जी के चक्रवर्ती
अफगानिस्तान को लेकर जिस तरह की शतरंज की चाले आज दुनिया मे चिंता की सबब बनी हुई है उससे तो यही लगता है कि आगे आने वाले कुछ दिनों में विश्व की महाशक्तियां ही कहीं आपस मे भिड़ न जाये ! कुछ इसी दिशा में सभी घटना क्रम अग्रसर होती दिख रही है जिससे विश्व मे फिर से तीसरे विश्वयुद्ध की खतरा मंडराने लगा है।
इस परिपेक्ष में यदि हम कहें तो एक तरफ जहां चीन के पक्के दुश्मन के रूप में जाने जाने वाला देश अमेरिका का चीनी प्रतिनिधि के साथ 90 मिनट तक हुई बातचीत से इन दोनो देश के मध्य तारतम्य बनाने का अमरीकी प्रयास हैं तो वहीं पर भारत एक बार फिर से अपने पुराने मित्र देश रूस के साथ प्रगाढ़ता बढ़ाने में लगा है यह बात इस ओर संकेत करता है कि आगे भविष्य में दोनों देश मिल कर आतंक और आतंकवादियों का सफाये के लिए काम करेंगे।
फिलहाल रूस भारत के साथ सामरिक मित्रता बढ़ाने का भी इच्छुक है क्योंकि अमेरिका की सेना अफगानिस्तान से निकल जाने के बाद से अमेरिका ने भारत से दूरी बनाना शुरू कर दिया है ऐसे में फिर से एक बार रूस को भारत के नजदीक आने का मौका हाथ लगा और दोनों देश आपस मे एक होकर आतंक और आतंकवाद के खिलाफ लड़ने की बात कह रहे हैं ऐसे में यह कहा जाए तो शायद अतिशियोक्ति नही होगी कि फिलहाल यह रूस की मजबूरी है क्योंकि चेचन्या रूस के दक्षिणी हिस्से में स्थित गणराज्य है, जो मुख्यत: मुस्लिम बहुल क्षेत्र होने से यहां स्थानीय अलगाववादियों और रूसी सैनिकों के मध्य बरसों से लड़ाई जारी है जिसने चेचन्या को बर्बाद कर दिया है।
चेचन्या लगभग पिछले 200 वर्षों से रूस के लिए एक मुसीबत बना हुआ है। रूस में एक लंबे समय तक रक्तरंजित अभियान के बाद वर्ष 1858 में चेचन्या में इमाम शमील के विद्रोह को कुचला था लेकिन इसका प्रभाव अधिक दिनों तक नहीं रहा। जिससे आज भी रूस इस त्रासदी को झेलने के लिये मजबूर है। दुसरी तरफ शायद आपको याद होगा कि अफगानिस्तान में पंजशीर पर जब पाकिस्तानी युद्धक विमान द्वारा हवाई आक्रमण तालिबान के सहायता के लिए किया गया था तो उस समय हमले के 24 घंटे के भीतर ही एक अनजान बमवर्षक विमान ने तालिबानी ठिकानों पर बम वर्षा कर उसे नेस्तोनाबूत कर दिया था। इस कार्यवाही को इतने गुप्त रूप से अंजाम दिया गया कि कुछ दिनों तक तो यह प्रश्न उठता रहा कि आखिरका वह बम वर्षक विमान कहाँ से आया और किस देश का था?
दरअसल यहां एक बात समझने वाली बात है कि पंजशीर घाटी की सीमाओं से सटे तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान जैसे देश मौजूद हैं और यह देश एशिया के मध्य भाग में स्थित होने से यह देश चारो ओर से जमीन से घिरा ही नही बल्कि इसके चारो तरफ से उत्तर में कज़ाख़िस्तान, पूरब में ताज़िकिस्तान दक्षिण में तुर्कमेनिस्तान और अफ़गानिस्तान स्थित है और यह सभी प्रान्त वर्ष 1991में हुये रूस के विघटन से पहले सोवियत संघ के हिस्सा हुआ करते थे। ऐसे में भारतीय युद्धक विमानों द्वारा बम वर्षा कर वापस अपने अड्डे पहुंचना कोई आश्चर्य की बात नही है।
ऐसे में यह स्वाभाविक है कि यह देश आपस मे अलग हो जाने के बाद इन देशों का आपसी रिश्ता रूस के अलावा भारत के साथ मित्रवत हैं यही कारण है कि अफगानिस्तान के पंजशीर घाटी से लगी सिमा में उज्बेकिस्तान में भारतीय हवाई अड्डा बना हुआ है। यहां से अफगानिस्तान के पंजशीर घाटी की दूरी मात्र 150 किलोमीटर होने से यहां पहुंचने में बहुत कम समय लगता है।
उधर चीन के तालिबान से मेलजोल बढ़ाने के लिये उठाये गए कदमों से यह स्पष्ट हो जाता है कि चीन अपने हितों को साधने के लिये तालिबानी सरकार का साथ दे रहा है तो दूसरी तरफ अमेरिका अब उसके कट्टर दुश्मन चीन से नजदीकियां बढ़ाने में लगा हुआ है जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि आने वाले दिनों में हम कुछ आश्चर्य जनक घटनाएँ होते देखेंगे।
- नोट : यह लेखक के अपने निजी विचार हैं।









