डॉ दिलीप अग्निहोत्री
प्रधानमंत्री की मथुरा यात्रा का प्रतीकात्मक महत्व है। कृष्ण जन्म भूमि से जब वह प्रकृति, पर्यावरण और गौवंश के संरक्षण का आह्वान करते है, तब भगवान कृष्ण की जीवन लीला भी सामने आ जाती है। गायों के साथ श्रीकृष्ण, बांस की बांसुरी बजाते श्री कृष्ण, वन और जमुना तट पर श्रीकृष्ण, गोवर्धन पर्वत को उठाये हुए श्रीकृष्ण, हलधर भाई के साथ श्रीकृष्ण, माखन खाते हुए श्री कृष्ण, इन सभी दिव्य रूपों में गौ, कृषि, पर्यावरण, जल और प्रकृति का ही सन्देश समाहित है।
प्रधानमंत्री ने भी मथुरा में इन प्रतीकों का उल्लेख किया। उनका भाषण कृष्ण जन्मभूमि की भावना के अनुरूप था। उन्होंने ॐ शब्द और गाय की महिमा का बखान किया। उनके अनुसार कुछ लोगों के लिए यह दोनों साम्प्रदायिक शब्द है। जबकि दोनों के महत्व को विज्ञान ने भी स्वीकार किया है। भारत जैसे कृषि प्रधान देश मे गौ वंश का संरक्षण अपरिहार्य है। कृषि और गाय परस्पर पूरक है। दोनों ही पोषकता प्रदान करते है। ओम और गाय मानव का कल्याण करते है। जबकि आतंकवाद मानवता की शत्रु है। यह एक वैश्विक समस्या है जो विचारधारा बन गई है। प्लास्टिक भी मानवता की शत्रु है।
मोदी ने गांधी जयंती से पहले घरों को प्लास्टिक मुक्त करने की अपील की। आतंक की जड़ें हमारे पड़ोस में पनप रही हैं। हम इसका मजबूती से सामना कर रहे हैं।आगे भी करते रहेंगे। आतंकवादियों को पनाह और प्रशिक्षण देने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए भारत पूर्ण रूप से सक्षम है और हमने करके दिखाया भी है। उन्होंने कहा की हमें यह कोशिश करनी है कि इस वर्ष दो अक्तूबर तक अपने घरों, अपने दफ्तरों, अपने कार्यक्षेत्रों को सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त करें। स्वच्छता ही सेवा अभियान की शुरुआत हुई है, नैशनल ऐनीमल डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम को भी लॉन्च किया गया है।
महात्मा गांधी का यह एक सौ पचासवां प्रेरणा का वर्ष है। स्वच्छता ही सेवा के पीछे भी यही भावना है। इस अभियान को इस बार विशेष तौर पर प्लास्टिक के कचरे से मुक्ति के लिए समर्पित किया गया है। मोदी ने भगवान कृष्ण का स्मरण किया। कहा कि ब्रजभूमि ने सदैव विश्व और मानवता को प्रेरित किया है। आज पूरा विश्व पर्यावरण संरक्षण के लिए रोल मॉडल ढूंढ रहा है लेकिन भारत के पास भगवान श्रीकृष्ण जैसा प्रेरणा स्रोत हमेशा से रहा है, जिनकी कल्पना ही पर्यावरण प्रेम के बिना अधूरी है। प्रकृति, पर्यावण और पशुधन के बिना जितने अधूरे खुद हमारे आराध्य नजर आते हैं उतना ही अधूरापन हमें भारत में भी नजर आएगा। पर्यावण और पशुधन हमेशा से ही भारत के आर्थिक चिंतन का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है।
दुर्भाग्य है कि कुछ लोगों के ॐ और गाय शब्द से देश सोलहवीं शताब्दी में चला जाएगा। ऐसा ज्ञान रखनेवाले लोगों ने देश को बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोडी नरेंद्र मोदी ने दुधारू पशुओं को गंभीर बीमारियों से मुक्त कराने के लिए तैयार की गई साढ़े तेरह सौ करोड़ की टीकाकरण योजना का शुभारम्भ किया। कचरा प्रबंधन से जुड़ी महिलाओं के साथ खुद कचरा छांटकर लोगों से प्लास्टिक का प्रयोग बंद करने की सांकेतिक अपील की। सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ मुहिम भी लॉन्च की। स्वछता के महत्व की पूर्वी उत्तर प्रदेश का उदाहरण दे कर समझाया। यहां चार दशकों से जापानी बुखार का प्रकोप था। योगी आदित्यनाथ ने चिकित्सा व स्वास्थ्य अभियान एक साथ चलाया। इससे बीमारी से निजात मिली है।
