साहित्य सबरी By - November 8, 2018 0 759 सबरी जैसी जोहती राम तुम्हारी राह। है अभाव तो क्या हुआ सजा है वन्दनवार।। बेर सहेजे बैठी है आंखें हैं बेहाल। कृपा करो एक बार जो स्वागत व सत्कार।। – दिलीप अग्निहोत्री