
नई दिल्ली, 06 सितम्बर 2018: आज सुप्रीम कोर्ट का एक ऐतिहासिक फैसला आया, कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि आपसी सहमति से दो वयस्कों के बीच समलैंगिक संबंध अपराध नहीं है।
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने दो व्यस्कों के बीच सहमति से बनाए गए समलैंगिक संबंधों को अपराध मानने वाली धारा 377 को निरस्त कर दिया है। कोर्ट ने व्यक्तिगत चुनाव को सम्मान देने की बात करते हुए कहा कि नैतिकता की आड़ में किसी का अधिकार नहीं छीन सकते।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एल जी बी टी को भी बाकी लोगों की तरह अधिकार है। पुरुषों का पुरूषों के साथ शारीरिक सम्बन्ध गैरकानूनी नहीं है। कोर्ट ने धारा 377 को मनमाना करार देते हुए ये बात कही है।
बता दें कि 17 जुलाई को शीर्ष कोर्ट ने 4 दिन की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
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