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    पर्यावरण दिवस संग योगी के जन्मदिन का अर्थ

    ShagunBy ShagunJune 5, 2023 आर्ट एंड कल्चर No Comments9 Mins Read
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    नवेद शिकोह

    पर्यावरण, सत्ता और राजनीति में संतुलन सबसे ज़रूरी है। 5 जून को पर्यावरण दिवस भी मनाया जाता है और इस दिन ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जन्मतिथि भी है। पर्यावरण दिवस प्राकृति के साथ संतुलन बनाए रखने की हिदायत देता है और एक योगी की कार्यशैली भी संतुलन को सफलता का मूलमंत्र बताती है।
    इत्तेफाक कि योगी आदित्यनाथ का क़द भी शायद इसलिए ही बढ़ता जा रहा है क्योंकि उनके शासन और राजनीतिक फैसले संतुलित होते हैं।

    किसी भी डबल इंजन की सरकार के दौरान राज्य सरकार को केंद्र के साथ संतुलन बनाना ज़रूरी होता है‌। इस कसौटी पर वो पिछले छह वर्षों से अधिक समय से खरे उतर रहे हैं।

    उत्तर प्रदेश में दशकों तक भाजपा इसलिए हाशिए पर रही क्योंकि यहां सनातनियों में बिखराव था। विभिन्न जातियों, दलित,पिछड़ों और सवर्णों के बीच संतुलन नहीं बन पा रहा था। मोदी लहर के साथ यूपी में जातियों के बीच संतुलन बना पर यहां सरकार बनाने के बाद तो संतुलन बनाए रखने की चुनौती और भी बढ़ गई। इस बीच योगी सरकार के जनहित का फैसले और हर जनकल्याणकारी योजना सभी जातियों और धर्म-समुदाय के बीच निष्पक्ष संतुलन बनाए रखी। योगी कैबिनेट से लेकर उत्तर प्रदेश भाजपा में प्रत्येक जाति की भागीदारी बराबर की रही।

    योगी और मुस्लिम समुदाय के बीच रिश्तों को लेकर अतीत की एक नकारात्मक धारणा भी ग़लत साबित हो गई। आकड़े बताते हैं कि यूपी में मुस्लिम समाज की आबादी भले ही लगभग बीस फीसद है लेकिन सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने वालों में आबादी के अनुपात में बहुसंख्यक समाज से अधिक लाभ मुस्लिम समाज उठा रहा है। राशन और आरटीआई (शिक्षा का अधिकार) योजना और फ्री राशन इत्यादि योजनाओं का लाभ भी अल्पसंख्यक समाज को आसानी से और अधिक मात्रा में मिल रहा है। इसी तरह जरुरतमंद दलित, पिछड़ा-अति पिछड़ा समाज भी मोदी-योगी सरकारो का लाभ सवर्णों से बहुत अधिक उठा रहा है।

    नौकरशाही में भी विभिन्न जातियों का संतुलन बराबर का बना हुआ है। सत्ता के मुखिया और नौकरशाही के बीच संतुलन और सामंजस्य के बिना गुड गवर्नेंस संभव नहीं। यूपी के मुखिया की ये बड़ी ख़ूबी है कि वो नौकरशाहों, जनप्रतिनिधियों और अपनी कैबिनेट के बीच मजबूत संतुलन बनाए हुए हैं।

    किसी योगी/संन्यासी को भगवान की आराधना के लिए और किसी शासक को राजधर्म निभाने के लिए प्राकृतिक नियमों पर चलना पड़ता है। प्राकृति का सबसे महत्वपूर्ण नियम है- संतुलन। योगी ने समय-समय पर साबित किया है कि वो प्राकृति का सबसे महत्वपूर्ण आदेश का पालन करने में आगे रहे हैं।

