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    Home»अध्यात्मिक

    जीवन में बदलाव चाहते हैं तो सीखे बजरंगबली से ये ख़ास बातें

    ShagunBy ShagunMay 27, 2023Updated:May 27, 2023 अध्यात्मिक No Comments2 Mins Read
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    Post Views: 63

    हिंदू पौराणिक कथाओं के इतिहास में, पवनपुत्र हनुमान सबसे लोकप्रिय और व्यापक रूप से पूजे जाने वाले देवताओं में से एक हैं। अंजनीपुत्र हनुमानजी के भक्त चाहे वो युवा हों या वृद्ध पुरुष हों या महिलाएं सभी उनकी श्रद्धापूर्वक पूजा करते हैं। भगवान हनुमान साहस, चरित्र, भक्ति और सदाचार के आदर्श प्रतीक हैं। उनका जीवन, कर्म और चरित्र हमारे लिए अनुकरणीय हैं। हनुमानजी एक कुशल प्रबंधक थे। मन, कर्म और वाणी पर संतुलन यह हनुमान जी से सीखा जा सकता है।

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    सही समय पर सही कार्य करना उनका चमत्कारिक गुण था। आइए जानते हैं आज के समय में हनुमान जी से प्रबन्धन की कौन सी कला सीखी जाने की आवश्यकता है। पूर्ण और निस्वार्थ समर्पण : यह सर्वविदित है कि भगवान हनुमान भगवान राम के पूर्ण निःस्वार्थ भक्त थे। यह भक्ति और अमर प्रेम ही था जिसने उन्हें राम और अन्य देवताओं का सम्मान अर्जित किया। उसी तरह आपको भी अपने उद्देश्य, अपने करियर और अपने अंतिम लक्ष्य के प्रति पूरी तरह और निःस्वार्थ रूप से समर्पित रहना चाहिए। अपने पेशे के प्रति निरंतर समर्पित और निस्वार्थ प्रतिबद्धता लंबे समय में समृद्ध लाभ दिलाएगी।

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    कार्य कुशलता और निपुणता : हनुमानजी किसी भी कुशल और निपुण थे। उन्होंने सुग्रीव की सहायता हेतु उन्हें श्रीराम से मिलाया और श्रीराम की सहायता के लिए सब कुछ अपनी बुद्धि कौशल से किया। ये उनका विशिष्ट प्रबन्धन ही था जब हनुमानजी ने सेना से लेकर समुद्र को पार करने तक का कार्यभार संभाला और बुद्धि कौशल के जरिये उसे पूर्ण किया। दूरदर्शिता : हनुमानजी दूरदर्शी ही थी तभी उन्होंने सुग्रीव से श्रीराम की मैत्री कराई और बाद में उन्होंने विभीषण की श्रीराम से मैत्री कराई। जहाँ सुग्रीव ने श्रीराम की मदद से बालि को मारा तो श्रीराम ने विभीषण की मदद से रावण को मारा।

    हनुमानजी की दूरदर्शिता के कारण ही यह सम्भव हुआ । नेतृत्वगुण : हनुमानजी संपूर्ण वानर सेना के सेनापति थे। उनके अंदर नेतृत्वगुण था, वह सभी को साथ लेकर चलने विश्वास रखते थे। कठिनाइयों में भी निर्भयता और साहसपूर्वक साथियों का सहायक और मार्गदर्शक बनकर लक्ष्य प्राप्ति के लिए सबकी सलाह सुनकर आगे बढ़ने के कारण ही वह सफल हो पाए और ये सब उनके नेतृत्व गुण के कारण ही हो गुण ही तो लीडर बन
    सकता है।

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