चाहता है तो वहीं यूक्रेन नाटों में शामिल होना का प्रबल इछुक है।
आज के समस्त परिस्थिति को देखते हुए ऐसा लग रहा था कि यदि “रूस कोई निर्णायक स्थिति तक पहुंचे बिना ही खाली हाथ लौटने पर पुतिन की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनके छवि को धक्का अवश्य लगता। वहीं यदि यूक्रेन रूस के सामने हथियार डाल देता है तो उसका नेटो देशों के संगठन में शामिल होने का सपना चकनाचूर हो जाता तो दूसरी तरफ अमेरिका ब्रिटेन सहित जिन नाटो देशों ने उसके भूमि में बिना मांगे ही गोला-बारूद हथियारों का जखीरा अपने जंगी बेड़ा सहित लाव लश्कर उसके भूमि में पहुंचा कर उससे यह उम्मीद कर रहे थे कि यूक्रेन अंधा होकर बिना आगे पीछे कुछ सोचे-समझे ही यह सब गोला बारूद रूस के सीने में उतार देगा लेकिन अब रूस से बिना आर-पार की लड़ाई न किये जाने जैसी बात पर यूक्रेन की छवि नाटो देशों जैसे अमेरिका और ब्रिटेन की नजरों में हमेशा हमेशा के लिए नीचा हो जाएगा।