डॉ दिलीप अग्निहोत्री
उत्तर प्रदेश पर्यटन की द्रष्टि से बहुत समृद्ध रहा है. इसमें आध्यात्मिक, ऐतिहासिक,प्राकृतिक आदि सभी प्रकार के पर्यटन शामिल हैं. लेकिन पिछली सरकारों ने इस क्षेत्र पर उचित ध्यान नहीं दिया. धार्मिक पर्यटन तो उपेक्षित ही था. क्योंकि इसे साम्प्रदायिक विषय माना जाता था. पहली बार योगी आदित्यनाथ ने सभी प्रकार के पर्यटन को प्रदेश की अर्थव्यवस्था से जोड़ दिया. प्रदेश के समग्र विकास में पर्यटन को महत्व दिया गया.विगत छह वर्षों के दौरान पर्यटन व तीर्थाटन की दिशा में अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाए गए है। अनेक स्थलों का पर्यटन की दृष्टि से सुंदरीकरण किया गया है। काशी मथुरा अयोध्या के प्रति विश्व स्तर पर करोड़ों लोगों की आस्था है। पहले यहां के विकास की बात कोसाम्प्रदायिक माना जाता था। योगी आदित्यनाथ ने इस मान्यता को बदल दिया। आस्था अपनी जगह है, लेकिन इस नगर को विश्व स्तरीय तीर्थाटन व पर्यटन का केंद्र बनाना विकास का ही एजेंडा है। योगी आदित्यनाथ ऐसे सभी नगरों को विश्वस्तरीय बनाने का प्रयास कर रहे है। उनकी यह कार्य योजना केवल आस्था के कारण नहीं है,बल्कि वह इसे पूरे प्रदेश के विकास से जोड़ कर चल रहे है।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि लोगों को पर्यटन स्थल के प्रति आध्यात्मिक एवं सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ना चाहिए। प्रदेश सरकार कनेक्टिविटी तथा ग्रीन इन्वेस्टमेन्ट के साथ पर्यटन को आगे बढ़ा रही है। श्री काशी विश्वनाथ धाम में अकेले सावन के महीने में लगभग दो करोड़ श्रद्धालु दर्शन के लिए आये। पहले इतनी बड़ी संख्या में लोग नहीं आते थे, लेकिन जब धाम बना तो वहां पर्यटन की सुविधाएं बढ़ीं। इस बार विश्व पर्यटन दिवस की थीम टूरिज्म एण्ड ग्रीन इन्वेस्टमेन्ट है। पर्यटन की सम्भावनाओं के साथ ग्रीन इन्वेस्टमेन्ट को महत्व दिया जा रहा है. पर्यटन स्थलों पर इलेक्ट्रिक बस, सोलर लाइट, ई-रिक्शा आदि को प्रोत्साहित किया जा रहा है. उत्तर प्रदेश सहित भारत में दो प्रकार के टूरिज्म देखने को मिलते हैं। पहला, परम्परागत रूप से धार्मिक पर्यटन और दूसरा, मनोरंजन की दृष्टि से पर्यटन। यह दो पक्ष भारत तथा उत्तर प्रदेश के परिप्रेक्ष्य में बहुत महत्वपूर्ण हैं। आज पर्यटन की अनेक विधाएं जन्म ले चुकी हैं। इस दृष्टि से धार्मिक पर्यटन में उत्तर प्रदेश जितना धनी है, दुनिया में अन्यत्र मिलना कठिन है।
अयोध्या, मथुरा, वृंदावन में लोग बड़ी संख्या में जा रहे हैं, क्योंकि सुविधाएं बढ़ी हैं और इन स्थानों पर आसानी से पहुंच सकते हैं। पर्यटन के विकास के लिये कनेक्टिविटी अच्छी की जा रही है। एयरपोर्ट, फोरलेन, टूलेन की कनेक्टिविटी दी जा रही है। आज उत्तर प्रदेश में नौ एयरपोर्ट क्रियाशील हैं। बारह एयरपोर्ट की योजना है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी पाठ्यक्रम के रूप में पर्यटन को जोड़ा गया है। विद्यार्थियों को केवल पुस्तकीय ज्ञान ही नहीं, बल्कि व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करने की आवश्यकता है। विरासत के प्रति सम्मान और गौरव की अनुभति सभी लोगों को करनी चाहिए।
पांच सौ वर्षों बाद अयोध्या का जीर्णोद्धार प्रारंभ हुआ है। भव्य श्रीराम मंदिर का निर्माण कार्य प्रगति पर है। अयोध्या का विकास यहीं तक सीमित नहीं है। इसको विश्वस्तरीय पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। हजारों करोड़ रुपये की विकास योजनाओं का क्रियान्वयन चल रहा है। इसमें मूलभूत सुविधाओं का विकास, ढांचागत निर्माण कार्य, शिक्षा स्वास्थ्य, सड़क कनेक्टिविटी आदि सभी क्षेत्र शामिल है।
अयोध्या मास्टर प्लान में सभी विकास परियोजनाओं को शामिल किया गया है। इसमें पुरातत्व महत्व के मंदिरों और परिसरों का जीर्णोद्धार व सौंदर्यीकरण शामिल है। बीस हजार करोड़ रुपए के इन प्रोजेक्ट में क्रूज पर्यटन परियोजना, राम की पैड़ी परियोजना, रामायण आध्यात्मिक वन, सरयू नदी आइकॉनिक ब्रिज, प्रतिष्ठित संरचना का विकास पर्यटन सर्किट का विकास, ब्रांडिंग अयोध्या, चौरासी कोसी परिक्रमा के भीतर दो सौ आठ विरासत परिसरों का जीर्णोद्धार, सरयू उत्तर किनारे का विकास आदि शामिल हैं।
