लखनऊ, 26 अक्टूबर 2018: मृत्यु शैय्या पर लेटकर भी हाथ जोड़ने वाले इस शख्स की सेहत बहुत खराब है। मदद में मिल रहा फल बहुत छोटा है। लेकिन मदद करने वाले के दिखावे की गंदी नियत बहुत बड़ी है। ऐसे छपास के गंदे समाजसेवी अब बहुतों की संख्या में फल बांटते और फोटो खिचाते समाज में हर कहीं मिल जायेंगे, जरुरत है ऐसे लोगों से सावधान रहने की।
इस तस्वीर के सिवा इस समाजसेवी/नेता के बारे में बहुत कुछ नहीं मालूम । तमाम संस्थाओं और अलग-अलग संगठनों की कार्यप्रणाली के बारे में भी बहुत ज्यादा नहीं पता। मुझे ये जरूर पता है कि मीडिया के पेशे में हमें ये सिखाया जाता है कि जो अपनी तस्वीर या खबर छापने की लालसा रखे उसे जगह नहीं दो। जो तस्वीर और खबर छिपायी जा रही हो, इसे जगह दो क्योंकि छिपी हुई चीजों की ही न्यूज वैल्यू है।
क्योंकि जो अस्ल काम तो वह करते हैं वो छपास से दूर रहते हैं और जो कुछ नहीं करते वो फोटो खिचवाकर उसका प्रचार करते है। पत्रकारिता का ये सबक लखनऊ के तमाम पत्रकार संगठनों की पहचान करवा रहा है।
इस तरह की दिखावेबाजी से शहर के सामान्य पत्रकार ऊब चुके हैं। संगठनों के नाम पर पत्रकारों के रुतबे को भुनाने के सिलसिले के खिलाफ आम मेहनतकश पत्रकार सोशल मीडिया पर कैम्पेन आप भी शुरू कर सकते हैं अपने सोशल अकूत से ताकि बेनकाब हो सकें समाज के दिखावे वाले संगठनबाज!
- नवेद शिकोह