महिला छात्रावास में चलता हैं प्रशासनिक भवन और सभी विभागों का कार्यालय, यूजीसी की अनुमति के बाद भी नहीं हुई नॉन टीचिंग स्टॉफ की नियुक्तियां
अमेठी। केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की ओर से टीकरमाफी में बीबीएयू का सैटेलाइट कैम्पस खोलकर छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा के अवसर देने के प्रयास को जमीनी विवादों ने गहरी चोट पहुंचाई है। सैटेलाइट कैम्पस की स्थापना के बाद सात साल से अधिक का समय बीत चुका है, अभी तक कैम्पस के पास अपना भवन नहीं है। हास्टल की सुविधा न होने के कारण विभिन्न पाठ्यक्रमों की आधी सीटें खाली जा रही है। मंत्रालय बदलने के बाद केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी भी इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया है। सैटेलाइट कैम्पस के विकास के लिए बजट का संकट दूर नहीं हो पा रहा है।
जिले के टीकरमाफ़ी में स्थित बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय की सैटेलाइट शाखा राजनीति की भेंट चढ़ चुकी हैं। छात्रावास की व्यवस्था न होने से यहां अध्ययन करने की आस लगाए विद्यार्थी पाठ्यक्रम छोड़कर भाग गये। यह कैंपस दयनीय स्थिति में है। वर्ष 2016 में ट्रिपल आईटी के स्थान पर तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने बीबीएयू की सैटेलाइट शाखा स्थापना की थी। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के संसदीय क्षेत्र में बीबीएयू की सैटेलाइट शाखा संचालित हैं। वर्ष 2016 में स्मृति के द्वारा इस कैंपस की स्थापना की गयी थी। पूर्व में चल रहे ट्रिपल आईटी कैंपस के भवनो में सैटेलाइट चल रहा है। इसके लिए कोई नए भवन का निर्माण अभी तक नहीं शुरू हो सका है। 2017 में केंद्रीय मंत्री प्रारंभिक शैक्षणिक सत्र के दौरान फ़ूड साइंस एंड नुट्रिशन की कार्यशाला का उद्घाटन करने गयी थी। उसके बाद कभी भी इस कैंपस की ओर नहीं भ्रमण की। इस कैंपस में कुल आठ पाठ्यक्रम संचालित हैं, जिसमें लगभग 874 सीट हैं।बदहाली के चलते शैक्षणिक सत्र वर्ष 2016 के बाद किसी भी शैक्षणिक सत्र में सीटें आधी भरना मुश्किल हो जाती हैं।इस बार भी लक्ष्य के सापेक्ष कुल 486 सीटों पर प्रवेश हुआ हैं। छात्रावास व अन्य सुविधाएँ न होने से अधिकांश प्रवेश लेने वाले छात्र भी पाठ्यक्रम छोड़कर भाग जा रहे है।
विवि में प्रदेश के अतिरिक्त अन्य प्रदेशों के आए छात्रों को छात्रावास न मिलने अपना प्रवेश निरस्त करा लिए हैं।ऐसे में भी विवि ने अभी नए हॉस्टल बनाने की कोई मुहिम शुरू नहीं की है। सैकड़ो छात्र बाहर कमरा लेकर अव्यवस्था के बीच रह रहे है।जर्ज़र अवस्था में पड़े पुरुष छात्रावास में नाम मात्र के छात्रों को कमरा दिया गया है।