    क़ुदरत का सबसे खूबसूरत चेहरा और सिस्टम पर्यावरण बहुत कुछ सिखाता है और दिखाता है। दुनियाभर में प्राकृतिक नियमों का उल्लंघन करने की सज़ा में दुनिया वैश्विक महामारी की सजा भुगत रही है। इसलिए इस संकट से बचने के लिए एक संन्यासी शासक संतुलन की ताकत से महामारी के संकट से निकलने के रास्ते निकालने में यूपी सरकार ने जिस शिद्दत से काम किया था उसे देश-दुनिया ने और ताकतवर देशों ने सराहा था‌।
    एक योगी का जीवन भी भगवान की कुदरत की हिदायतों पर चलने के लिए कटिबद्ध होता है। प्रकृति का सिस्टम पर्यावरण संतुलन पर आधारित है।

    संन्यासी या योगी का जीवन आध्यात्मिक होता है। कोई भी योगी पूरी तरह से भगवान की गाइड लाइन पर चलता है। भगवान की प्रकृति के नियम पर्यावरण में छिपे हैं। इसे खोजिएगा तो संतुलन सबसे बड़ा पाठ होगा। इसलिए एक संत की आराधना भी संतुलन का पालन करती है और एक राजा या शासक के लिए भी राजधर्म निभाने के लिए संतुलन को अपनाना पड़ता है।

    योगी सरकार की खूबी संतुलन है। केंद्र सरकार से लेकर जनता, जनप्रतिनिधियों, नोकरशाहों के बीच संतुलन की ताक़त ने ही यूपी में करीब पौने चार दशक का रिकार्ड तोड़ कर योगी आदित्यनाथ दोबारा मुख्यमंत्री बने।
    यूपी जातिवाद के लिए बदनाम रहा था। जातियों के बीच संतुलन ने ही सनातनियों की एकजुटता को बिखरने नहीं दिया।

    लोकल ग्लोबल बने, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ये लक्ष्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सबसे कुशलता से ज़मीन पर उतार रहे हैं। आर्थिक सुधारों के लक्ष्य रूपी रथ को आगे बढ़ाने में योगी आदित्यनाथ मोदी के मजबूत सार्थी बनने की तैयारियां पहले से ही शुरु कर चुके हैं। कोरोना काल में आर्थिक सुधारों की रणनीति बनाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो योजना सामने रखी है उसपर मुख्यमंत्री योगी पूरी शिद्दत से अमल किया था। बुरे वक्त से निपटने का पुराना अनुभव अब तक रोजगार और आर्थिक सुधारों के लिए मददगार बना है।
    अपने संसाधनों को मजबूत करने और आत्मनिर्भर बनने के साथ आर्थिक सुधारों के लिए प्रधानमंत्री ने जो राह दिखाई है उसपर उत्तर प्रदेश सरपट दौड़ रही है। इस प्रदेश के तमाम लोकल हुनर ग्लोबल साबित हो भी चुके थे। लेकिन यूपी की पिछली सरकारों की उदासीनता ने इस सूबे की जिन्दा औद्योगिक खूबियों को मृत्युशैया पर ला दिया। मुख्यमंत्री योगी ऐसे तमाम हुनरों को पुनः नई जिन्दगी देकर प्रधानमंत्री मोदी के लक्ष्य को गति देने में लग गये हैं। दुनिया में मशहूर लखनऊ की चिकनकारी हो आरी-जरदोजी या बनारस की बनारसी साढ़ी।

    मुरादाबाद की नक्काशी, भदोही के कालीन या अलीगढ़ के ताले.. ऐसे तमाम हुनरों के विकास से यूपी की औद्योगिक दमक एक बार फिर दुनिया के मानचित्र में अपनी बड़ी पहचान बना सकती है। योगी सरकार वैश्विक महामारी से आर्थिक मंदी के इस दौर में प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में यूपी की हुनरमंदी को ताकत बनाकर इन कठिन परिस्थितियों से लड़ने की तैयारियां में जुटी है। इसी क्रम में पलायन रोकने के लिए योगी सरकार MSME सेक्टर में रोजगार पैदा करने का लक्ष्य को जमीन पर उतार चुका है।

