एक बार हाथी दादा ने खूब मचाया हल्ला,
चलो तुम्हें मेला दिखला दूं,
खिलवा दूं रसगुल्ला,
पहले मेरे लिए कहीं से लाओ नया लबादा,
अधिक नहीं बस एक तंबू ही मुझे सजेगा ज्यादा,
तंबू एक ओढ़कर दादा मन ही मन मुस्कुराए,
फिर जूते वाली दुकान पर झटपट दौड़े आए,
दुकानदार ने घबराकर के पैरों को जब नापा,
जूता नहीं मिला श्रीमान का कहकर के वह कांपा,
खोज लिया हर जगह, नहीं जब मिले कहीं पर,
जूते दादा बोले छोड़ो, मेला नहीं हमारे बूते!
- मनु प्रकाश