आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत गोमतीनगर लखनऊ में भारत माता के पूजन व आरती का आयोजन किया गया। अमृत महोत्सव समिति द्वारा आयोजित इस समारोह की अध्यक्षता पूर्व पुलिस महानिदेशक महेश चंद्र द्विवेदी ने की। मुख्य वक्ता के रूप में वरिष्ठ स्तंभकार डॉ दिलीप अग्निहोत्री ने संबोधित किया।
उन्होंने कहा कि भारतीय सभ्यता दुनिया में सर्वाधिक प्राचीन व गौरवशाली है। इसको ईश्वीसन जैसी समय सीमा में समझना असंभव है। इसका दायरा इतना सीमित नहीं है। इसके लिए सत युग,त्रेता, द्वापर और हजारों वर्ष से चल रहे कलियुग के इतिहास का चिंतन करना होगा। इसमें असंख्य चक्रवर्ती सम्राट हुए। ऋग्वेद में सभा समिति जैसी संसदीय व्यवस्था रही। गणतंत्र के भी प्रमाण उपलब्ध है। इन सभी का उल्लेख संभव ही नहीं था। इसलिए भारत के इतिहास में परम वैभव के कुछ दस्तावेज ही समाहित हो सके।
अयोध्या से लेकर राम वन गमन पथ, माथुर गोकुल से लेकर द्वारिका तक आज भी ऐतिहासिक प्रमाण मिलते है। बाल्मीकि रामायण में अनेक उपवन व वृक्षों का उल्लेख है। इनमें कुछ जलवायु परिवर्तन के कारण विलुप्त हो चुके है। बहुत से वृक्ष आज भी श्री राम वन गमन मार्ग पर मिलते है। कुछ दिन पहले श्री लंका के एक प्रतिनिधि मंडल ने अशोक वाटिका की शिला अयोध्या पहुंचाई थी। उनका कहना था कि श्री लंका में आज भी श्री राम कथा से संबंधित प्रमाण है।
उन्होंने कहा कि हजारों लाखों वर्ष के इस इतिहास में परतंत्रता के पांच छह सौ वर्षों का विशेष महत्व नहीं होता। फिर भी इस अवधि में विदेशी आक्रांताओं ने भारतीय सभ्यता संस्कृति को समाप्त करने के लगातार प्रयास किये। लेकिन यह शाश्वत सभ्यता संस्कृति आज भी कायम है। भारत राजनीतिक रूप से परतंत्र रहा,लेकिन सांस्कृतिक रूप में इसे पराधीन बनाने में आक्रांताओं को कभी सफलता नहीं मिली। इस दौरान विदेशी सत्ता के विरुद्ध लगातार संघर्ष भी चलते रहे।
डॉ अग्निहोत्री ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव यह अनेक महत्वपूर्ण तथ्य उजागर हो रहे है। अनेक राष्ट्र नायक राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित हो रहे है। अमृत महोत्सव के माध्यम से राष्ट्रीय प्रेरणा का एक नया दिन भी घोषित किया गया। अब देश प्रतिवर्ष जनजातीय गौरव दिवस भी मनाएगा। झारखण्ड़ में बिरसा मुंडा की मूर्ति का प्रधानमंत्री ने लोकार्पण किया। भोपाल में विश्व स्तरीय रानी कमलापति रेलवे स्टेशन राष्ट्र को समर्पित किया।
बिरसा मुंडा और रानी कमलापति के महान योगदान से देश की नई पीढ़ी परिचित हुई। इसके पहले भी अमृत महोत्सव के अंतर्गत अनेक उपेक्षित तथ्य प्रकाश में आये। उत्तर प्रदेश के राजकीय चिह्न में गंगा यमुना, प्रयागराज का संगम एवं मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का धनुष बाण अंकित है। पं.गोविंद बल्लभ पंत ने ही मुख्यमंत्री के रूप में इस चिह्न की स्वीकृति दी थी। चौरी चौरा प्रकरण मात्र आगजनी की घटना नहीं थी। यह तो लोगों के दिलों की आग थी। इसका संदेश बड़ा व्यापक था। इसे हमेशा आगजनी के रूप में देखा गया। यह किसानों का आंदोलन था। बाबा राघव दास और महामना पंडित मदन मोहन मालवीय के प्रयासों से एक सौ पचास से अधिक लोगों को फांसी से बचा लिया गया।
उन्होंने कहा कि काकोरी घटना को ट्रेन डकैती का नाम दिया गया। जबकि यह अवैध ब्रिटिश सत्ता द्वारा की जा रही अवैध लगान वसूली को चुनौती थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्रेन एक्शन का उचित नाम दिया है। समारोह में संघ चालक महेश शर्मा राजीव पंडित, के सी शर्मा, लक्ष्मीकांत शुक्ला लक्ष्मी चन्द्र अग्रवाल, कुंदन लाल शास्त्री, हेमंत सिंह, गौरव ब्रिदुल, एस के गुप्ता, गोपीचन्द्र पांडेय, राम दयाल मौर्य सहित बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिक उपस्थित रहे।