अनेक देश सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा चुके हैं। इनमें अमेरिका, फ्रांस, कनाडा, इंग्लैण्ड न्यूजीलैण्ड शामिल है। प्लास्टिक बैग नदियों,समुद्र में पहुंचकर प्रदूषणा का बड़ा कारण बनते हैं। करीब आठ मिलियन टन प्लास्टिक हर साल समुद्र में विभिन्न रास्तों से पहुंचता है। नरेंद्र मोदी ने दो हजार बाइस तक देश में ऐसे प्लास्टिक को पूरी तरह से खत्म करने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। सिंगल यूज प्लास्टिक ने प्रदूषण का ग्राफ बढ़ाया है। देश कुछ राज्यों ने पॉलिथीन बैग पर पाबंदी लगाई है। लेकिन इस पर पूरी तरह अमल नही हो सका।
सिंगल यूज के तमाम उत्पाद कुछ ही क्षणों के लिए उपयोग किये जाते हैं। पेट्रोलियम आधारित प्लास्टिक बायोडिग्रेडेबल अर्थात प्राकृतिक तरीके से नष्ट नहीं होते है। बताया जाता है कि यह एक हजार वर्ष तक नष्ट नहीं होती। कुछ हल्की प्लास्टिक को नष्ट होने में चार सौ वर्ष लगते है। इस दौरान छोटे कणों में टूटने की प्रक्रिया में यह जहरीले रसायनों को छोड़ता है। जो अन्न और पानी के माध्यम से हमारे तक किसी न किसी रूप में पहुंच जाते हैं। ये जहरीले रसायन अब हमारे रक्तप्रवाह में शामिल हो जाते है। उन्हें एंडोक्राइन सिस्टम को बाधित करने का बड़ा कारण बताया गया है। जिसके चलते कैंसर जैसी गम्भीर बीमारी भी हो सकती है।
हमारे ऋषियों ने वातावरण के साथ साथ समस्त पृथ्वी , वनस्पति , परब्रहम सत्ता , सम्पूर्ण ब्रहमांड और कण कण में शांति बने रहने कामना की। यह पर्यावरण और मानवता के संरक्षण का ही विचार है। संरक्षण होगा, तभी शांति रहेगी। यजुर्वेद में ऋषि कहते है –
ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्षँ शान्ति:,
पृथ्वी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति:।
वनस्पतय: शान्तिर्विश्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति:,
सर्वँ शान्ति:, शान्तिरेव शान्ति:, सा मा शान्तिरेधि॥
ॐ शान्ति: शांतिः शांतिः।।
समय के साथ प्लास्टिक की समस्या गम्भीर हो गई है। प्लास्टिक पशुओं की मौत का कारण बन रहा है। पशुधन और पर्यावरण हमेशा से भारत के आर्थिक चिंतन का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। आज पूरा विश्व पर्यावरण संरक्षण के लिए एक आदर्श ढूंढ रहा है। लेकिन भारत के पास भगवान श्रीकृष्ण जैसा प्रेरणा स्रोत हमेशा से रहा है, जिनकी कल्पना ही पर्यावरण प्रेम के बिना अधूरी है।
पर्यावरण और पशुधन हमेशा से भारत के आर्थिक चिंतन का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है और ऐसा कार्यक्रम प्रारंभ करने के लिये ब्रज भूमि से बेहतर कोई स्थान नहीं हो सकता है। नदियां, तालाबों में रहने वाले प्राणियों का, उसमें रहने वाली मछलियों का प्लास्टिक को निगलने के बाद जिन्दा बचना मुश्किल हो जाता है। प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम की शुरुआत गोसेवा से की।
मोदी ने सभी संगठनों, सरकारी स्कूलों, कार्यालयों और लोगों से इस अभियान से जुड़ने का आग्रह किया। कहा कि प्लास्टिक का जो कचरा इकट्ठा होगा, उसको उठाने का काम प्रशासन करेगा और उसे रिसाइकिल किया जायेगा । जो कचरा रिसाइकिल नहीं किया जा सकेगा उसे सड़क बनाने में इस्तेमाल किया जायेगा। स्वच्छता ही सेवा अभियान के साथ ही कुछ परिवर्तन हमें अपनी आदतों में भी करना होगा। हमें चाहिए कि हम जब भी बाहर जाएं तो हम अपने साथ एक थैला लेकर जाएं ताकि प्लास्टिक बैग की जरूरत न पड़ें। पर्यावण और पशुधन हमेशा से ही भारत के आर्थिक चिंतन का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है ।ब्रजभूमि ने हमेशा से ही पूरे विश्व और पूरी मानवता को प्रेरित किया है।