डॉ दिलीप अग्निहोत्री
महात्मा गांधी ने खादी को देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था, रोजगार स्वाभिमान और स्वावलंबन से जोड़ा था। यह केवल भारतीय वस्त्र उद्योग की अवधारणा ही नहीं थी। इसके साथ ग्रामीण परिवेश से जुड़े अन्य उद्योगों को भी शामिल किया था। इनमें माटी, टोकरी,जुट,पशुपालन एवं कृषि से जुड़े अन्य कुटीर उद्योग भी शामिल थे। इस व्यवस्था से ग्रामीण रोजगार सुलभ होते है। इसी के साथ गांव से पलायन भी रुकता। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस दिशा में कारगर कदम उठा रहे है। उन्होंने नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से स्वच्छता अभियान को भी इसमें शामिल किया है। पॉलीथिन बहिष्कार को भी इसमें शामिल किया गया है।
आदित्यनाथ ने तो प्लास्टिक को आज के युग का रक्तबीज बताया है। उन्होंने उत्तर प्रदेश के लोगों सेे प्लास्टिक मुक्त भारत अभियान से जुड़ने की अपील की। कहा कि प्लास्टिक न सिर्फ मनुष्य, बल्कि पशुधन, धरती माँ, पर्यावरण और प्रकृति के लिए भी गम्भीर खतरा है। भारत को इससे मुक्त बनाकर ही हम सभी अपने और आने वाली पीढ़ियों के साथ न्याय कर सकेंगे। मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश खादी महोत्सव के उद्घाटन में भी इन्हीं मुद्दों को उठाया।
इस अवसर पर खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग तथा फ्लिपकार्ट के मध्य हस्ताक्षरित एमओयू भी किया गया। सोलर चरखे, इलेक्ट्रिक चाक, दोना पत्तल बनाने की मशीन के लाभार्थियों को प्रमाणपत्र दिए। इसके अलावा प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम, मुख्यमंत्री ग्रामोद्योग रोजगार योजना तथा दीन दयाल ग्रामोद्योग योजना के लाभार्थियों को चेक प्रदान किए गए। विभिन्न योजनाओं के माध्यम से लाभार्थियों को सौ करोड़ रुपए के ऋण प्रदान किए गए।
इस उद्योग की इकाइयों पर मूलधन ऋण के रूप में जो अवशेष उसके सम्बन्ध में एकमुश्त समाधान योजना के लाभ की व्यवस्था के लिए प्रस्ताव बनाया जाएगा। वर्तमान में उत्तर प्रदेश खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा संचालित किए जा रहे दस स्थानों के प्रशिक्षण केन्द्रों को बढ़ाकर कौशल विकास के साथ जोड़ते हुए प्रत्येक मण्डल में एक प्रशिक्षण केन्द्र, कुल अठारह केन्द्र स्थापित किए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि गांधी जी का सपना स्वदेशी और स्वावलम्बन का था। जिसका आधार खादी बनी। खादी केवल एक वस्त्र नहीं, बल्कि एक विचार और भारत की पहचान है। खादी ने स्वाधीनता आन्दोलन को एक नई ऊंचाई दी। देश को आजाद कराया। उन्होंने कहा कि खादी व ग्रामोद्योग के क्षेत्र में व्यापक सम्भावनाएं हैं। यह वह क्षेत्र है, जो कम पूंजी में सर्वाधिक रोजगार उपलब्ध कराने की क्षमता रखता है।
भारत एक युवा देश और उत्तर प्रदेश एक युवा प्रदेश है। इस प्रदेश में अपार युवा ऊर्जा है, जिसे खादी और ग्रामोद्योग के माध्यम से रोजगार उपलब्ध कराकर समृद्धि हासिल की जा सकती है। इस क्षेत्र में विगत दो वर्षों में तीन हजार करोड़ रुपए के ऋण व अनुदान उपलब्ध कराए गए, जिनसे आठ लाख चौहत्तर हजार रोजगार सृजित हुए। जो कम्बल कारखाने बन्द हो गए थे, उन्हें पुनः प्रारम्भ किया गया। यह कारखाने अच्छी क्वालिटी के कम्बल का उत्पादन कर रहे हैं। गांधी जी के ग्राम स्वराज्य और स्वावलम्बन की अवधारणा को मूर्त रूप देने के लिए खादी की उत्कृष्टता को बढ़ाना दिया जाएगा। इसे आधुनिक तकनीक के साथ जोड़ना है। इसके दृष्टिगत सोलर और इलेक्ट्रिक चरखे को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। इससे लोगों को रोजगार मिलेगा और उनका जीवन स्तर ऊपर उठेगा।
