2016 में अप्र्रत्याशित रूप से उच्च स्तर पर पहुंचने के बाद ईटीएफ में निवेश की धीमी पड़ी रफ़्तार
इंदौर 9 नवंबर। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के गोल्ड डिमांड ट्रेंड रिपोर्ट (सोने की मांग की प्रवृत्ति रिपोर्ट) के मुताबिक वैश्विक स्तर पर वर्ष 2017 की तीसरी तिमाही में सोने की मांग 2016 की समान तिमाही की तुलना में 9 प्रतिशत घटकर 915 टन रही। सोने की मांग में इसगिरावट के पीछे दो मुख्य कारण रहे। ज्यूलरी क्षेत्र के लिए नरम तिमाही और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ईटीएफ) में काफी कम निवेश होना।
तीसरी तिमाही में आभूषणों की वैश्विक मांग सालाना आधार पर 3 प्रतिशत कम रही, क्योंकि वस्तु एवं सेवा कर लागू होने और लेनदेन में धन शोधन नियमों को सख्त बनाने से भारत में खरीदारों ने इससे थोड़ी दूरी बनाई। हालांकि ईटीएफ में इस तिमाही में भी सकारात्मक निवेश हुआ, लेकिन 2016 की तीसरी तिमाही के 144 टन के उल्लेखनीय निवेश से यह काफी कम रहा। इस के विपरीत, अन्य क्षेत्रों से मांग बनी रही। तीसरी तिमाही में केंद्रीय बैंक से अच्छी मांग देखी गई और सालाना आधार पर यह 25 प्रतिशत बढ़कर 111 टन पहुंच गई, जबकि बार एवं सिक्कों में निवेश मजबूत हुआ और यह 17 प्रतिशत बढ़कर 222 टन रहा, लेकिन कम बेस की वजह से इसमें वृृद्धि दिख रही है।
2017 की तीसरी तिमाही में सोने के आभूषणों की मांग में गिरावट दर्ज की गई। भारत में इस तिमाही में मांग कमजोर रहना वैश्विक स्तर पर सालाना आधार पर सोने के आभूषणों की मांग में गिरावट की प्रमुख वजह रही। 2016 की तीसरी तिमाही में 495 टन की मांग थी जो 2017 की तीसरी तिमाही में घटकर 479 टन रह गई। आभूषणों की मांग लंबे समय से औसत स्तर से नीचे बनी हुई है।
भारत में कर एवं नियामकीय बदलावों से घरेलू स्तर सोने की मांग प्रभावित हुई है। नई जीएसटी प्रणाली के लागू होने से खरीदारों को दूर किया, वहीं नए धनशोधन नियमन से आभूषणों की खुदरा बिक्री प्रभावित हुई।