किसानों पर पड़ती रही सदा से दोहरी मार।
फिर भी खड़ा वो हर दर्द पाल खुद को संभाल।।
ऊपर वाले की सत्ता हो या सत्ता देशों की।
किसानों पर ही गिरती इनके मिज़ाजों की गाज।।
ओला, बारिश, सूखा और पड़े करों की मार।
धैर्य महान, मेहनत अपार संग है दु:खों का भार।।
ऊपर वाले की सत्ता हो या सत्ता देशों की।
दे इनको दर्द अपार, रखते मरहम कभी कभार।।
– अलका शुक्ला