• संगम नगरी शहर से हर रोज निकलता है 200 टन गीला कचरा, जिसका पहले चरण में इस्तेमाल कर बनाई जाएगी बायो-सीएनजी, फर्मेंटेड जैविक खाद से हर साल करीब 1 लाख एकड़ जमीन में मिट्टी उपजाऊ बनेगी और फसल की पैदावार बढ़ेगी
• परियोजना के दूसरे चरण में रोजाना 143 टन धान के पुआल और गाय के गोबर का इस्तेमाल कर बनाई जाएगी बायो-सीएनजी
लखनऊ, 7 जनवरी 2025: इलाहाबाद उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े बायो-सीएनजी संयंत्र का स्वागत करने को तैयार है, जो महाकुंभ से ठीक पहले काम करना शुरू करेगा। संगम नगरी, प्रयागराज के आधिकारिक दौरे पर आए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रयागराज नगर निगम के साथ मिलकर एवरएन्वायरो रिसोर्स मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा बनाए जा रहे इस संयंत्र का जायजा लिया। उन्होंने संयंत्र की प्रगति पर संतोष जताया और इसमें व्यावसायिक कामकाज जल्द से जल्द शुरू करने का निर्देश अधिकारियों को दिया।
निरीक्षण के दौरान एवरएन्वायरो के प्रबंध निदेशक और सीईओ महेश गिरधर, चीफ प्रोजेक्ट्स एंड ऑपरेशन्स ऑफिसर केए चौधरी और प्रयागराज के निगम आयुक्त चंद्र मोहन गर्ग ने मुख्यमंत्री को संयंत्र के विभिन्न पहलुओं की जानकारी दी। नैनी में जहांगीराबाद और अरैल घाट के पास बना प्रदेश का यह सबसे बड़ा बायो-सीएनजी संयंत्र करीब 12.5 एकड़ में फैला है। इससे रोजाना 21.5 टन बायो-सीएनजी, 200 टन फर्मेंटेड जैविक खाद और 30 टन ब्रिकेट (कोयले आदि की जगह ईंधन के तौर पर इस्तेमाल होने वाली) तैयार होंगे।
बता दें कि कचरे से समृद्धि यानी वेस्ट-टु-वेल्थ अभियान के मुताबिक तैयार हो रहे इस संयत्र में शहरी कचरे को कीमती संसाधनों में तब्दील कर राज्य को सालाना 53 लाख रुपये की आय होगी। यह पहल प्रयागराज के लिए कचरे की चुनौती से निपटने में बड़ी उपलब्धि है, जिसके कारण भविष्य में पर्यावरण भी अधिक स्वच्छ होगा।
परियोजना दो चरणों में पूरी की जाएगी। पहले चरण में संयंत्र के भीतर दो डाइजेस्टर होंगे, जो रोजाना 200 टन गीले कचरे को प्रोसेस करेंगे। इससे रोज 8.9 टन बायो-सीएनजी बनेगी। दूसरे चरण में संयंत्र की क्षमता और भी बढ़ा दी जाएगी, जिससे रोजाना 13.2 टन अधिक बायो-सीएनजी बनने लगेगी।
एवरएन्वायरो रिसोर्स मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और सीईओ श्री महेश गिरधर ने कहा, “कचरा निपटाने और नवीकरणीय ऊर्जा बनाने की दोहरी चुनौतियों को हल करते हुए टिकाऊ भविष्य तैयार करने का हमारा संकल्प इस परियोजना में नजर आता है। यह संयंत्र शहर का ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन तथा वायु प्रदूषण ही नहीं घटाएगा बल्कि स्वच्छ ऊर्जा और बेहतरीन किस्म की फर्मेंटेड जैविक खाद भी उपलब्ध कराएगा। इससे सर्कुलर अर्थव्यवस्था मजबूत होगी, जिसका फायदा शहरी और ग्रामीण समुदायों को मिलेगा तथा भारत के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य में भी योगदान होगा।”
इस संयंत्र का मकसद कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन में हर वर्ष करीब 56,700 टन कटौती कर क्षेत्र के पर्यावरण पर बड़ा प्रभाव डालना है। इससे जमीन (लैंडफिल्स) में कम कचरा पहुंचेगा और ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन भी घट जाएगा। इसके साथ बनने वाली फर्मेटेड जैविक खाद से हर साल करीब 1 लाख एकड़ जमीन में मिट्टी की सेहत सुधरेगी और फसल की पैदावार बढ़ेगी।
एवरएन्वायरो रिसोर्स मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड के चीफ प्रोजेक्ट्स एंड ऑपरेशन्स ऑफिसर श्री केए चौधरी ने कहा, “हम नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन बढ़ाकर, फर्मेंटेड जैविक खाद के जरिये रीजेनरेटिव (मिट्टी को अधिक उपजाऊ बनाने वाली) कृषि को बढ़ावा देकर और पर्यावरण का ध्यान रखने वाले रोजगार तैयार कर टिकाऊ पर्यावरण की ओर उत्तर प्रदेश की यात्रा को तेज करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह संयंत्र शहर की आबोहवा पर पड़ने वाले असर को कम ही नहीं करेगा बल्कि रोजगार और राजस्व बढ़ाने में योगदान करते हुए इलाके के लिए दीर्घकालिक आर्थिक मौके भी तैयार करेगा।”
प्रयागराज बढ़ते कचरे की समस्या से जूझता आया है और शहर में रोजाना कचरे का अंबार लग जाता है। बायो-सीएनजी संयंत्र इस समस्या से छुटकारा पाने की प्रयागराज नगर निगम की कोशिशों का हिस्सा है। संयंत्र घरों, होटलों, रेस्टॉरेंटों और मंदिरों से निकलने वाले कचरे को बायो-सीएनजी और फर्मेंटेड जैविक खाद में बदल देगा, जिससे आय का भरोसेमंद स्रोत तैयार होगा।
इसके अलावा परियोजना से रोजगार के करीब 200 मौके भी तैयार होंगे, जिससे स्थानीय आर्थिक वृद्धि में भी योगदान होगा। यह पहल अधिक स्वच्छ और बेहतर पर्यावरण वाले प्रयागराज की दिशा में बड़ा कदम है।