मां की तपस्या को बताया सफल
लखनऊ, 01 नवंबर 2018: किस्मत भी कभी -कभी क्या रंग दिखाती है। केजीएमसी में हुए 14वें दीक्षांत समारोह में पीडियाट्रिक्स में गोल्ड मेडल पाने वाले डॉक्टर मेघनाथन अपनी मां के संघर्ष को बताते हुए भावुक हो गए। उन्होंने बताया कि उनकी फीस भरने और घर का खर्च चलाने के लिए उनकी मां को सब्जी बेचनी पड़ती थी। परंतु उनकी मां ने कभी उन्हें यह बात नहीं बताई।
उन्होंने कहा कि छुट्टी के दौरान जब मेघनाथन घर जाते तो उनकी मां सब्जी बेचने नहीं जाती थी, क्योंकि उन्हें डर था कि कहीं मेघनाथन को इसका पता ना चल जाए। इसी वजह से वह बहुत दिन तक घर पर भी नहीं रुकते थे। परंतु अब अपनी मां की तपस्या को सफल बताते हुए डॉक्टर मेघनाथन ने बताया कि वह अपने गांव में मां के नाम पर बच्चों का एक अच्छा अस्पताल खोलना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि इस अस्पताल के खुलने के बाद इलाके में कोई भी बच्चा बेहतर इलाज से महरूम नहीं रहेगा।
पिता की सड़क हादसे में मौत हो गई थी:
दरअसल डॉक्टर मेघनाथन में यह बात मंगलवार को केजीएमयू में आयोजित 14वें दीक्षांत समारोह के मौके पर कही। इस दौरान 43 मेधावी मेडिकोज को 126 मेडल दिए गए। इस मौके पर बताते हुए मेघनाथ ने कहा कि जब वह एमबीबीएस के दूसरे साल में थे, तभी उनके पिता की सड़क हादसे में मौत हो गई थी। इसके बाद घर में कोई कमाने वाला नहीं था और ना ही उनके पास आए का कोई जरिया था। एक बार तो मन में ख्याल आया कि मेडिकल की पढ़ाई छोड़ कर घर चला जाऊं और मां बहन की देखभाल करुं। परंतु मां ने हौसला बढ़ाया और कहा कि आगे की पढ़ाई करो। पिता की इच्छा पूरी करो और अच्छे डॉक्टर बनो।
माँ के संघर्ष को सलाम:
उन्होंने कहा कि उन्हें समझ नहीं आया कि मां कैसे उनकी पढ़ाई और घर का खर्च उठाएगी, परंतु उन्होंने सब कुछ ऊपर वाले और मां की दृढ़ इच्छा पर छोड़ कर आगे की पढ़ाई के लिए मेडिकल कॉलेज आ गए। उन्होंने बताया कि मैं रात- रात भर पढ़ता था और रोते था कि मेरी मां कैसे सपनों को पूरा करने के लिए सब्जी बेच रही है। तमिलनाडु से एमबीए करने के बाद उनका ऐडमिशन एमडी के लिए केजीएमयू में हो गया। उन्होंने कहा कि उस समय में भी उनके हालात वैसे ही थे, परंतु लगन थी कि कुछ करना है और दिन- रात एक कर उसका नतीजा सामने है।
उन्होंने कहा कि मेरी एमडी पूरी हो गई और वापस अपने गांव चला गया हूं, जहां के एक अस्पताल में फिलहाल कार्यरत हूं। उन्होंने बताया कि उनकी मां उनके इस सपने को हकीकत में देखने के लिए उनके साथ नहीं आ सकी, परंतु उनके माता- पिता हर पल उनके साथ हैं। मेघनाथन ने कहा कि मैं अपने गांव में मां के नाम पर बच्चों का अस्पताल खोलना चाहता हूं, ताकि इलाके का कोई बच्चा बेहतर इलाज से महरूम ना रहे।