प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों को खादी की गुणवत्तापूर्ण यूनीफाॅर्म उपलब्ध कराने के लिए महिला स्वयंसेवी समूहों को जोड़ते हुए कार्य किया जाए, तो यह ग्रामीण स्वावलम्बन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगा। खादी उत्पाद के लिए नये उपकरणों को अपनाते हुए प्रशिक्षण भी दिलाया जाएगा। इससे व्यापक परिवर्तन आएगा। परम्परागत रोजगार और उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए उप्र माटी कला बोर्ड का गठन किया गया है। अप्रैल माह से जून माह तक कुम्हार और प्रजापति समुदाय के लोगों को तालाबों की मिट्टी निःशुल्क उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं। इससे उत्पादों के लिए लोगों को निःशुल्क मिट्टी प्राप्त हो सकेगी। साथ ही, जल संचयन व संरक्षण कार्यक्रम को बढ़ावा मिलेगा। उत्पादों की पैकेजिंग और डिजाइन में सुधार लाकर इन्हें पूरे देश में लोकप्रिय किया जा सकता है। एमएसएमई के क्षेत्र में भी व्यापक सम्भावनाएं हैं। इस क्षेत्र में आगामी ढाई वर्ष में पच्चीस लाख लोगों को रोजगार मिलेगा।
एक जनपद एक उत्पाद योजना के माध्यम से प्रत्येक जनपद के विशिष्ट उत्पादों और उनसे जुड़े शिल्पियों व कारीगरों को लाभ हो रहा है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी जी ने अपने आन्दोलन के जरिए देश के स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी और गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराया। आज हम दुनिया के एक बड़े लोकतंत्र के रूप में स्थापित हैं और आर्थिक महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर हैं। इस विकास यात्रा को पूरी दुनिया कौतूहल और आश्चर्य से देख रही है। बापू का दर्शन हम सभी को प्रेरणा देता है। उनकी कथनी और करनी में कोई भेद नहीं था। उनका अस्त्र, सत्य और अहिंसा था। स्वच्छता उनका मूलमंत्र था।
उनका मानना था कि स्वच्छता को जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए। यदि व्यक्ति स्वच्छता को नहीं अपनाता तो वह स्वस्थ नहीं होता। स्वस्थ न होने की स्थिति में वह अनुशासित नहीं होता और यदि वह अनुशासित नहीं है तो उसमें नेतृत्व या लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कार्य करने की क्षमता नहीं होती। गांधी जी के इसी सिद्धान्त को मानते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने वर्ष स्वच्छ भारत मिशन प्रारम्भ किया। पांच वर्षों के बाद यह मिशन एक जनान्दोलन का रूप ले चुका है। पूरा देश ओडीएफ घोषित किया जा चुका है। उत्तर प्रदेश का इसमें सर्वाधिक योगदान है। उप्र खादी महोत्सव खादी को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
स्वदेशी दर्शन को आमजन के साथ जोड़ते हुए उसकी दिनचर्या में शामिल करने की आवश्यकता है। इससे रोजगार, स्वावलम्बन, समृद्धि की दिशा में प्रदेश व देश आगे बढ़ेगा।भारत एक महाशक्ति के रूप में उभरेगा। खादी ने स्वाधीनता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। चरखे ने स्वदेशी के नारे को बुलन्द किया। इसकी शक्ति के आगे अंग्रेजों को झुकना पड़ा। यह हमारे आर्थिक स्वावलम्बन का आधार बना। खादी एवं ग्रामोद्योग और माटी कला बोर्ड के माध्यम से आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने में मदद मिली है। खादी को युवाओं और आधुनिकता से जोड़े जाने की दिशा में तेजी से कार्य किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने खादी गीत और खादी के थैले का लोकार्पण भी किया।