Close Menu
Shagun News India
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Saturday, May 24
    Shagun News IndiaShagun News India
    Subscribe
    • होम
    • इंडिया
    • उत्तर प्रदेश
    • उत्तराखंड
    • राजस्थान
    • खेल
    • मनोरंजन
    • ब्लॉग
    • साहित्य
    • पिक्चर गैलरी
    • करियर
    • बिजनेस
    • बचपन
    • वीडियो
    Shagun News India
    Home»ब्लॉग

    देश में गरीबी बढ़ाता कोरोना

    ShagunBy ShagunMay 8, 2021 ब्लॉग No Comments7 Mins Read
    Facebook Twitter LinkedIn WhatsApp
    file photo
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn WhatsApp
    Post Views: 367

    पंकज चतुर्वेदी

    भारत में कोई दो करोड़ लेाग अभी तक नोबल कोरोना वायरस के शिकार हो चुके हैं और इसके चलते कोई दो लाख पंद्रह हजार लोग जान गंवा चुके हैं। जिस देश की 27 करोड़ आबादी पहले से ही गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करती हो, वहां इस तरह की महामारी समाज में दूर तक गरीबी का कारक भी बन रही हैं। जब अंतिम संस्कार को 25 से 30 हजार लग रहे हों, एंबुलेंस वाले दो किलोमीटर के दस हजार मांग रहे हों, निजी अस्पतालों का बिल कम से कम पंाच लाख हो, सरकारी अस्पताल अव्यवस्था ग्रस्त हों, आक्सीजन व इंजेक्शन के लिए लोग निर्धारित कीमत से कई सौ गुना ज्यादा चुका रहे हों – तिस पर लगातार व्यापार-उद्योग बंद होने से लटकर रहे बेराजगारी व कम वेतन के खतरे से मध्य व निम्न मध्य वर्ग के तेजी से गरीबी रेखा से नीचे यानी बीपीएल बन रहा है। असंगठित क्षेत्र के लोग अपना घर-जमीन- जेवर बेच कर इलाज करवा रहे हैं और देखते ही देखते खाता-पीता परिवार गरीब हो रहा है।

    स्वास्थ्य के मामले में भारत की स्थिति दुनिया में शर्मनाक है। इस मामले में गुणवत्ता एवं उपलब्धता की रैंकिंग में हम 180 देशों में 145वें स्थान पर हैं। यहां तक कि चिकित्सा सेवा के मामले में भारत के हालात श्रीलंका, भूटान व बांग्लादेश से भी बदतर हैं। अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य पत्रिका ‘लांसेट’ की एक रिपोर्ट‘ ग्लोबल बर्डन आफ डिसीज’ में बताया गया है कि स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में भारत ने सन 1990 के बाद अस्पतालों की सेहत में सुधार तो किया है। उस साल भारत को 24.7 अंक मिले थे, जबकि 2016 में ये बढ़ कर 41.2 हो गए हैं।

    साल 2021 के वार्षिक बजट के एक दिन पहले संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण में यह स्वीकार किया गया था कि इलाज करवाने में भारतीयों की सबसे ज्यादा जेब ढीली होती है क्योंकि स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकारी निवेश बहुत कम हैं। इस सर्वे में बताया गया था कि देश की चार फीसदी आबादी अपनी आय का एक चौथाई धन डाक्टर-अस्पताल के चक्कर में गंवा देती है। वहीं 17 प्रतिषत जनता अपनी कुल व्यय क्षमता का 10 फीसदी से ज्यादा इलाज-उपचार पर खर्च करते हैं। यह दुनिया में सर्वाधिक है। भारत में 65 प्रतिशत लोग यदि बीमार हो जाएं तो उसका व्यय वे खुद वहन करते हैं।

    स्वास्थ् क्षेत्र में कोताही की बानगी है कि मानक अनुसार प्रति 10 हजार आबादी पर औसतन 46 स्वास्थ्य कर्मी होना चाहिए, लेकिन हमारे यहां यह संख्या 23 से कम हैं। तिस पर कोरोना महामारी के रूप में विस्फाट कर चुकी है। देष के आंचलिक कस्बों की बात तो दूर राजधानी दिल्ली के एम्स या सफदरजंग जैसे अस्पतालों की भीड़ और आम मरीजों की दुर्गति किसी से छुपी नहीं है। एक तो हम जरूरत के मुताबिक डाक्टर तैयार नहीं कर पा रहे, दूसरा देष की बड़ी आबादी ना तो स्वास्थ्य के बारे में पर्याप्त जागरूक है और ना ही उनके पास आकस्मिक चिकित्सा के हालात में केाई बीमा या अर्थ की व्यवस्था है। हालांकि सरकार गरीबों के लिए मुफ्त इलाज की कई योजनाएं चलाती है लेकिन व्यापक अशिक्षा और गैरजागरूकता के कारण ऐसी योजनाएं माकूल नहीं हैं। पिछले सत्र में ही सरकार ने संसद में स्वीकार किया कि देश में कोई 8.18 लाख डाॅक्टर मौजूद हैं, यदि आबादी को 1.33 अरब मान लिया जाए तो औसतन प्रति हजार व्यक्ति पर एक डाक्टर का आंकडा भी बहुत दूर लगता है। तिस पर मेडिकल की पढ़ाई इतनी महंगी कर दी है कि जो भी बच्चा डाक्टर बनेगा, उसकी मजबूरी होगी कि वह दोनों हाथों से केवल नोट कमाए।

