नाग पंचमी के दिन किसी भी तरह की भूमि की खुदाई करना होता है मना
लखनऊ। भगवान शिव के पावन सावन मास में नागपंचमी पर्व मनाया जाता है। श्रावण शुक्ल पंचमी को ‘नाग पंचमी’ कहते हैं। पंचमी तिथि के स्वामी नाग हैं। शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 20 अगस्त को रात 12.23 मिनट पर पंचमी तिथि लगेगी 21 तारीख को रात में 2.1 मिनट पर यह तिथि समाप्त हो जाएगी। नाग पंचमी पर शुद्ध श्रावण सोमवार व्रत के दिन रखा जाएगा। ऐसे में इस दिन भगवान शिव की उपासना का भी सौभाग्य प्राप्त होगा चित्रा नक्षत्र पूर्ण रात्रि तक रहेगा शुभ योग रात्रि 10.21 तक रहेगा और उसके बाद शुक्ल योग प्रारंभ हो जाएगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ज्योतिषाचार्य एस.एस. नागपाल स्वास्तिक ज्योतिष केन्द्र ने बताया कि चन्द्रमा कन्या राशि में गोचर करेंगे। हिन्दू धर्म में नागों को पूजनीय माना गया है। भगवान शिव ने अपने गले में नाग धारण कर रखा है और भगवान विष्णु भी शेषनाग की शैया पर विश्राम करते है। नागपंचमी का त्यौहार पूरे देश में मनाया जाता है परन्तु उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिमबंगाल में नागपंचमी का विशेष महत्व है। नागपंचमी पर सर्पो की अधिष्ठात्री देवी मनसा देवी की भी पूजा की जाती है। नाग पूजा से पितृदोष की शान्ति और निसंतान को संतान प्राप्ति होती है।
उन्होंने बताया कि नाग पंचमी के दिन किसी भी तरह की भूमि की खुदाई करना मना होता है। इस दिन घर के दीवारों पर नाग की आकृति बनाकर उसकी पूजा की जाती है। नाग पंचमी पर नाग देवता की पूजा करने से सुख-शांति और समृद्धि आती है। इसके साथ ही 12 नागों का स्मरण करने के साथ मंत्र का जाप करना चाहिए। इससे हर तरह के भय से मुक्ति मिल जाती है। नाग पंचमी पर नाग देवता की पूजा करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है। इसके साथ ही 12 नागों का स्मरण करने के साथ मंत्र का जाप करना चाहिए। इससे हर तरह के भय से मुक्ति मिल जाती है। मंत्र ॐ कुरकुल्ये हुं फट् स्वाहा मंत्र का जाप लाभदायक माना जाता है।
ज्योतिषानुसार राहु को सर्प का सिर और केतु को सर्प की पैठ माना गया है। नागपंचमी पर काल सर्प की शान्ति और कुंडली में राहु और केतु ग्रहों के कुप्रभाव को समाप्त करने के लिये ये दिन बहुत उत्तम है। राहु से पीड़ित व्यक्ति को ऊँ हमें नमः और केतु के लिये ॐ कें केतवे नमः का जाप करने से और शिवलिंग पर भांग धतूरा अर्पित करने से व आठमुखी व नौ मुखी रूद्राक्ष पहने से राहु केतु के बुरे प्रभाव समाप्त होते है। 21 अगस्त को नाग पंचमी पूजा मुहूर्त प्रातः 5.40 से प्रातः 8.16 में करना श्रेष्ठ रहेगा नागपंचमी को गुड़िया को पीटने की परम्परा है। इस दिन कन्यायें गुड़िया बनाती है। चौराहे पर भाई डंडी से इस गुड़िया को पीटते है।