पटना में महान राजनीतिज्ञ चाणक्य की आदमकद प्रतिमा का निर्माण : समग्र संस्कृत विकास समिति, बिहार
पटना, 2 अक्टूबर 2021 : समग्र संस्कृत विकास समिति, बिहार के वार्षिकोत्सव समारोह के अवसर पर भारतीय राष्ट्रीयता तथा अस्मिता के अग्रदूत एवं महान नीतिज्ञ चाणक्य के विचारों के दार्शनिक अध्ययन पर सेमिनार का आयोजन पटना के राजकीय संस्कृत महाविद्यालय में संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन दरभंगा संस्कृत विवि के उपकुलपति प्रो. सिद्दार्थ शंकर सिंह ने किया।
प्रो. सिद्दार्थ शंकर सिंह ने कहा कि चाणक्य विश्व के सबसे महान दार्शनिक थे, जिनके अर्थशास्त्र की पुस्तक में प्रजातंत्र की भावना का विस्तृत वर्णन है। राजा का आचरण राष्ट्र हित के समर्पित था। डॉ मिथिलेश तिवारी ने कहा कि चाणक्य जैसे महान विभूति की आदमकद प्रतिमा पाटलिपुत्र की धरती पर होना चाहिए। कौटिल्यी अर्थशास्त्र संस्कृत साहित्य का अद्भुत ग्रंथ है। इसका अध्ययन भारत के सभी विवि में होना चाहिए। प्रो. के सी सिन्हा ने अपने विचारों को व्यक्त करते हुए कहा कि चाणक्य का दर्शन कल्याणकारी भावना पर आधारित है। राजा कभी स्वेच्छाचारी नहीं हो सकता।
प्रो. भागवद शरण शुक्ल ने कहा कि चाणक्य का दर्शन सभी को समान मानना था। सरल जीवन ही मानवता का आधार है। राजनीति स्वार्थ आधारित नहीं होना चाहिए। प्रो. हरि शंकर पांडेय ने कहा कि संस्कृत भाषा की वर्तमान स्थिति चिंतनीय है। सभी संस्कृतज्ञों एवं संस्कृत प्रेमियों को एक होकर इस भाषा की रक्षा के लिए आगे आना होगा।
प्रो. नवल किशोर यादव के अनुसार, चाणक्य का दर्शन व्यवहार पर आधारित था। जीविका के तीन साधन अर्थशास्त्र में स्वीकार किया गया है और वह कृषि, पशुपालन और वाणिज्य है। प्रो. कनकभूषण मिश्र ने कहा कि चाणक्य के अर्थ शास्त्र के अध्ययन बिना राजनीति अधूरी है।
प्रो. जितेंद्र कुमार समेत अन्य वक्ताओं ने स्पष्ट किया कि चाणक्य महामंत्री होकर भी कुटिया में रहते थे। राज्य के धन का उपयोग राज्य के कार्य के लिए करते थे। राज्य की आंतरिक और बाह्य नीतियां सुदृढ़ होनी चाहिए। राज्य की रक्षा और प्रजा का हित चाणक्य की मूल नीति थी।