शेख सादी के नाम से अधिकांश लोग परिचित हैं। उनकी कहानियां आज भी बड़े चाव से पढ़ी जाती हैं और जीवन में उनसे शिक्षा मिलती शेख सादी के बचपन की एक घटना है। वह अपने पिता के साथ मक्का जा रहे थे। जिस दल में वह शामिल थे, उसका नियम था कि आधी रात को उठकर वे लोग प्रार्थना किया करते थे।
एक दिन रात को शेख सादी और उनके पिता उठे। उन्होंने प्रार्थना की, लेकिन कुछ लोग अब भी सो रहे थे। यह देखकर शेख सादी को बहुत बुरा लगा। उन्होंने अपने पिता से कहा, “देखिये तो, ये लोग कितने काहिल हैं। प्रार्थना के समय किस तरह सोये पड़े हैं।”
पिता ने लड़के की बात सुनकर उसकी ओर घूरकर देखा, फिर कहा, “सादी, तू न जागता तो अच्छा होता। उठकर दूसरों की निन्दा करने से न उठना कहीं अच्छा है!” पिता की बात सुनकर शेख सादी बहुत लज्जित हुए और उस दिन के बाद उन्होंने कभी किसी की बुराई नहीं की।