केरल में छाई बाढ़ की भारी विनाश लीला के बीच शांतिकाल में भी भारतीय सेनाओं के जवानों के अद्भुत शौर्य गाथाएं सामने आ रही हैं । देश के रक्षा मंत्रालय के नेतृत्व में नौसेना, वायु सेना, थल सेना, कोस्ट गार्ड और एनडीआरएफ के बहादुर जवान जान पर खेल कर ऐतिहासिक रूप से दक्षिण भारत के अब तक के सबसे बड़े बचाव अभियान में जिंदगियां बचाने में जुटे हुए हैं ।
बता दे कि टीवी पर सभी ने देखा किस तरह से वायु सेना का हेलिकॉप्टर लहरों के बीच संकट में फंसी एक गर्भवती महिला को रस्सियों के सहारे ऊपर खींच कर बचाता है । आज उसी महिला ने नौसेना अस्पताल में एक स्वस्थ सुंदर बच्चे को जन्म दिया है।
आज की ताजा शौर्य गाथा है वायु सेना के हेलिकॉप्टर पायलट कैप्टन पी राजकुमार की जिन्होंने एक ऐसे दुर्गम इलाके में जहां किसी भी इंसान का पहुंचना लगभग असंभव था, अपने जान की परवाह न करते हुए घने पेड़ों के बीच टापू बन चुके मकान की छत पर ही सी किंग 42 बी हेलिकॉप्टर को उतार दिया और 32 लोगों की जान बचा कर उन्हें नई जिंदगी थी ।
ऐसे बहादुर जवानों का हौसला बुलंद हो भी क्यों न जब हमारा प्रधानमंत्री ही एक रात पूर्व से जगा,अटल जी के शोक से संतप्त,भूखा प्यासा, उमस भरी गर्मी में 8 किलोमीटर लंबी उनकी अंतिम यात्रा में पैदल चल कर लगभग 5-6 घण्टे के पूरे अन्त्येष्टि कार्यक्रम में सम्मिलित हो कर खराब मौसम के खतरों की भी परवाह न करते हुए देर रात ही केरल पहुंच प्रभावितों की मदत को पहुंच जाए।
500 करोड़ की फौरी राहत के अलावा प्रधानमंत्री राहत कोष से प्रत्येक मृतक के परिजनों के खाते में सीधे दो लाख और अन्य गंभीर पीड़ितों के खाते में सीधे 50 हज़ार रुपये भेजे जा रहे हैं।
- मनोज