डॉ दिलीप अग्निहोत्री

इसी के आधार पर उन्होंने निष्कर्ष निकाले। उनका साफ मानना है कि नरेंद्र मोदी दुबारा प्रधानमंत्री बनेंगे। वस्तुतः उनका यह आकलन वर्तमान विपक्षी नेताओं के आडम्बर पर आधारित है। क्षेत्रीय पार्टियां प्रत्येक पखवारे में अपनी दावेदारी के लिए कोई न कोई समारोह आयोजित करती है। ममता बनर्जी, चंद्रबाबू नायडू, अरविंद केजरीवाल, आदि सभी इस दौड़ में शामिल है। एक दूसरे पर किसी को विश्वास नहीं है।
कांग्रेस राष्ट्रीय विपक्षी पार्टी है। लेकिन उसके अध्यक्ष ने अपनी गरिमा और मर्यादा को निचले स्तर पर पहुंचा दिया है। वह बिल्कुल बच्चों के खेल की भांति नारे लगवा रहे है। बच्चे पर्चियों पर चोर ,सिपाही, राजा, वजीर, लिख कर खेलते है। जिसकी चोर वाली पर्ची निकलती है, उसे अन्य बच्चे चोर चोर कहकर चिढ़ाने का प्रयास करते है।
राहुल गांधी यही कर रहे है। पर्ची भी उन्होंने अपनी मर्जी से निकाली, हल्ला भी वह खुद मचा रहे है। लोकसभा चुनाव तक उनको कोई समझा भी नहीं सकता। सुप्रीम कोर्ट, नियंत्रक व महालेखा परीक्षक, भारतीय वायु सेना, फ्रांस सरकार सभी गलत हैं, दुनिया में अकेले राहुल गांधी सही है। वह राहुल गांधी जो दस वर्ष में एक भी राफेल नहीं ला सके, वह बता रहे है कि उनके दाम बिल्कुल सही थे। सही थे तो कम से कम एक विमान तो ले आते।
दूसरा यह कि राहुल बिना ठोस प्रमाण के प्रधानमंत्री को चोर बता रहे है। बिडंबना देखिये कि पांच हजार करोड़ रुपये के नेशनल हेराल्ड घोटाले में वही राहुल पेरोल पर बाहर है। क्या राहुल के लिए नारे नहीं लगवाए जा सकते। उनके जीजा राजस्थान, हरियाणा में जमीन घोटाले के आरोपी है, क्या राहुल उनके लिए भी ऐसे ही नारे लगवा सकते है। सोनिया गांधी नेशनल हेराल्ड के अलावा अगस्ता वेस्टलैंड सौदे में आरोपो का सामना कर रही है। राहुल उनके लिए अलग कसौटी क्यों रखे है। फिर उनके सहयोगी चारा घोटाले के दोषी लालू यादव को क्या कहा जाए। शारदा घोटाले में ममता बनर्जी आरोपी है, राहुल को चाहिए कि उन्हें भी कुछ कह कर पुकारें।
मुलायम विपक्ष का यह स्तर देख रहे है। राहुल ने अपनी गम्भीरता स्वयं तारतार कर ली है। उत्तर प्रदेश में मुलायम अपने द्वारा स्थापित पार्टी से भी निराश है। वह चाहते थे कि उनके पुत्र और भाई एक साथ रहें, लेकिन उन्हें इस मामले में भी निराश होना पड़ा। वह चाहते थे कि सपा और बसपा में कभी दुबारा गठबन्धन न हो, लेकिन इस मुद्दे पर भी उन्हें निराशा हाँथ लगी। जिस दौर से वह अपनी पार्टी को निकाल कर दूर ले आये थे, आज उनके उत्तराधिकारियों ने उसे वहीं पहुंचा दिया है। ऐसे में मुलायम का मन्तव्य बिल्कुल स्पष्ट है। लोकसभा में दिया गया उनका भाषण तथ्यों पर आधारित है। वह जानते है कि वर्तमान विपक्षी पार्टियां भाजपा का मुकाबला करने की स्थिति में नहीं है।
इसीलिए लोकसभा में मुलायम सिंह यादव ने कहा कि वह चाहते हैं कि नरेंद्र मोदी फिर से देश के प्रधानमंत्री बनें। हम लोग तो बहुमत से नहीं आ सकते हैं, नरेंद्र मोदी फिर प्रधानमंत्री बनें। मैं प्रधानमंत्री जी को बधाई देना चाहता हूं। प्रधानमंत्री जी आपने भी सबसे मिलजुल करके और सबका काम किया है। ये सही है कि हम जब-जब मिले, किसी काम के लिए कहा तो आपने उसी वक़्त आर्डर किया। मैं आपका यहां पर आदर करता हूं, सम्मान करता हूं, कि प्रधानमंत्री जी ने सबको साथ लेकर चलने का पूरा प्रयास किया। जाहिर है कि मुलायम ने अपने भाषण में कई विशेष शब्दों का उल्लेख किया, जो नरेंद्र मोदी को अन्य नेताओं से अलग करता है। उन्होंने कहा कि मोदी में सबको साथ लेकर चलने की क्षमता है। आज ऐसे ही व्यक्ति को दुबारा प्रधानमंत्री बनना चाहिए। राष्ट्रीय स्तर पर मोदी के मुकाबले कोई इतना लोकप्रिय भी नहीं है। मुलायम सिंह यादव इन सभी स्थितियों के आधार पर मोदी की दुबारा ताजपोशी के मन्तव्य पर पहुंचे है।