    सब जानते हैं कि यूपी अपने हुनर और तमाम संसाधनो का धनी रहा है। इस सूबे की श्रमिक शक्ति से लेकर तमाम हुनर और आत्मनिर्भरता आर्थिक सुधारों के लिए रामबाण साबित हो सकती है। दुनियाभर के निवेशकों को आकर्षित करने वाली योगी सरकार कई इनवेस्टमेंट समिट आयोजन कर चुकी है। जिसमें रिकार्ड तोड़ निवेश आया।

    यूपी देश का ऐसा सूबा है जहां लोकल उद्योग को ग्लोबल बनाने की सबसे अधिक संभावना है। योगी और मोदी जैसे संन्यासियों की जोड़ी का तप भारत चीन का विकल्प बन सकता है।

    यहां भी मुख्यमंत्री योगी नौकरशाहों के साथ संतुलन बना कर ना सिर्फ़ अतीत के कोरोना संक्रमण पर काबू किया बल्कि कोरोना रूपी माफियागीरी और साम्प्रदायिक दंगों पर भी काबू किया गया।

    करीब छह साल पूर्व जनाधार की वर्षा और जनसमर्थन के विश्वास के प्रकाश मे जब आदित्यनाथ योगी को देश के सबसे बड़े सूबे के मुखिया का दायित्व दिया तब इस सूबे की हालत नाजुक थी। प्रदेशवासी जातिवाद की सियासत से दुखी हो चुके थे। भ्रष्टाचार और तुष्टिकरण ने उत्तर प्रदेश को बीमारू राज्यों की श्रेणी मे खड़ा कर दिया था। योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने तो जनता को लगा कि एक बीमार राज्य को स्वास्थ्य लाभ देने के लिए आध्यात्मिक और लोकतांत्रिक शक्तियों के साथ कोई चिकित्सक मिल गया हो। मुख्यमंत्री योगी प्रदेश की जनता की उम्मीद पर खरे उतरे।

    प्रदेश प्रगति के पथ पर गति पकड़ रहा था और इस सत्य के विरुद्ध विनाशकारी असुर शक्तियां झूठ के कांटों से विकास पथ को अवरुद्ध करने पर आमादा रहीं। इस चुनौती के मोर्चे पर योगी सरकार का सूचना तंत्र सच की ढाल लेकर हर झूठ की पोल खोलता रहा।

    प्रदेश सरकार के प्रमुख सचिव गृह और प्रमुख सूचना संजय प्रसाद से लेकर सूचना विभाग के निदेशक शिशिर की कर्मठ कार्यशैली ना सिर्फ सरकार की जनहित योजनाओं और जनता के बीच सेतु बनी बल्कि प्रदेश विरोधी शक्तियों की झूठी अफवाहों को भी सूचना विभाग बेनकाब करता रहा।

    योगी सरकार दिन प्रतिदिन सूबे को प्रगति और उन्नति की राह पर आगे बढ़ाती रही। जनहित मे कल्याणकारी योजनाओं का सिलसिला तेज हो गया। गरीब-किसान राहत की सास लेने लगे। भ्रष्टाचार पर लगाम लगने लगी। अल्पसंख्यकों मे विश्वास जगा। कानून व्यवस्था सुधरने लगी। जनहित की ये सारी उपलब्धियों को नकारा नहीं जा सकता है इसलिए विरोधियों ने सच के ऊपर झूठ को लाकर सच दबाने का असफल प्रयास शुरू कर दिया। कभी मॉब लिचिंग.. कभी.. बच्चा चोरी तो कभी मंदी का खौफ दिखाकर अफवाहों का बाजार जारी रखा गया। योजनाबद्ध और संगठित तरीके से झूठ फैलाने का एजेंडा चलाने वालों की योगी सरकार के सूचना तंत्र ने चलने नहीं दी। प्रमुख सचीव सूचना के कुशल नेतृत्व मे सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के निदेशक शिशिर सिंह की कार्यकुशलता जनहित मे सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं से एक एक आम जनता को भलीभांति अवगत करा रही है।

