महिलाओं और युवाओं के लिए प्रेरणा है प्रतीक्षा की कहानी
मुंबई, 24 अक्टूबर 2025: भारतीय बैंकिंग जगत में एक ऐसी महिला की कहानी जो न केवल मेहनत की मिसाल है, बल्कि यह साबित करती है कि अगर हौसले बुलंद हों, तो कोई शुरुआत छोटी नहीं और कोई मंजिल दूर नहीं। 20 साल की उम्र में विधवा हो चुकीं प्रतीक्षा टोंडवलकर ने अपने छोटे बेटे की परवरिश के लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) में सफाईकर्मी की नौकरी शुरू की थी। मामूली वेतन पर मुंबई की एक शाखा में झाड़ू लगाते हुए, दिन में सफाई और रात में पढ़ाई यह था उनका संघर्ष भरा सफर। लेकिन कभी हार न मानने वाली प्रतीक्षा ने मनोविज्ञान में डिग्री हासिल की, बैंक परीक्षाएँ पास कीं और क्लर्क से लेकर ऑफिसर तक का सफर तय किया। आज, 37 साल बाद, वह उसी बैंक की असिस्टेंट जनरल मैनेजर (AGM) बन चुकी हैं।

प्रतीक्षा का जन्म 1964 में पुणे में हुआ था। मात्र 16-17 साल की उम्र में शादी हो गई, लेकिन 20 साल की आयु में ही पति सदा शिव काडू का एक्सीडेंट में निधन हो गया। बेटे के साथ मुंबई पहुँचीं प्रतीक्षा को नौकरी की तलाश में मुश्किलें आईं, क्योंकि शिक्षा अधूरी थी। पति के SBI में बुकबाइंडर होने के कारण, वहाँ जाकर पेंशन के लिए गईं। कर्मचारियों की मदद से उन्हें सफाईकर्मी की नौकरी मिली, जहाँ मासिक वेतन मात्र 60-65 रुपये था। टॉयलेट साफ करने से लेकर फर्नीचर झाड़ने तक—हर काम बखूबी निभाया। लेकिन प्रतीक्षा का सपना बड़ा था। बैंक स्टाफ और रिश्तेदारों के सहयोग से उन्होंने 10वीं, 12वीं पूरी की और 1995 में मनोविज्ञान में ग्रेजुएशन किया।
उनकी मेहनत रंग लाई। पहले क्लर्क बनीं, फिर 2004 में ट्रेनी ऑफिसर। लगातार प्रमोशन मिलते गए—स्केल 4, फिर चीफ जनरल मैनेजर (CGM) स्तर तक। जून 2022 में उन्हें AGM बनाया गया। 1993 में दूसरी शादी प्रमोद टोंडवलकर से हुई, जिन्होंने उनकी पढ़ाई और करियर को हमेशा प्रोत्साहित किया। प्रतीक्षा कहती हैं, “मैंने कभी सोचा नहीं था कि झाड़ू लगाने वाली से AGM बनूँगी। लेकिन मेहनत और दृढ़ संकल्प ने सब संभव कर दिखाया।” SBI ने भी उनकी उपलब्धि को सम्मानित किया है।
प्रतीक्षा की कहानी महिलाओं और युवाओं के लिए प्रेरणा है, खासकर उन लोगों के लिए जो विपरीत परिस्थितियों में भी आगे बढ़ना चाहते हैं। आज 60 पार कर चुकीं प्रतीक्षा न केवल अपने बेटे को अच्छी शिक्षा दिला पाईं, बल्कि खुद एक सफल करियर बना लिया। यह यात्रा बताती है कि सच्ची लगन से कोई भी सपना अधूरा नहीं रहता।







