वंडर केव : फोर्ट्स एंड केव्स फेस्टिवल: अमृत महोत्सव के तहत कल से नागार्जुनी व बराबर की पहाड़ी पर गूंजेंगे गीत
पटना, 10 जुलाई : देश की समृद्ध विरासत से नई पीढ़ियों को अवगत कराने के लिए भारत सरकार के सांस्कृतिक मंत्रालय के अंतर्गत पूर्वक्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र (इंजेडसीसी), कोलकाता और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण पटना सर्कल बिहार के संयुक्त तत्वावधान में आगामी 10 और 11 जुलाई 2023 को वंडर केव : फोर्ट्स एंड केव्स फेस्टिवल का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन जहानाबाद जिले के बराबर पहाड़ी गुफाओं में सुबह 9:00 बजे से शाम के 7:00 बजे तक होने हैं। इसकी जानकारी आज पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान आशीष गिरी (Director Ezcc) और प्रसाद रत्नेश्वर (मेंबर बोर्ड ऑफ गवर्नमेंट EZCC) ने संयुक्त रूप से संवाददाता सम्मेलन की।
उन्होंने बताया कि वंडर केव : फोर्ट्स एंड केव्स फेस्टिवल का मुख्य उद्देश्य देश के कई राज्यों में विभिन्न कालों में निर्मित पहाड़ एवं गुफाओं की विरासत से नई पीढ़ियों को अवगत कराना है। जैसे जहानाबाद के बराबर पहाड़ की गुफाएं और नागार्जुनी पहाड़ी का संबंध महाभारत काल से रहा है। लेकिन धीरे-धीरे हमारा ध्यान उन विरासतओं और धरोहरों से विमुख हो गया था। आज वह सारे के सारे उपेक्षित हैं और जंगली क्षेत्र में हैं। जहां जाने तक का कोई रास्ता नहीं है। इस कार्यक्रम के माध्यम से उन पहाड़ियों को पुनः जीवित करने के लिए वहां सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के माध्यम से उन पहाड़ियों और गुफाओं में रंगमंच के कलाकार नाटक करेंगे। सेमिनार का आयोजन किया जाएगा। इस आयोजन के जरिए नई पीढ़ी को समाप्ति की ओर जाने वाली अपनी धरोहर और विरासत की ओर लौटने को प्रेरित किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि हम सांस्कृतिक रूप से समृद्ध भारत के लोग हैं। हम अपनी संस्कृति को नहीं जानने की वजह से किसी और की संस्कृति को अपना रहे हैं। इसलिए कल हम इस कार्यक्रम का आयोजन जहानाबाद में करेंगे और अगले चरण में इस कार्यक्रम का आयोजन भागलपुर में किया जाएगा। इस आयोजन में स्थानीय माननीय सांसद, जिला प्रशासन, आइटीबीपी का बटालियन और बिहार सरकार का पूरा सहयोग है। उन्होंने बताया कि इस आयोजनए ओडिशा और बंगाल आदि के कलाकार शामिल होंगे। उद्घाटन समारोह के साथ ही हेरिटेज वॉक से इसकी शुरुआत होगी। योगशाला, आर्ट कैम्प, फोटोग्राफी प्रतियोगिता व प्रदर्शनी, ऑन स्पॉट क्विज, लघु फिल्म का प्रदर्शन दिन में होगा। शाम को दोनों ही दिन सांस्कृति संध्या में कलाकारों की प्रस्तुतियां होंगी। 10 जुलाई को ओडिशा के सम्बलपुर तथा पश्चिम बंगाल के लोकनृत्य होंगे। बिहार के कलाकार भोजपुरी लोकगीत, झिझिया नृत्य तथा आल्हा गायन करेंगे। वहीं 11 जुलाई को दोनों पहाड़ियों के ऊपर लघु नाटक, बंगाल का लोकनृत्य, बिहार के कलाकारों द्वारा जट-जटिन नृत्य पेश किया जाएगा।