    पब्लिक हैल्थ फाउंडेशन आफ इंडिया(पीएचएफआई) की एक रिपोर्ट बताती है कि सन 2017 में देष के साढ़े पांच करोड़ लोग के लिए स्वास्थ्य पर किया गया व्यय ओओपी यानी आउट आफ पाकेट या औकात से अधिक व्यय की सीमा से पार रहा। यह संख्या दक्षिण कोरिया या स्पेन या कैन्य की आबादी से अधिक है। इनमें से 60 फीसदी यानि तीन करोड़ अस्सी लाख लोग अस्पताल के खर्चों के चलते बीपीएल यानी गरीबी रेखा से नीचे आ गए। बानगी के तौर पर ‘इंडिया स्पेंड’ संस्था द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य के 15 जिलों के 100 सरकारी अस्पतालों से केवल एक दिन में लिए गए 1290 पर्चों को लें तो उनमें से 58 प्रतिषत दवांए सरकारी अस्पताल में उपलब्ध नहीं थी। जाहिर है कि ये मरीजों को बाजार से अपनी जेब से खरीदनी पड़ी।

    भारत में लेागों की जान और जेब पर सबसे भारी पड़ने वाली बीमारियों में ‘दिल और दिमागी दौरे’ सबसे आगे हैं। भारत के पंजीयक और जनगणना के आंकड़े बताते हैं कि सन 2015 में दर्ज 53 लाख 74 हजार आठ सौ चैबीस मौतों में से 32.8 प्रतिषत इस तरह के दौरों के कारण हुई।। एक अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन का अनुमान है कि भारत में उच्च रक्तचाप से ग्रस्त लोगों की संख्या सन 2025 तक 21.3 करोड़ हो जाएगी, जो कि सन 2002 में 11.82 करोड़ थी। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद् (भा आ अ प) के सर्वेक्षण के अनुसार पूरी संभावना है कि यह वृद्धि असल में ग्रामीण इलाकों में होगी। भारत में हर साल करीब 17,000 लोग उच्च रक्तचाप की वजह से मर रहे हैं। यह बीमारी मुख्यतया बिगड़ती जीवन शैली, शारीरिक गतिविधियों का कम होते जाना और खानपान में नमक की मात्रा की वजह से होती है। इसका असर अधेड़़ अवस्था में जाकर दिखता रहा है, पर हाल के कुछ सर्वेक्षण बता रहें है कि 19-20 साल के युवा भी इसका शिकार हो रहे हैं।

    इलाज में सबसे अधिक खर्चा दवा पर होता है। भारत में इस बीमारी के इलाज में एक व्यक्ति को दवा पर अच्छा खासा खर्च करना पड़ता है और यह एक आम आदमी के लिए तनाव का विषय है। इस तरह के रोग पर करीब डेढ हजार रुपये हर महीना दवा पर खर्च होता ही हैं। उच्च रक्तचाप और उससे व्यव की चिंता इसांन को मधुमेह यानि डायबीटिज और हाइपर थायरायड का भी शिकार बना देती है। पहले ही गरीबी,विषमता और आर्थिक बोझ से दबा हुआ ग्रामीण समाज, उच्च रक्तचाप जैसी नई बीमारी की चपेट में और लुट-पिट रहा है। पैसा तो ठीक इससे उनका शारीरिक श्रम भी प्रभावित हो रहा है।

    डायबीटिज देश में महामारी की तरह फैल रही है। इस समय कोई 7.4 करोड़ लेाग मधुमेह के विभिन्न स्तर पर षिकार हैं और इनमें बड़ी संख्या में सरकारी कर्मचारी हैं। सरकार का अनुमान है कि इस पर हर साल मरीज सवा दो लाख करोड़ की दवाएं खा रहे हैं जो देश के कुल स्वास्थ्य बजट का दस फीसदी से ज्यादा है। बीते 25 सालों में भारत में डायबीटिज के मरीजों की संख्या में 65 प्रतिषत की वृद्धि हुई। एक तो अमेरिकी मानक संस्थाओं ने भारत में रक्त में चीनी की मात्रा को कुछ अधिक दर्ज करवाया है जिससे प्री-डायबीटिज वाले भी इसकी दवाओं के फेर में आ जाते हैं और औसतन प्रति व्यक्ति साढ़े सात हजार रूपए साल इसकी दवा पर व्यय होता हे। अब डायबीटिज खुद में तो कोई रोग है नहीं, यह अपने साथ किडनी, त्वचा, उच्च रक्तचाप और दिल की बीमारियां साथ ले कर आता है। और फिर एक बार दवा शुरू कर दे ंतो इसकी मात्रा बढ़ती ही जाती है।

