नवेद शिकोह
दुनिया बदल रही है अब मुसलमानों को भी अपने को बदलना चाहिए है।
आलम-ए-इसानियत के पैगम्बर.. शांति और सद्भावना के पैरोकार profit Mohammed की यौम-ए-पैदाइश मुसलमानों का सबसे बड़ा त्योहार है।
इस त्योहार के पारंपरिक रंगों में बड़े-बड़े पराठे.. रंगीन हलवा.. झंडे और जुलूस…. ये क्या??? ये ही काफी नहीं है।
जदीद दौर के कुछ तकाज़े होते है। डिबेट होती। डोनेशन के कार्यक्रम होते। मुसलमान अपने गैर मुस्लिम भाइयों के साथ अपने रसूल के अस्ल पैगाम को साझा करते। विज्ञान, शिक्षा, त्याग, शांति, सद्भावना, महिलाओं के सम्मान, मुल्कपरस्ती पर रसूल की हदीसों से दुनिया को वाकिफ किया जाता। इस्लाम शांति के लिए है विध्वंस के लिए नहीं। जेहाद और पर्दा जनकल्याणकारी और डिफेंसिव है। इन बातों की व्याख्या होती तो लगता कि मुसलमान भी वक्त और जरूरत के हिसाब से बदल रहा है।
ईद मीलाद उन नबी की मुबारकबाद