मेढफार्म खेती करने का आधुनिक उदाहरण है, जिसमें हमने बागवानी को शामिल किया है। “खेती के पुराने तरीके को शामिल करने वाली आधुनिक तकनीकें”
फार्म से निकला ताजा भोजन मेढ फार्म में पकाया जाता है और सभी प्रतिभागियों को परोसा जाता है
नई दिल्ली, 03 जनवरी 2019: जैविक (ऑर्गेनिक) भोजन के बारे में किसानो और कारीगरों में जागरूकता के उद्देश्य को लेकर जयपुर रग्स ने एक सेमिनार का आयोजन किया जिसमें पूरे जयपुर के लगभग 50 किसानों ने भागीदारी की और जैविक खेती (आर्गेनिक फार्मिंग) के बारे में सीखा।
यह आयोजन जयपुर से 80 किलोमीटर दूर मेढ फार्म में संपन्न हुआ। किसानों ने खेती के काम में रसायन से जुड़ी समस्याओं, पानी की समस्या, खेत में कम उत्पादन होने की समस्याओं को साझा किया। इस आयोजन के प्रमुख आकर्षणों में से एक, महिला किसान सुशीला देवी रहीं, जो सेमिनार में भाग लेने के चाकसू गांव से आई थीं। वह स्वयं कई पीढ़ियों से खेती कर रही हैं। सुशीला देवी ने कीटनाशकों को लेकर अपनी चिंताएं साझा किया। वह जैविक खेती करके स्वस्थ कृषि उत्पादन करने वाले समुदाय में शामिल होने के लिए सहयोग करने को तैयार हैं।
सेमिनार के दौरान किसानों के लिए फार्म से निकला ताजा भोजन भी तैयार किया और परोसा गया। यह कदम स्वाद और लाभों में परिवर्तन और जैविक खेती से निकले उत्पादों के उपभोग और बिक्री के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए उठाया गया है।
जैविक खेती (ऑर्गेनिक फार्मिंग) के बारे में:जैविक खेती सूक्ष्म जीवों (जैसे केंचुआ, गोबर, गोमूत्र) यानी वर्मीकम्पोस्ट का उपयोग करके किया जाता है। मेढ फार्म स्थित जयपुर रग्स अपना स्वयं का जैविक खाद बनाते हैं। खेत की उपज का उपयोग किचन मेस में किया जाता है जो कंपनी के मुख्य कार्यालय के लगभग 100 से अधिक कर्मचारियों को भोजन उपलब्ध कराता है। जयपुर रग्स जल्द ही जैविक कृषि उत्पादों की बिक्री के लिए नए ब्रांड लॉन्च करने जा रहा है, जो सीधे उपभोक्ताओं को बेचा जायेगा।
इस सम्मेलन के बारे में बताते हुए, जयपुर रग्स के संस्थापक, नंद किशोर चौधरी ने कहा कि “अद्वितीय सामाजिक एवं आर्थिक मॉडल द्वारा कालीन उद्योग में बदलाव लाने के बाद, हमारा अगला कदम किसान और उपभोक्ता के सम्बंध बनने के तरीके को बदलना है। मैं आपूर्ति श्रृंखला विकसित करना चाहता हूं, जहां हम किसानों को सशक्त बनाएंगे और बाजार से सीधे लिंकेज बनाने के बारे में उनको जागरूक करेंगे ताकि वे सीधे उपभोक्ता को जैविक उत्पाद बेच सकें। इसके साथ ही, मैं किसानों की चेतना में वृद्धि करना चाहता हूं ताकि वे जागरूक उपभोक्ताओं की जरूरतों की पूर्ति कर सकें।