दुधवा से अनुराग प्रकाश के संस्मरण
मानसून के वक्त जब आस पास के गड्ढों में पानी भर जाता है तब मगरमच्छ गांव के काफी करीब और कभी कभी गांव में भी घुस आते है। पिछले साल मानसून में मेरे गावों के 2 व्यक्ति अपने खेत का चक्कर लगाने जा रहे थे। मानसून में भारी वर्षा की वजह से पानी बढ़ने के कारण खेतों के किनारे व रोड के किनारे भी पानी भरा था।
खेत की देखभाल कर जब दोनों लोग वापस गावों की तरफ आ रहे थे तभी एक जगह एक बड़े मगरमच्छ ने अचानक पानी से बाहर निकल कर एक गांववाले का पैर पकड़ लिया और पानी की ओर खींचने लगा । वो व्यक्ति बचने के लिए चिल्लाने लगा। वहाँ पर उस वक़्त मुश्किल से 2 फिट पानी रहा होगा।
दूसरे व्यक्ति बहादुरी दिखाते हुए अपने मित्र को बचाने के लिए पानी मे लाठी चलानी शुरू की किसी तरह मगरमच्छ के मुँह से गांववाले की टांग छूट गयी और वो तुरंत वहाँ से जान बचा कर भागे।
वापस आके गावों वाले उसे पलिया के अस्पताल ले गए जहाँ उसकी पट्टी कराई गई। फिर गावों वालो ने सोचा कि चल कर उस मगरमच्छ को खेत व रोड के पास से भगा दे ताकि वो दूसरे लोगों को न पकड़ सके।
ये सोचकर गांव के 4-5 लोग इकठ्ठा होकर उस खेत के पास गए जहाँ मगरमच्छ ने गाँव वाले पर हमला किया था । वहाँ पर बहुत कम पानी था लेकिन एक जगह भैसों के बैठने की वजह से थोड़ा ज्यादा गड्ढा हो गया था। गांववालो ने आस पास पानी मे देखा उन्हें कुछ नज़र नही आया वो सोचे कि वो मगरमच्छ पास के तालाब में वापस चला गया होगा।
तभी एक गाव वाला बोला कि शायद वो उस गड्ढे में हो जहाँ भैंसे बैठती है । ये कह कर वो जोर से आवाज़ करते हुए उसमे डंडा मारने लगा कुछ सेकंड के बाद पानी से एक बड़ा मगरमच्छ ऊपर की तरफ कूदा और एक झटके में एक लाठी को चबा गया। उसका साइज व आक्रामकता देखते हुए गावों वाले तुरंत वहां से वापस आ गए।
2 दिन पहले croc camp के पास ही स्तिथ उस स्थान पर जब मैं गया जहाँ मगरमच्छ ने हमला किया था , तो वहाँ पानी बिल्कुल ही सूख चुका था । बहुत थोड़ा पानी था। लेकिन इतनी घनी झाड़ियां थी कि कुछ कहा नही जा सकता कि उनमें कौन सा जानवर छुपा हो।
उम्मीद थी कि वो बिल्कुल पास ही स्तिथ एक बड़े तालाब में वापस चला गया होगा जहां वो पूरा साल रहते है। इस साल हम और सावधानी रखनी है क्योंकि मगरमच्छों ने पिछले माह आस पास कुछ कुत्तों और गायों पर हमला किया है और एक महिला को भी मारा है।