कान्हा तुम तो भूल गए
सुनते नहीं हो बात
सूना यमुना तट हुआ
नहि बंशी की तान।।
गऊएं सब उदास है
गोपी हैं बेहाल
सखा पुकारें रात दिन
अब तो आओ पास।
माखन मिश्री साथ में
नहीं रहा वह स्वाद
हाँथ धरो जो एक बार
हो जाये प्रसाद।।
वादा आने का किया
बीते युग हजार
नाम जपे पल पल प्रभु
दर्शन दो इस बार।।
इच्छाएं अनन्त है
कौन सुनेगा हाल
जिस पर कृपा तुम्हारी हो
उसको ही सौगात।।
– दिलीप अग्निहोत्री