- आये दिन हो रही घटनाओं पर समाजसेवी व समाजशास्त्रियों ने कहा, सबकुछ सरकार ही नहीं कर सकती, परिवार निभाए अपना कर्तव्य
एक व्यक्ति मुम्बई से परिवार के साथ गाजीपुर आया। वह घर गया तो घर वालों ने घर में घुसने नहीं दिया। वहां से ससुराल वालों को फोन कर आने की सूचना दी लेकिन वहां भी आने से मना कर दिया गया। वह परिवार के साथ गंगा पुल पर आया और बाइक खड़ी किया और गंगा में कूद कर जान दे दी। यह तो एक बानगी भर है। इस तरह बहिष्कार व मानसिक विचलन की स्थितियां आये दिन देखने को मिल रहीं हैं। समाजसेवी व समाजशास्त्रियों का कहना है कि इस समय परिवार की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। हर कार्य सरकार ही नहीं कर सकती। हमें अपने समाज व परिवार के प्रति कर्तव्यों का निर्वहन करना होगा।
समाजशास्त्री डाक्टर प्रमोद मिश्र का कहना है कि ऐसे आपदा काल में दोनों को समझने व समझाने की जरूरत है। इस समय हर व्यक्ति परेशान है। यही इस समस्या की जड़ है। इसमें परेशान होने की जरूरत नहीं है। किसी भी आपदा के समय धैर्य की जरूरत होती है। धैर्य रखते हुए हमें सजग रहने की जरूरत है। हमें दूसरों को संक्रमित मानने से पहले हर वक्त खुद को संक्रमित मानकर चलना होगा। हमें यह सोचना होगा कि हम दूसरों से दूर रहें।
समाजसेवी आनंद का कहना है कि जरूरत दोनों तरफ समझने की है। परिवार को भी समझना होगा कि जो भी बाहर से आ रहा है, वह खुद घबराहट में है। इस कारण वह दुर्व्यवहार किसी भी तरह से सहने की स्थिति में नहीं है।
इस कारण देश त्रासदी से गुजर रहा है। सिर्फ सरकारी प्रयास से नहीं पड़ेगा। जैसे सबके अधिकार होते हैं, वैसे ही उसके कर्तव्य भी होते हैं। परिवार का साथ बहुत जरूरी है। उन्हें सपोर्ट करना चाहिए।