आज जिन बच्चों के हाथों में किताबें होनी चाहिए उनके हाथों में तास के पत्ते, जुआ और मुह में टाफी की जगह गुटखा तम्बाखू भरा हुआ देखकर मन बहुत विचलित हुआ। बस्ती में घूमकर देखा तो पच्चास बच्चे इस दलदल में फसें हुए हैं
गरीबी और बुरी लतों से निकाल कर कौन बनाएगा नेक इंसान इन्हें ?
लखनऊ 14 नवंबर। यह फोटो और खबर हमें मानवाधिकार मंच से जुड़े अमित ने भेजी है जिसमे उन्होंने बहुत ही संवेदनशील मुद्दा उठाया है उनका कहना है कि ये तस्वीर लखनऊ के बंथरा बाजार के पास स्थित अनुसूचित जनजाति ‘थारू’ बस्ती की है। आज जिन बच्चों के हाथों में किताबें होनी चाहिए उनके हाथों में तास के पत्ते, जुआ और मुह में टाफी की जगह गुटखा तम्बाखू भरा हुआ देखकर मन बहुत विचलित हुआ। बस्ती में घूमकर देखा तो पच्चास बच्चे इस दलदल में फसें हुए है। बच्चों को स्कूल की तरफ ले जाने के लिए प्रयास शुरू किया और इस सम्बन्ध में बच्चों को ‘शिक्षा का अधिकार’ दिलाने के लिए सरकार को पत्र लिखा लेकिन अफसोस की सरकार की तरफ से कोई उपाय नही किया गया।
बच्चों का भविष्य अंधकार मे डूबता देख मै बहुत दुखी हुआ और हमनें कुछ दिनो की कड़ी मेहनत और कोशिशो से 10 बच्चों को उस अपराध के दलदल से निकालने में कामयाब रहें। बस्ती के उन बच्चों को शिक्षा की ओर ले जाने की हमारी कोशिशो को कामयाब करने में साथी विनीता ने मदद करते हुए उन बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने शाम को पढ़ाना शुरू किया। आज बच्चे पढ़ाई के जरिए अपने सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहें है और हम लोग उस बस्ती के बाकी बचे बच्चों को ‘शिक्षा की धारा में लाने के लिए सघर्ष कर रहें है। बाल दिवस के मौके पर शगुन न्यूज़ इंडिया डॉट कॉम उनके इस जज़्बे को सलाम करता है यदि आप भी उनकी इस कड़ी मेहनत के संघर्ष में भागीदार बनना चाहते है या इसमें सहयोग करना कहते है तो कृपा जरूर उनके ईमेल एड्रेस amitvns.hra@gmail.com पर लिख कर योगदान दे या हमें editshagun@gmail.com पर संपर्क करें।