    इतिहास गवाह है कि हर राजा की सफलता में उसके सेनापति की अहम भूमिका रही है। हांलाकि ये उस राजा का ही विवेक होता है जो वो बुद्धिमान, ईमानदार, कर्मठ, अनुभवी और समर्पित शख्स को अपना सेनापति चुनता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी योग्यता के अनमोल हीरों को पहचानने के कुशल जौहरी भी हैं। सब जानते हैं कि बेहतर सरकार चलाने के लिए नौकरशाही की खज़नै से योग्यता के बेशकीमती मोतियों को परखने का हुनर बेहद ज़रूरी होता है।

    राजनेता को जब योग्यता की परख होती है तब ही वो कामयाबी के रास्ते आगे बढ़ता है।और जब सफलताएं क़दम चूम रही हों तो बेबुनियाद आलोचनाएं होना भी स्वाभाविक है। मुख्यमंत्री योगी पर भी तमाम आधारहीन आरोप लगे। विरोधियों ने कहा कि यूपी के मुख्यमंत्री क्षत्रिय अधिकारियों को ज्यादा वरीयता देते है। लेकिन ये कोरा झूठा आरोप है। सच कुछ और है। यूपी की योगी सरकार की गुड गवर्नेंस की सबसे बड़ी वजह ये है कि मुख्यमंत्री योगी ने योग्यता और परफार्मेंस वाद पर अमल किया और वो जातिवाद के मुखालिफ रहे। योगी जी जातिवाद के विरोधी नहीं होते तो यूपी में जातिवाद के जहरीले समुंद्र को सुशासन से मथ कर विकास का अमृत नहीं निकाल पाते।

    माना कि जबरदस्त मोदी लहर बढ़ती जा रही है। केंद्र सरकार के सुशासन ने भाजपा के प्रति जनविश्वास बढ़ाया। इसके बावजूद भी पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए यूपी फतह करना बड़ी चुनौती थी। विरोधियों ने जातिवाद के कुप्रचार से एक बार फिर प्रदेशवासियों को धर्म-जाति के चक्रव्यूह में फंसाने की साजिशे तेज कर दीं थी। बेलगाम सोशल मीडिया प्रोफेशनल मीडिया पर हावी था। ऐसे में उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव सूचना और सूचना निदेशक शिशिर ने झूठ, कुप्रचार और अफवाहों के खिलाफ सच की ताकत को सशक्त हथियार बनाया।

    उत्तर प्रदेश की जनकल्याकारी योजनाओं, उपलब्धियों और विकास कार्यों को जन-जन तक पंहुचाया। और सच के जरिए योगी के सूचना तंत्र ने जातिवाद के दानव को मार गिराया। सरकार विरोधियों का झूठ धराशाही हो गया और कुप्रचार की एक ना चली। हर चुनाव में भाजपा ने यूपी में प्रत्येक जातिवादी गठबंधन के चक्रव्यूह को धराशायी कर दिया। योगी विजय रथ पर सवार होकर अपने सुशासन की बदौलत देश की जनता के दिलों में राज कर रहे हैं। माफियाओं का मिट्टी में मिलने से लेकर बाबा बुल्डोजर की चर्चाओं दुनिया भर में हैं। दंगा मुक्त-माफिया मुक्त यूपी के योगी मॉडल को लेकर भाजपा लोकसभा में उतरेगी।

    एक बार फिर त्रेता युग में भगवान श्री रामचंद्र जी का एक संवाद वर्तमान युग में भी सटीक बैठ रहा है- “एक संन्यासी अच्छा राजा बन सकता है”।

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