हम थाली खूब बजायेंगे,
हम ताली तेज़ बजायेगे।
जो गाली बकना चाहेगा
हम उसको रोक ना पायेंगे।
दुनिया के तमाम देशों की तरह कोरोना वायरस का क़हर हमारे देश में भी पैर पसार चुका है। इस महामारी से लड़ने के लिए हम सब एक हैं। सरकार की कोशिशों के साथ देश का हर नागरिक खुद को और अपने देश को बचाने के लिए हर जंग लड़ने को तैयार है। जनता कर्फ्यू के दिन हम सब ने घरों में कैद रहने का संकल्प पूरा करने के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर अपने, दरवाजों, खिड़कियों और छतों पर खड़े होकर तालिया़ और थालियां बजायीं। हम सब का ये एक्शन प्रतीकात्मक प्रोत्साहन था। पूरा देश अपने घरों में था पर डाक्टर.. पैरा मेडिकल स्टाफ, पुलिस, पत्रकार और आम इंसान की जिन्दगी से जुड़ी जरुरतों को पूरा करने वाले डिलेवरी मैन…इत्यादि.. इत्यादि.. जैसे लाखों लोग अपनी जान की बाज़ी लगाकर कोरोना के खिलाफ जंग मे कोरोना सेनानी की तरह हमारी सेवा में लगे थे।
इनके प्रोत्साहन और धन्यवाद के लिए हम सब ने खूब थालियां और तालियां बजायीं। इसके बाद कुछ लोगों को थाली और ताली बजाने के बाद गाली बकते भी सुना। संकट की इस घड़ी में आक्रोश रूपी गाली सुनकर अच्छा नहीं लगा। लेकिन गाली देने वालों के कुछ आरोपों में तर्क भी था इसलिए इन्हें रोक नहीं पाये। मसलन- ये वायरस भारत में तो नहीं पैदा हुआ तो फिर इसे भारत आने से रोकने की सरकार ने कोशिश क्यों नहीं की ?
जब चाइना और अन्य देशों में कोरोना की आहट तेज हो गई थी तो उन बड़े लोगो को भारत क्यों आमंत्रित किया गया जिनके आने के एक महीने पहले ही हजारों विदेशी सुरक्षा कर्मियों, विदेशी खुफिया एजेंसियों के जासूसों ने भारत में डेरा डाल दिया था।
ग्लोबल महामारी घोषित होने के बाद भारत में विदेशियों के आवागमन पर सरकार ने रोक नहीं लगाई, क्यों ???
जनता कर्फ्यू, जागरुकता और ताली और थाली बजाने में देश की जनता ने अपनी पूरी जिम्मेदारी निभाई, लेकिन सरकार ने क्या किया !
सरकार अब तक जरुरत के हिसाब से कोरोना वायरल के टेस्ट के इंतेजाम भी नहीं कर सकी।
बेहद कम संख्या मे सरकारी अस्पतालों के वैंटीलेटर्स में पांच प्रतिशत भी इजाफा नही किया गया।
इस महामारी में ताली और थाली की पेशकश के अलावा खुद सरकार ने क्या किया !
एक प्रतिशत नागरिकों में भी मास्क और सेनीटाइजर वितरण करना तो दूर कोरोना वायरस से लड़ने के काम आने वाले मास्क और सेनीटाइजर जब चार गुना दामों में बिकने लगे तो सरकार मुनाफाखोरों पर काबू भी नहीं पा सकी।
जनता कर्फ्यू और लॉक डाउन की खबरों के बाद आम जरुरत की चीजों की जमाखोरी और नाजायज मूल्य वृद्धि को भी सरकार नहीं रोक सकी।
फिर भी हम ताली और थाली बजाते रहेंगे। क्योंकि यही हाल रहा तो हमे अभी वर्षो तक ताली और थाली बजाने के लिए अभ्यास करते रहना है। खाली हाथ और खाली थाली बजने के काम आती रहेगी।
– नवेद शिकोह