पश्चिमी यूपी में भाजपा रहेगी बढ़त में
किसानों के लिए तीन नए कृषि कानून वास्तव में सही थे लेकिन यह विपक्ष की चाल थी और भाजपा की नाकामी जिससे बड़े किसान उद्वेलित हो गये और उन्हें भाजपा समझा न सकी। विपक्ष के पास अब एक ही मुद्दा बन गया था कि भाजपा किसान विरोधी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आंदोलित किसान नेताओं से बिना बात किये बिल को वापस कर एक तीर से दो निशाने साध दिये। एक तो उन्होंने किसान नेताओं को आगे बोलने का मौका छीन लिया। अब वे यह नहीं कह सकते कि सरकार ने हमसे बातचीत के बाद इसे वापस किया। वहीं दूसरी ओर विपक्ष मुद्दा विहिन हो गया। अब उसके पास कोई ठोस मुद्दा नहीं रह गया। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो इसका फायदा यूपी के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा को मिलेगा।
इस संबंध में राजनीतिक विश्लेषक राजीव रंजन सिंह का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चुनावी साल में ऐसा कर दिखाया, जो किसी को उम्मीद नहीं थी। इससे नि:संदेह भाजपा को फायदा होगा। पश्चिम यूपी में कुछ भाजपा की सीटें कम होने की उम्मीद थी लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के इस बिल को वापस करने से विपक्ष का मुद्दा ही छिन गया। उसे समझ नहीं आ रहा है कि अब किस मुद्दे पर बात किया जाय, जो ठोस हो।
वहीं वरिष्ठ पत्रकार अनिल सिंह राणा का कहना है कि इसका असर हर चुनावी प्रदेश में पड़ेगा। इससे भाजपा का वोट बैंक पर असर पड़ेगा। पश्चिमी यूपी में भाजपा का वोट बैंक पिछली बार से भी ज्यादा बढ़ेगा। इससे सपा व विपक्ष से तो मुद्दा ही छिन गया। अब तो सिर्फ खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। विपक्ष बिना मुद्दा के मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा कि किसी को ऐसी उम्मीद ही नहीं थी कि प्रकाश पर्व पर प्रधानमंत्री ऐसी घोषणा भी कर सकते हैं।