फीडबैक में 43% उपभोक्ता असंतुष्ट, मुआवजा कानून बेअसर, जमीनी सुधार की मांग
लखनऊ : उत्तर प्रदेश में विद्युत वितरण कंपनियों में वर्टिकल व्यवस्था लागू की जा रही है, जिसका दावा है कि इससे बिजली सेवाओं में सुधार होगा। लखनऊ और नोएडा में यह 1 नवंबर से शुरू होगी, जबकि कानपुर, मेरठ, अलीगढ़, बरेली जैसे शहरों में यह पहले ही लागू है। लेकिन उपभोक्ताओं की शिकायतों का समाधान करने वाली हेल्पलाइन 1912 की खराब स्थिति इस दावे पर सवाल उठाती है।
ऊर्जा विभाग ने 1912 को उपभोक्ताओं की हर समस्या का एकमात्र समाधान बताया, लेकिन इसकी विफलता जगजाहिर है। ऊर्जा मंत्री की फटकार के बाद पावर कॉरपोरेशन ने 25 अगस्त से 10 दिनों तक फीडबैक अभियान चलाया। इस दौरान 20,000 उपभोक्ताओं से फीडबैक लेने का लक्ष्य था, जिसमें से 13,090 का जवाब मिला। आंकड़ों के अनुसार, 57% उपभोक्ता संतुष्ट थे, लेकिन 19% ने असंतुष्टि जताई और 18% की शिकायतें गलत तरीके से बंद की गईं। यानी, कुल 43% उपभोक्ता 1912 की सेवाओं से नाखुश हैं। विशेष रूप से, विद्युत नियामक आयोग के आदेश के बावजूद 1912 पर ओटीपी व्यवस्था लागू नहीं हुई, जिसके चलते 2019 के मुआवजा कानून का लाभ किसी भी उपभोक्ता को नहीं मिला।
वर्टिकल व्यवस्था लागू:
- लखनऊ (लेसा) और नोएडा में 1 नवंबर से, अन्य शहरों में पहले से लागू।
- 1912 हेल्पलाइन की नाकामी: ओटीपी व्यवस्था नहीं, 2019 से मुआवजा कानून के तहत कोई लाभ नहीं।
- फीडबैक के आंकड़े: 20,000 उपभोक्ताओं से फीडबैक का लक्ष्य, 13,090 से प्राप्त।
- 57% संतुष्ट, 19% असंतुष्ट, 18% शिकायतें गलत तरीके से बंद।
- कुल 43% उपभोक्ता असंतुष्ट।
- उपभोक्ता परिषद की टिप्पणी: वर्टिकल व्यवस्था से लाभ पर सवाल, जमीनी सुधार की जरूरत।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि जब 1912 जैसी बुनियादी सेवा ही असफल है, तो वर्टिकल व्यवस्था से उपभोक्ताओं को लाभ की उम्मीद बेमानी है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सुधार के लिए ढांचागत बदलाव नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर ठोस कदम जरूरी हैं।







