साहित्य बारी बारी खोज कर परखा बारंबार By - July 6, 2018 0 622 बारी बारी खोज कर, परखा बारंबार। पर अब तक पाई नहीं, एक स्वच्छ सरकार।। एक स्वच्छ सरकार, भला किस किसको साधो, सब तो एक समान एक मिट्टी के माधों, लोकतंत्र के नाम, ठगी जनता बेचारी। एक स्वच्छ सरकार, खोजती जनता बारी-बारी।। -सीएम त्रिपाठी