इस बार मौसम ने अभी तक विशेष रूप से तो कोई परेशानी नहीं पैदा की है लेकिन अब शायद कुछ बेफिक्री के दिन ज्यादा नहीं रह सकेंगे। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि इस बारिश के बाद करीब एक सप्ताह के बाद कड़ाके की ठंड शुरू हो सकती है। तेज हवाओं के साथ बारिश और ओले गिरने की और संभावना भी जताई जा रही है। इस तथ्य को देखते हुए कि अब मौसम विभाग की अधिकतर भविष्यवाणियां सही साबित होती हैं, समय आ गया है कि सेहत को लेकर अधिकतम सतर्कता एवं सावधानी बरती जाये।
ठंड की बढ़ना दरअसल हालांकि कुछ लोगों के लिये आनन्ददायक समय होता है लेकिन ज्यादातर लोगों के लिये यह कष्टों को साथ लेकर ही आता है। सबसे पहले तो उम्रदराज लोगों की बात लें जिनके लिये सबसे ज्यादा कष्ट उठाने का समय यही होता है। बीमारियों को छोड़ भी दें तो केवल सर्दी लग जाना ही जानलेवा हो जाता है।
जीवन के एक छोर पर वृद्धों को इससे जूझना पड़ता है तो दूसरी ओर बच्चों के लिये काफी मुसीबतें इसी सीज़न में आती हैं। इसकी भी वजह है कि ठंड की तीव्रता को झेल पाने की शक्ति उनके शरीर में नहीं होती। बस इसीलिये वे इसके शिकार हो जाते हैं जिसके लिये कभी-कभी तो काफी लम्बा इलाज भी चलता है। ऐसे में जरूरी हो जाता है कि सामान्य वय के लोग अपने साथ बच्चों तथा बुजुर्गों का भी खयाल रखें। गरीब लोगों के लिये यह समय विशेष रूप से कष्टकर होता है क्योंकि गर्म कपड़े व दवाओं पर खर्च करने की उनकी सामर्थ्य नहीं होती।
नतीजा यह कि कहीं घने पेड़ों के नीचे तो कहीं बड़ी-बड़ी बिल्डिंगों की ओट में वे ठंड से बचने की कोशिशें करते हैं। दखद यह कि कई बारे ये कोशिशें नाकाम भी हो जाती है। दूसरी ओर पशु-पक्षी इस मौसम में असमय काल कवलित हो जाते हैं। पालतू जीवों का तो इन्तजाम हो जाता है लेकिन खुले में रहना हो तो ऐसी सुविधा कहां। नतीजा यह कि ठिठुरन ही उनका भाग्य बन जाती है। ऐसे में जरूरी है कि इन दिनों का विशेष रूप से खयाल रखें।