    स्वास्थ्य सेवाओं की जर्जरता की बानगी सरकार की सबसे प्रीमियम स्वास्थ्य योजना सीजीएचएस यानि केंद्रीय कर्मचारी स्वास्थ्य सेवा है जिसके तहत पत्रकार, पूर्व सांसद आदि आते हैं। इस योजना के तहत पंजीकृत लोगों में चालीस फीसदी डायबीटिज के मरीज हैं और वे हर महीने केवल नियमित दवा लेने जाते हैं। एक मरीज की औसतन हर दिन की पचास रूपए की दवा। वहीं स्टेम सेल से डायबीटिज के स्थाई इलाज का व्यय महज सवा से दो लाख है लेकिन सीजीएचएस में यह इलाज षामिल नहीं है। ऐसे ही कई अन्य रोग है जिनकी आधुनिक चिकित्सा उपलब्ध है लेकिन सीजीएचएस में उसे षामिल ही नहीं किया गया।

    ऐसे जर्जर स्वास्थ्य ढांचे के बीच कोरोना ने चैदह महीनेे से अधिक भारत के आंचलिक गावों तक अपना पाश कस लिया है। अज्ञानता है, जागरूकता की कमी है, दवा व मूलभूत सुविधाओं का अकाल है, ऐसे में मजबूरी में लोग आक्सीजन या वैंटिलेटर बेड के लिए निजी अस्पतालों पर निर्भर हैं जहां प्रति दिन चादर- तकीया कवर के पच्चीस सौ रूपए, खाने के देा हज़ार रूपए और दवओं के नाम पर मनमानी वसूली हो रही है। आम लोगों की प्राथमिकता उनके परिवारजन का निरेाग होना है और इसी लालसा में वे गरीबी के दलदल में धकेले जा रहे हैं।

    Shagun

    Keep Reading

    पाक सेना प्रवक्ता ने दी गीदड़ धमकी कहा : अगर आप हमारा पानी रोकेंगे, तो हम आपकी सांस रोक देंगे!

    बांग्लादेश में बढ़ा संकट: सेना और सरकार आमने -सामने, हो सकता है तख्तापलट!

    पाकिस्तान को हर आतंकी हमले की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी : नरेंद्र मोदी

    बसपा के बिना इस बार बिहार में नहीं बनेगी सरकार : सांसद रामजी गौतम

    नक्सली बसवा राजू के आतंक का अंत

    तो क्या गाजा के युद्धग्रस्त इलाकों में 14,000 बच्चे भूखे मर जाएंगे!

    Add A Comment
    Leave A Reply Cancel Reply

    EMAIL SUBSCRIPTIONS

    Please enable JavaScript in your browser to complete this form.
    Loading
    Advertisment
    NUMBER OF VISITOR
    71846
    Visit Today : 177
    Visit Yesterday : 615
    Hits Today : 5563
    Total Hits : 4200978
    About



    ShagunNewsIndia.com is your all in one News website offering the latest happenings in UP.

    Editors: Upendra Rai & Neetu Singh

    Contact us: editshagun@gmail.com

    Facebook X (Twitter) LinkedIn WhatsApp
    Popular Posts

    प्रो. नैय्यर मसूद के व्यक्तित्व-कृतित्व पर चर्चा, साहित्य अकादमी ने जारी किया मोनोग्राफ

    May 23, 2025

    एक्सिस बैंक ने वाराणसी में डिजिटल परिवर्तन को दिया बढ़ावा

    May 23, 2025

    पाक सेना प्रवक्ता ने दी गीदड़ धमकी कहा : अगर आप हमारा पानी रोकेंगे, तो हम आपकी सांस रोक देंगे!

    May 23, 2025

    बांग्लादेश में बढ़ा संकट: सेना और सरकार आमने -सामने, हो सकता है तख्तापलट!

    May 23, 2025

    पाकिस्तान को हर आतंकी हमले की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी : नरेंद्र मोदी

    May 23, 2025

    Subscribe Newsletter

    Please enable JavaScript in your browser to complete this form.
    Loading
    © 2025 © ShagunNewsIndia.com | Designed & Developed by Krishna Maurya

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

    Newsletter
    Please enable JavaScript in your browser to complete this form.
    Loading