फेसबुक पेज पर भी कार्यक्रम का आनन्द लिया नृत्य प्रेमियों ने
लखनऊ, 2 अक्टूबर 2020: सत्य अहिंसा और प्रेम का मार्ग बताने वाले महात्मा गांधी ने संगीत और भजनों के माध्यम से भी एकता का अहम संदेश दिया है। उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के कथक केन्द्र की ओर से जयंती पर बापू के प्रिय भजनों को कथक संरचनाओं को कार्यक्रम ‘वैष्णव जन तो तैने कहिए….’ में ढालकर अकादमी भवन परिसर गोमतीनगर के मुक्ताकाश मंच पर नृत्य कलाकारों ने यहां कोविड-19 के नियमों के तहत ई-पास से पहुंचे सीमित दर्षकों के बीच प्रस्तुत किया। प्रस्तुति अकादमी फेसबुक पेज पर भी लाइव थी।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में अकादमी के सचिव तरुण राज ने दीप प्रज्ज्वलित कर राश्ट्रपिता के चित्र पर माल्यार्पण कर नमन किया। गणमान्य अतिथियों और दर्शकों का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि डेढ़ सौ वर्ष पहले 1989 में जब महात्मा गांधी का जन्म हुआ तो तबसे आज की स्थितियां बहुत फर्क हैं, परंतु उनके परिस्थितियों से संघर्ष से और उनकी सत्य पर अडिग रहने वाली अहिंसावादी प्रेमपरक बातों से बहुत कुछ ग्रहण करने में सक्षम हैं।
कथक केन्द्र की प्रशिक्षिकाओं श्रीमती श्रुति शर्मा व सुश्री नीता जोशी के नृत्य निर्देशन में कथक केन्द्र की वरिष्ठ छात्राओं ने भजनों पर कथक संरचनाओं की भावप्रवण प्रस्तुतियां दीं। राष्ट्रवंदन स्तुति वन्दे मातरम…. पर समवेत नृत्य से प्रदर्शन का आरम्भ हुआ। दूसरी प्रस्तुति बापू के प्रिय भजन- ‘वैष्णव जन तो…..’ की भक्ति और करुणा के भाव से ओतप्रोत रही।
इसी क्रम में प्रस्तुत युगलबंदी की प्रस्तुति कथक के शुद्ध पक्ष को तत्कार आदि के साथ दर्षनीय रूप में सामने रखा। भजनों पर कथक की इन प्रस्तुतियों में- रघुपति राघव राजाराम…… भी हारमोनियम पर बैठे प्रस्तुति के संगीतकार गायक कमलाकांत के स्वरों में और निखरकर सामने आई। अवसर मिलने पर तबले पर संगत कर रहे विकास मिश्र, सितार पर डा.नवीन मिश्र और बांसुरी पर दीपेन्द्र ने भी अपना कौशल दिखाया। प्रस्तुति में नृत्यांगनाओं के तौर पर दोनों प्रषिक्षिकाओं के साथ छात्रा प्रियम यादव, शरण्या शुक्ला, अनन्त शक्तिका, सृष्टि प्रताप व विधि जोशी मंच पर उतरीं। अकादमी प्रवेश द्वार पर दर्षकों की थर्मल स्क्रीनिंग, और हाथों के ‘सैनेटाईजेशन’ इत्यादि की व्यवस्था की गयी थी।