हम में से अधिकांश लोग बीमार पड़ने के बाद डॉक्टर के पास जाने के बजाए सीधे मेडिकल स्टोर पर चले जाते हैं और बिना कुछ सोचे-समझे उस बीमारी की दवाइयां खरीद लेते हैं। कभी-कभी तो इन दवाइयों से लोग ठीक हो जाते हैं, लेकिन कई बार इसके गंभीर परिणाम भी भुगतने पड़ जाते हैं।
अगर आपने ध्यान दिया होगा, तो देखा होगा कि कई दवाइयों के पत्तों पर लाल रंग की एक पट्टी बनी होती है। लेकिन क्या आपको इस पट्टी का मतलब पता है? लाल रंग की इस पट्टी के बारे में डॉक्टरों को बेहतर पता होता है। लेकिन आम लोगों के पास इसकी कोई खास जानकारी नहीं होती है। ऐसे में लोग बिना डॉक्टरों की सलाह के भी कोई दवाई मेडिकल दुकानों से खरीद लेते हैं और परेशानी का हल निकलने के बजाए परेशानी और बढ़ ही जाती है। इसलिए दवाई खरीदते समय बहुत कुछ ध्यान रखना जरूरी है।
दरअसल, दवाइयों के पत्तों पर बनी लाल रंग की पट्टी का मतलब होता है कि डॉक्टर के पर्चे के बिना उस दवाई को ना तो बेचा जा सकता है और ना ही डॉक्टर की सलाह के बिना उसका इस्तेमाल किया जा सकता है। एंटीबायोटिक दवाओं का गलत तरीके से इस्तेमाल रोकने के लिए ही दवाइयों पर लाल रंग की पट्टी लगाई जाती है। लाल रंग की पट्टी के अलावा दवाड़यों के पत्तों पर और भी कई काम की चीजें लिखी होती हैं, जिनके बारे में जानना भी बहुत जरूरी है। कुछ दवाइयों के पत्तों पर क्र लिखा होता है, जिसका मतलब होता है कि उस दवाई को सिर्फ डॉक्टर की सलाह से ही लेनी चाहिए। दवाइयों के जिन पत्तों पर एनआरएक्स लिखा होता है, उसका मतलब होता है कि उस दवाई को लेने की सलाह सिर्फ वहीं डॉक्टर दे सकते हैं, जिन्हें नशीली दवाओं का लाइसेंस प्राप्त है।
कुछ दवाइयों के पत्तों पर एक्सआरएक्स भी लिखा होता है और इसका मतलब होता है कि उस दवाई को सिर्फ डॉक्टर के पास से ही लिया जा सकता है। इस दवा को डॉक्टर सीधे मरीज को दे सकता है। मरीज इसे किसी मेडिकल स्टोर से नही खरीद सकता है। भले ही उसके पास डॉक्टर द्वारा लिखी पर्ची ही क्यों न हो?