विवि परिसर में स्थित महिला छात्रावास भवन में विवि का प्रशासनिक भवन व सभी विभागों के कार्यालय संचालिय हैं। टीकरमाफी छोटी बाजार होने के चलते अभी भी यहाँ कोई हॉस्टल, पीजी, न ही टिफिन सर्विस और मकान किराये पर मिलना मुश्किल है। मजबूरी में छात्रों को आसपास के गाँवों में कमरा लेना पड़ रहा हैं। सैटेलाइट कैंपस में दर्जनों सीटों पर पीएचडी के दाखिले लिए जाएंगे। उम्मीद है कि पीएचडी करने आने वाले छात्र बदहाल व्यवस्था देखकर अपना मन बदल दें। पूर्व छात्र गौरव मिश्रा ने वर्ष-2020 को यहां के छात्रों से हॉस्टल की फीस ज्यादा पड़ने की शिकायत विश्वविद्यालय प्रशासन से की थी।गौरव मिश्रा ने कहा कि लगभग 4 वर्ष पूरे होने वाले हैं, विश्वविद्यालय प्रशासन फीस वापसी तो दूर की बात छात्र है। विवि प्रशासन आरटीआई का उत्तर तक नहीं दे पा रहा है। गौरतलब हो कि 27 सितम्बर 2016 को यूजीसी से अनुमति मिलने के बाद भी आज तक सैटेलाइट परिसर में नॉन टीचिंग स्टाफ के पदों पर नियुक्ति नहीं हो सकी हैं,जिनमे असिस्टेंट रजिस्ट्रार,सेक्शन ऑफिसर ,अपर डिविजनल क्लर्क जैसे महत्वपूर्ण पद शामिल हैं।सभी विभागों की कक्षाएं सुचारु रूप से चलने के लिए पर्याप्त भवनो की व्यवस्था अभी तक विवि प्रशासन नहीं कर सका हैं।
विवि ने प्रवेश के लिए फिर से मांगे आवेदन
अमेठी। एक ओर जहाँ विवि के छात्रों की कक्षाएं पिछले दो महीने से चल रही हैं। वहीं दूसरी ओर प्रवेश प्रक्रिया में हीलाहवाली के चलते सीटें खाली रह गयी और उन्हीं सीटों पर आवेदन माँगे गये हैं। यह आवेदन समर्थ पोर्टल पर किया जा रहा हैं। आवेदन 20 नवंबर से शुरू हैं और अंतिम तिथि 24 नवंबर निर्धारित हैं। आवेदन के लिए सामान्य व अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों को 200 रूपये और एससी-एसटी छात्रों को 100 रूपये भुगतान करने होंगे। सीयूईटी देने वाले जो बीबीएयू का चयन करने वाले सीयूईटी देने वाले जिन्होंने ने बीबीएयू का चयन नहीं किया और सीयूईटी न देने वाले सभी आवेदन कर सकते हैं।
सात साल में नहीं परिवर्तित हुआ बोर्ड पर नाम
रामगंज। वर्ष 2016 में तत्कालीन केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान अमेठी को बंद करने और बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय लखनऊ के सैटेलाइट सेंटर खोलने की घोषणा की थी। जिसके बीबीएयू की सेटेलाइट सेंटर खोला गया। सेंटर को खुले हुए लगभग 7 वर्ष हो चुके हैं लेकिन हाइवे पर लगे बोर्ड में अभी भी ट्रिपल आईटी नाम पड़ा हुआ है।विवि के जिम्मेदार लोगों ने इसको चेंज करवाना उचित नहीं समझा।अम्बेडकर तिराहा अमेठी और दुर्गापुर में लगे पीडब्ल्यूडी के बोर्ड पर ट्रिपल आईटी के नाम को नहीं हटाया गया है।
कैम्पस के विकास के लिए सात साल में केवल एक करोड़ रुपए मिले
भारत सरकार की ओर से सैटेलाइट कैम्पस के विकास के लिए सात साल के भीतर केवल एक करोड़ रुपए मिले हैं। जमीनी विवाद का प्रकरण अदालत में लम्बित होने के कारण सरकार किसी भी कांसट्रक्शन वर्क के लिए पैसा नहीं दे रही है। पुराना छात्रावास कंडम होने के कारण छात्र छात्राओं को रहने की समस्या है। ड्रापआउट का यही कारण है, विश्वविद्यालय प्रशासन समस्याओं के हल की पूरी कोशिश कर रहा है। – प्रो.शशिकांत पांडेय, ओएसडी,बीबीएयू,अमेठी कैम्पस