उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला
लखनऊ 16 अगस्त : उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद की आखिरकार रंग लाई। आज बिजली कंपनियों की तरफ से दाखिल आरडीएसएस योजना के खर्च अनुमोदन की याचिका पर उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार व सदस्य संजय कुमार सिंह ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला कहां स्मार्ट प्रीपेड मीटर योजना पर होने वाले किसी भी खर्च की कोई भी भरपाई प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं से किसी भी रूप में नहीं की जाएगी, चाहे वह वार्षिक राजस्व आवश्यकता ए0आर0आर का मामला हो या बिजली दर का मामला हो या ट्रू अप का मामला हो किसी रूप में भी आम जनता पर इस खर्च को पास ऑन नहीं किया जाएगा।
गौरततलब की केंद्र सरकार ने पहले ही कह दिया था कि विद्युत नियामक आयोग इस खर्च को आम जनता पर ना पड़ने दे और इसके संबंध में एक आदेश जारी किया था अब विद्युत नियामक आयोग ने भारत सरकार के फैसले के क्रम में अपना फैसला सुना दिया है। विद्युत नियामक आयोग लगातार इस पूरी योजना को आत्मनिर्भर योजना मानकर चल रहा है बिजली कंपनियां अपनी कलेक्शन एफिशिएंसी और दक्षता के आधार पर इसकी भरपाई स्वयं करें।
उत्तर प्रदेश विद्युत नियमाकर द्वारा सुनाए गए फैसले के तुरंत बाद उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार व सदस्य संजय कुमार सिंह से मुलाकात कर प्रदेश के उपभोक्ताओं के पक्ष में सुनाए गए फैसले पर उनका आभार व्यक्त किया और कहा विद्युत नियामक आयोग उपभोक्ताओं की आवाज को सुनकर संवैधानिक निर्णय दिया है। जो स्वागत योग कदम हैं।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष हुआ राज्य सरकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा अब प्रदेश की बिजली कंपनियों के सामने सबसे बडा संकट यह आने वाला है की स्मार्ट प्रीपेड मीटर योजना की जो कल भारत सरकार द्वारा अनुमोदित राशि है वह 18885 करोड लेकिन सभी बिजली कंपनियों द्वारा जो टेंडर अवार्ड किया गया है वह 27342 करोड का है अब इतनी बडी धनराशि प्रदेश की बिजली कंपनियां कहां से लाएंगी क्या राज्य सरकार कोई सब्सिडी देगी ?और यदि नहीं तो बिजली कंपनियां हजारों करोड रूपया इस मद मर कैसे इकट्ठा करेगी यह भी जांच का विषय है।
भारत सरकार द्वारा अनुमोदित राशि से 45 प्रतिसत अधिक दरों पर जो टेंडर अवार्ड किए गए हैं आने वाले समय में वह उत्तर प्रदेश में सबसे बडा जांच का मुद्दा होगा इसीलिए उपभोक्ता परिषद अनेकों बार पूरे मामले की सीबीआई से जांच करने की मांग उठ चुका है।उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा यह प्रदेश की बिजली कंपनियों के लिए घाटे का सौदा है अभी भी बिजली कंपनियां इस पर पुनर्विचार करें देश के बडे निजी घराने स्मार्ट मीटर को महंगी दर पर घटिया क्वालिटी का लगाकर फायदा कमा कर भाग जाएंगे और उसका खामियाजा लंबे समय तक प्रदेश का विद्युत उपभोक्ता भुगतता रहेगा और सबसे बडी बात यह है की वर्तमान में 4 जी तकनीकी के जो स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जा रहे हैं यह तकनीकी 2 साल में खत्म होगी और वर्तमान परियोजना अगले 8 वर्षों तक चलनी है और तब तक 5 जी तकनीकी आ जाएगी फिर यह सभी मीटर उपभोक्ताओं के लिए जी का जंजाल बनेंगे। उत्तर प्रदेश में एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड ने पूरे प्रदेश में लगभग 12 लाख स्मार्ट मीटर 2 जी 3जी तकनीकी के मीटर लगाकर आज तक उसे 4 जी में कन्वर्ट नहीं किया और पूरी योजना खटाई में चली गई।