जी के चक्रवर्ती
यदि हम बात करे पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव की तो यहां पर तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष के रूप में ममता बनर्जी अपने राजनीतिक जीवन मे प्रवेश करने से पहले वे इसी राज्य में कांग्रेस के छात्र संगठन छात्र परिषद की नेता के तौर पर अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत की थी, उन्हें पहली महिला रेल मंत्री बनने का गौरव भी प्राप्त है। उन्होंने वर्ष 2011 में पश्चिम बंगाल में विगत 34 वर्षों से सत्ता पर काबिज वामपंथी मोर्चे का सफाया कर देश पश्चिम बंगाल राज्य की सातवीं और पहली महिला मुख्यमंत्री बन थीं। उन्होंने अपने दम पर इस मुकाम को हासिल किया था।
ममता बनर्जी अपनी ज़िद और जुझारूपन के कारणों से उनको सैकड़ों बार पुलिस और माकपा कैडरों की लाठियां खानी पड़ी हैं। इस जिद्दी, जुझारूपन और शोषितों वर्ग के लोगों के हक़ की लड़ाई के लिए मीडिया के लोगों ने उनको अग्निकन्या जैसे नाम से भी नवाजा है।
एथेंस के दार्शनिक प्लेटो के अनुसार यदि आप समुद्र के बीच मे एक नाव पर सवार हों तो आप नाव चलाने की जिम्मेदारी किसे सौपेंगे?
क्या आप नाव चलाने के तरीके जानने के लिये एक चुनाव कराएंगे या एक नौसिखिये के हाथ पतवार न पकड़वा कर नाव में सवार व्यक्तियों में से ऐसा किसी ऐसे व्यक्ति का चुनाव करना पसन्द करेंगे जो नाव चलाने में पारंगत हो।
इस परिपेक्ष में यदि हम देखें तो देश के इस राज्य में एक लम्बे समय तक मुखमंत्री के पद पर आसीन रहे ज्योति बसु ने अपने राजनीति जीवन की शुरुआत वर्ष 1930 में “कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया” की सदस्यता ग्रहण कर किया था। वे अपने मेहनत के बलबूते बहुत ही कम समयान्तराल में पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री के पद पर आसिन हुये थे। उस समय पश्चिम बंगाल में एक अस्थिर और हिंसक माहौल बना हुआ था ऐसे समय में ज्योति बसु ने जिस तरह से धैर्यपूर्ण तरीके से यहां की राजनीति में एक लम्बी पारी खेली, वह सम्पूर्ण देश मे एक उदाहरण स्वरूप प्रस्तुत किया। वे इस राज्य के एक कामयाब मुख्यमंत्री के रूप में लगातार 23 वर्षों तक शासन – सत्ता संभालने वाले प्रथम व्यक्ति के रूप में एक कीर्तिमान स्थापित किया था। उसके बाद इस राज्य की सत्ता की बाग़डोर तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी के हाथों में आयीं। और अब, केंद्र और भाजपा पार्टी के ख़िलाफ़ ममता बनर्जी की मुहिम वर्ष 2014 में एनडीए सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही चल रही है।
मौजूदा समय मे देश के इस राज्य सहित अन्य चार राज्यों में जैसे तमिलनाडु, केरल, असम और पुडुचेरी (केंद्रशासित प्रदेश) जैसे राज्यों के विधानसभा चुनावों के लिए छह महीने से भी कम का समय अवशेष रह गया है। अप्रैल या मई में इन पांच राज्यों में चुनाव होना तय है, जिसके लिए विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के मध्य समीकरण साधने की तैयारी में पूरी तरह से संलग्न है।
देश के पश्चिम बंगाल राज्य में आठ चरण में होने वाले चुनाव में बीजेपी अपनी पकड़ बनाने के लिये एड़ी चोटी का जोर लगा रही है जिसके लिए वह तरह -तरह के जोड़-जुगत लगने में कोई कोर कसर नही छोड़ रही है लेंकिन देश के दक्षिण भारत राज्य को छोड़ कर देश का यह राज्य केवल एकमात्र ऐसा है जहां की जनता अपने अधिकारों के प्रति बहुत जागरूक होने के साथ ही साथ यह प्रदेश समस्त प्रकार के समीकरणों से भलीभांति परिचित व सचेत है।
पश्चिम बंगाल के लिये यह बात प्रसिद्ध है कि जो हमारा देश 10 वर्षों के बाद सोचता है यह राज्य उसे 10 वर्ष पहले ही सोच लेता है। इस कारण देश के इस राज्य के लोगों को बेवकूफ बनाना इतना आसान नही होगा कि मात्र जुमले और कोरे वादों के सहारे ही यहां के जनता के दिलों में जगह बना पाना इतना सहज और आसान नही होगा। ऐसा इसलिए कि मंहगाई और किसान बिल के मुद्दे अभी भी लोगों के दिलों में होली जला रहे हैं।