देव उठानी एकादशी पर अपने आराध्य को नमन कर, श्रद्धालुओं ने उठाई पंचकोसी परिक्रमा
लखनऊ, 19 नवंबर 2018: देव उठनी या देव प्रबोधनी एकादशी आज सोमवार 19 नवंबर को है, लेकिन इस बार भी देवउठनी एकादशी पर विवाह का मुहूर्त नहीं है। ज्योतिषियों के अनुसार 13 नवंबर को गुरु अस्त हो गया है और 8 दिसंबर को गुरु का तारा उदय होगा, इसके बाद शुभ कार्यों और शादी का मुहूर्त शुरू होगा।
चार माह पूर्व 23 जुलाई को आषाढ़ शुक्ल देवशयनी एकादशी के दिन सैन्यस्य भगवान श्री विष्णु का इस एकादशी को जागृत होना माना जाता है। विष्णु के शयनकाल के इन 4 माह में विवाह आदि मांगलिक कार्यों का आयोजन निषेध माना जाता है। इस बार भी इस दिन विवाह और शुभ कार्यों का योग नहीं बन रहा है लेकिन स्वयं सिद्ध अबूझ मुहूर्त है।
देवोत्थान एकादशी के दिन मनाया जाने वाला तुलसी विवाह विशुद्ध मांगलिक और अध्यात्मिक प्रसंग है। देवता जब जागते हैं तो सबसे पहली प्रार्थना हरीवल्लभ तुलसी की ही सुनते हैं इसलिए तुलसी विवाह को देव जागरण के पवित्र मुहूर्त के स्वागत का आयोजन भी माना जाता है।
तुलसी विवाह के लिए कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि ठीक है। देवउठनी एकादशी से सभी शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है। भारतीय संस्कृति में अनेक वृतोस्त्सव मनाए जाते हैं। इनमें तुलसी शालिग्राम का विवाह एक महत्वपूर्ण आयोजन है। आज 19 नवंबर को सिद्ध योग प्राप्त 6:45 बजके 30 मिनट तक रहेगा। ऐसा माना जाता है कि इस दिन शादी विवाह के लिए किसी मुहूर्त की जरूरत नहीं होती है, लेकिन इस बार गुरु अस्त होने की वजह से शादी विवाह का मुहूर्त नहीं है। 8 दिसंबर को पति का तारा उदय होगा जिसके बाद ही शादी के शुभ मुहूर्त वाले दिन पड़ेंगे।