छोटी-छोटी बातों पर बाज़ार बंद करवाने वाले व्यापारी नेता अपने पेशे की मौत पर ख़ामोश क्यों ?
व्यंग्य: नवेद शिकोह
जिनके मरने पर करोड़ों लोग अनाथ हो रहे हों। करोड़ों लोग ग़मज़दा हों। ऐसे की मौत पर कोई रोये ना। कोई रूदन ना सुनाई दे। कोई मातम ना हो।
बहुत अजीब लगेगा ना !
भारत के व्यापारी बर्बाद हो रहे हैं। गली के छोटे से किराना स्टोर से लेकर किसी बड़े शहर के बड़े मॉल के दुकानदार भी कस्टमर के आकाल को झेल रहे हैं।
भारतीय बाजारों में ताला डालकर व्यापारियों को बर्बाद करने वाले ऑनलाइन शॉपिंग के बढ़ते रिवाज के खिलाफ मैं एक किताब लिख रहा हूं। ये किताब ऑन लाइन शॉपिंग के बड़े प्लेटफार्म अमेज़न (Amazon) पर उपलब्ध होगी।
ऑनलाइन शॉपिंग अत्यंत सरल और बाजार से सस्ती है। वक्त बचता हैं। कनवेंस बचता है। ट्राफिक की तकलीफों से बचते हैं। बारगेनिंग की माथापच्ची नहीं करनी पड़ती। नकली-असली का चक्कर भी नहीं होता। गुणवत्ता की पूरी गारंटी होती है। घर बैठे सामान वापस करने या बदलने की भी सुविधा होती है। इसलिए मैंने अपनी पुस्तक को आपतक आसानी से पंहुचाने/बेचने के लिए ऑन लाइन शॉपिंग के बड़े प्लेटफार्म अमेज़न को चुना है। मौजूदा वक्त के रिवाज के हिसाब से मैंने ये मुनासिब समझा।
भारतीय व्यापारियों के हित में और अमेज़न जैसे दर्जनों विदेशी ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफार्म के खिलाफ लिखी मेरी इस किताब को अमोज़न (Amazon) से मंगवाकर ज़रूर पढ़ियेगा।
धन्यवाद