डॉ दिलीप अग्निहोत्री


राजनाथ सिंह ने भीतर और सीमापार के विरोधियों पर लखनऊ से एक साथ निशाना लगाया। उनका कहना था कि तीन सौ सत्तर को हटाने का विरोध करने वाले लोग अलग थलग हो गए है। उनकी यह बात देश के भीतर कांग्रेस और कश्मीर घाटी तक सीमित कुछ पार्टियों पर लागू है। इनको संसद के भीतर भी समर्थन नहीं मिला। इसी प्रकार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विरोध करने वाला पाकिस्तान भी अकेला पड़ गया है। चीन का समर्थन भी उसको राहत नहीं दे सका।
इस माहौल से रक्षा मंत्री अमौसी एयरपोर्ट से सीधे कैट स्थित स्मृतिका पहुंचे। यहां उन्होंने अमर जवानों को शृद्धा सुमन अर्पित किए। यह भी पाकिस्तान जैसे विरोधियों को एक सन्देश था। राजनाथ बताना चाहते थे कि हमारी सेना प्रत्येक चुनौती के लिए तैयार है। इस कार्यक्रम में कमांड एरिया के अधिकारी व सैनिक मौजूद थे।
इसके बाद पार्टी के कार्यक्रम में भी राजनाथ सिंह का वही जज्बा कायम रहा। उन्होंने लोकसभा में पार्टी के सँख्याबल की थ्री नॉट थ्री से तुलना की। यह भाजपा को मिला जनादेश था। इसी प्रेरणा से सरकार ने सतत्तर वर्षों से लंबित समस्या का समाधान एक झटके में कर दिया। उन्होंने कहा कि हम थ्री नॉट थ्री हैं। यह कितना शक्तिशाली शस्त्र है आप खुद जानते हैं। इसलिए हमने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद तीन सौ सत्तर और पैंतीस ए हटाकर सतत्तर साल का इतिहास बदल दिया।
उन्होंने कहा कि हम थ्री नॉट थ्री हैं।देश की जनता ने हमपर विश्वास करके तीन सौ तीन सीटे जिताकर हमें यह मौका दिया था। हमने भारत के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा है। इसलिए हथियारों की याद कुछ ज्यादा आने लगी है। भारतीय जनसंघ की जब के समय से लेकर आज तक हमारे कार्यकर्ता यही कहते रहें कि हमारी जब सरकार बन जाएगी तब हम अनुच्छेद तीन सौ सत्तर और पैंतीस ए समाप्त करेंगे। जिसके बाद जम्मू कश्मीर भारत का एक अभिन्न अंग बन जाएगा। जो संविधान भारत के लिए लागू होगा, वही संविधान जम्मू-कश्मीर के लिए लागू होगा। यह संकल्प हमारे कार्यकर्ताओं का संकल्प तब से अबतक था। हमारे भारतीय जनसंघ के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने एक निशान, एक विधान और एक प्रधान देश में होना चाहिए। इस संकल्प के साथ उन्होंने अपना बलिदान दे दिया। उनकी यह इच्छा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरी की है। अब जम्मू-कश्मीर का अगल से कोई संविधान नहीं होगा। एक ही संविधान से पूरा भारत चलेगा। प्रधानमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय जगत में ऐसी स्थितियां पैदा कि पाकिस्तान अलग थलग पड़ा है। यही स्थिति कांग्रेस जैसी पार्टी की हो गई है।
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान ने अनुच्छेद अनुच्छेद तीन सौ सत्तर हटाने को भारत की रणनीतिक गलती बताया था। उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी ने यह अंतिम कार्ड खेलकर एक रणनीतिक गलती की है। मोदी और भाजपा को इसकी बड़ी कीमत चुकानी होगी। क्योंकि उन्होंने कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण कर दिया है। लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि भारत के आंतरिक मामले को इस तरह उठाकर इमरान ने रणनीतिक गलती की है। जिसने पाकिस्तान में उनकी स्थिति कमजोर कर दी है, अब सेना का उनपर दबाब बढ़ेगा। अमेरिका ने उसे मिलने वाली सहायता में कटौती कर दी।
भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने परमाणु अस्त्र प्रयोग पर नीति में बदलाव की बात कही है। इमरान से अधिक सही बयान उनके विदेशमंत्री ने दिया। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरेशी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान को समर्थन मिलना मुश्किल है। पाकिस्तान अकेला पड़ता जा रहा है। अकेले चीन के समर्थन से कुछ नहीं होगा। कुरैशी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों के भी निजी हित भारत से हैं और उन्होंने वहां पर अरबों का निवेश किया हुआ है। ऐसे में वह पाकिस्तान का साथ देंगे यह बेहद मुश्किल है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि पाकिस्तान से भारत अनुच्छेद तीन सौ सत्तर और पैंतीस ए के मुद्दे पर कोई बात नहीं करेगा। यदि वार्ता हुई तो केवल पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के मुद्दे पर होगी। पाकिस्तान से आतंकवाद को खत्म करने के मुद्दे पर भी बात होगी। अनुच्छेद तीन सौ सत्तर व पैंतीस ए को समाप्त करने से पहले कुछ लोग कहते थे कि यदि इससे छेड़छाड़ की तो देश बंट जाएगा, कश्मीर अलग हो जाएगा, इसी अनुच्छेद के चलते यह भारत से जुड़ा है। लेकिन यह धारणा मात्र अड़तालीस घण्टे में बदल गई। राजनाथ सिंह ने कहा कि भाजपा वोट बैंक की नहीं बल्कि अपना वचन निभाने की राजनीति करती है।
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद अनुच्छेद तीन सौ सत्तर व पैंतीस ए को खत्म करके अपने वचन को भाजपा ने पूरा किया है। इससे पड़ोसी पूरी तरह बौखलाया हुआ है। वह दुनिया के हर देश का दरवाजा खटखटा रहा है, लेकिन उसे हर जगह दुत्कार मिल रही है। पड़ोसी देश आतंकवाद के जरिये भारत को कमजोर करने की कोशिश करता है, लेकिन देश की सेनाएं आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब दे रही है। उनके मनसूबे सफल नहीं होंगे। अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन ने कश्मीर मसले पर दखल से इंकार कर दिया।
कहा कि पाकिस्तान को भारत से ही बात करनी होगी। जबकि राजनाथ सिंह ने पुनः साफ किया कि पाकिस्तान को आतंकवाद रोकना होगा, तभी भारत उससे बात करेगा। सीमापार का आतंकवाद और वार्ता दोनों एक साथ नहीं चल सकते। जम्मू कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा हटाने और उसे दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करना भारत का आंतरिक मामला है। विश्व की किसी भी ताकत को इसमें हस्तक्षेप का अधिकार नहीं है।
पाकिस्तान का यह कहना गलत है कि भारत ने एकतरफा निर्णय लेकर स्थिति को बदला है। जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है। भारत ने अपने संविधान के अस्थाई अनुच्छेद को हटाया है। अपने ही प्रदेश में प्रशासनिक सुविधा की दृष्टि से बदलाव किया है।