अयोध्या के विकास की परिकल्पना एक आध्यात्मिक केंद्र, वैश्विक पर्यटन हब और एक स्थायी स्मार्ट सिटी के रूप में की जा रही है। कनेक्टिविटी में सुधार के प्रयास जारी है। इनमें एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन के विस्तार, बस स्टेशन, सड़कों और राजमार्गों व ढांचा परियोजनाओं का निर्माण शामिल है। ग्रीनफील्ड टाउनशिप भी प्रस्तावित है। इसमें तीर्थ यात्रियों के ठहरने की सुविधा, आश्रमों के लिए जगह, मठ, होटल, विभिन्न राज्यों के भवन आदि शामिल हैं।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अयोध्या आने वाले समय में वैश्विक मानचित्र में एक नया स्थान बनाने जा रहा है। अयोध्या विश्वस्तरीय पर्यटन केन्द्र के साथ साथ शिक्षा एवं स्वास्थ्य सुविधाओं का भी एक बड़ा केन्द्र बनाया जाएगा। अयोध्या के आस-पास संचालित लगभग दो हजार करोड़ रुपए की परियोजनाओं कार्य चल रहा है।
श्रीराम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने कहा है कि भव्य राम मंदिर का पट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाने के बाद इसके आसपास के क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों में एकाएक तेजी आएगी।
आने वाले समय में दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की तर्ज पर तीर्थ स्थल अयोध्या का भी विस्तार करना पड़ सकता है. अयोध्या और आसपास के क्षेत्रों का आर्थिक स्तर ऊंचा उठेगा। यहां धन आएगा। लोगों को अनेक अवसर मिलेंगे और इन अवसरों के साथ-साथ आगे निवेश भी बढ़ेगा। सोलह होटल बनाने के आवेदन आ चुके हैं। वहां पर एक स्मार्ट सिटी की योजना भी बनाई जा रही है।’ अयोध्या की वर्तमान आबादी करीब सवा तीन लाख है और अनुमान है कि जनवरी से यहां पांच लाख अतिरिक्त जनसंख्या का बोझ पड़ सकता है। उन्होंने कहा, ‘यह आबादी एक चुनौती है और अवसर भी। उन्होंने सुझाव दिया कि राज्य सरकार को अयोध्या के आस-पास के जिलों के कुछ हिस्सों को इसमें नियोजित तरीके से शामिल करने की प्रक्रिया पर ध्यान देना होगा। मिश्रा ने कहा कि नियोजित तरीके से विस्तार के लिए राज्य सरकार को यथोचित कदम उठाने पड़ेंगे, जिनमें अयोध्या के आस-पास के जिलों को अधिसूचित करना और अनियोजित निर्माण कार्यों पर रोक लगाना शामिल है। भगवान राम जहां-जहां गए, उससे जुड़े स्थलों की स्मृतियों को संजोकर रखने का काम न्यास एक संग्रहालय में करेगा। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार के एक संग्रहालय को इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए विकसित किया जा रहा है।
श्रीराम मंदिर निर्माण कार्य के दौरान हुए अयोध्या में सरयू तट पर स्थित अंतरराष्ट्रीय रामकथा संग्रहालय में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से ना सिर्फ खुदाई के दौरान मिली मूर्तियों व अवशेषों को दर्शाया जाएगा बल्कि इस आंदोलन की कानूनी, राजनीतिक और धार्मिक यात्रा का विवरण प्रस्तुत करने वाला एक विशेष प्रकोष्ठ भी बनाया जाएगा।
कुछ चीजें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण एएसआई की खुदाई के दौरान मिलीं और कुछ मंदिर निर्माण कार्य के लिए की गई खुदाई के दौरान मिलीं। कुछ तो न्यायालय के आदेशों से सुरक्षित रखा गया है और कुछ ट्रस्ट के पास सुरक्षित रखा गया है। एएसआई से अनुमति लेकर इन सभी मूर्तियों व अवशेषों को संग्रहालय में प्रदर्शित किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि संग्रहालय में अलग-अलग प्रकोष्ठ होंगे। एक प्रकोष्ठ ऐसा होगा, जिसमें कौन-कौन सी चीजें खुदाई और निर्माण कार्य के दौरान मिलीं, उन्हें रखा जाएगा। एक दूसरा प्रकोष्ठ होगा, जिसमें लंबी कानूनी,राजनीतिक और धार्मिक यात्रा का विवरण प्रस्तुत किया जाएगासंग्रहालय के एक प्रकोष्ठ में राम वन गमन व विभिन्न भाषाओं की राम कथाओं का विवरण होगा और एक अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रकोष्ठ में राम के अंतरराष्ट्रीय महत्व से जुड़ी गाथाओं को दर्शाया जाएगा।
उन्होंने पहले इरादा था कि मंदिर परिसर में ही एक संग्रहालय बनाया जाए लेकिन इससे बाद में समस्या हो सकती थी। ट्रस्ट ने देखा कि एक बहुत अच्छा संग्रहालय राज्य सरकार के पास उपलब्ध है और वह उसे मिल जाए तो दोनों की अपेक्षाओं की पूर्ति हो सकेगी। राज्य सरकार ने संग्रहालय दे दिया है। इसमें कार्य शुरू किया जा रहा है। पहले मंदिर ट्रस्ट की योजना में मंदिर परिसर में ही श्रीराम से जुड़ी और मंदिर परिसर की नींव की खुदाई में निकले दुर्लभ पुरावशेषों के संग्रह के लिए संग्रहालय का निर्माण प्रस्तावित था।