अंशुमान खरे
पाकिस्तान में इस समय जनता रोटी के लिए तरस रही है, मंहगाई ने पाकिस्तान में त्राहि त्राहि मचा रखी है। सरकार ने हाथ खड़े कर दिए हैं। पाकिस्तान की राजनीतिक पार्टियां जिस तरह हर दिन आन्दोलन कर रही है उससे लगता है बहुत जल्द पाकिस्तान दीवालिया हो जाएगा। जरूरत के सामानों की किल्लत ने लोगों का जीना दूभर कर दिया है। सरकार अपनी कुर्सी बचाने में लगी है। पाकिस्तान के लिए दिक्कत यह है कि पाकिस्तान में इस समय कोई ऐसा नेता नहीं है जिस पर जनता विश्वास कर सके। सभी दल कुर्सी के लिए एक दूसरे की जान लेने में लगे हैं।
स्वतंत्रता के बाद हिन्दुस्तान ने तरक्की की है इसमें दोराय नहीं है, वहीं पाकिस्तान के राजनीतिक दल देश को तरक्की के रास्ते पर न ले जाके आतंकवादी गतिविधियों में लग गए। जहां हिन्दुस्तान में बड़े बड़े उद्योग लगे, तमाम चिकित्सा विद्यालय खुले, एम्स खुले, तकनीकी शिक्षा के लिए इंजीनियरिंग कालेज खुले, विश्व स्तरीय विश्वविद्यालय खुले, शोध के लिए तमाम संस्थान खुले, रेलवे में रेल लाइन के साथ साथ शोध के कार्य के लिए संस्थान खुले, एयर पोर्ट बने, कृषि कार्य के लिए तकनीकी संस्थान खुले, वहीं पाकिस्तान आतंकवादियों का जनक बन गया। आज पाकिस्तान अच्छे शिक्षण संस्थानों की कमी, मेडिकल कालेजों की कमी, उद्योग धंधों की कमी से परेशान है।
खेती किसानी में जबरदस्त दिक्कतों से दो चार हो रहा है। पाकिस्तान की अस्थिरता इस सब के लिए जिम्मेदार है। पाकिस्तान के तमाम राज्य आज भी पीने के पानी की कमी से जूझ रहे हैं। पाकिस्तान की सरकारों ने कभी भी जनता की परेशानियों पर गौर नहीं किया।
हमेशा आतंकवादियों को बढ़ावा देता रहा। पाकिस्तान में हमेशा गृहयुद्ध का माहौल बना रहा। लोकतंत्र पाकिस्तान में बस नाम का रहा है। पाकिस्तानी सेना हमेशा सरकार पर हावी रही है। गाहे बगाहे पाकिस्तान की सेना ने सरकार को दर किनार कर कब्जा कर लिया है। यही नहीं जनता को सेना ने बन्दूक की नोक पर रखा है।
पीओके जो कि हिन्दुस्तान का है उस पर जबरन कब्जा कर रखा है। अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर जब तब कश्मीर के मुद्दे को उठाता रहता है। मोदी सरकार के गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में स्पष्ट रूप से कह दिया है कि हमारे कश्मीर को जो कि पाकिस्तान ने जबरन कब्जा कर रखा है उसे हिन्दुस्तान वापस लेकर रहेगा। पाकिस्तान में जो भी सरकार आती है कश्मीर का रोना रोती है। बार बार हिन्दुस्तान से लड़ने का हौसला लिए पाकिस्तान को हिन्दुस्तान की सेना ने कई बार धूल चटाई है। 1971में तो पाकिस्तान का विभाजन हो गया , नया देश बांगलादेश बन गया। बांगलादेश देश बनाने में हिन्दुस्तान की सेना ने पूर्वी पाकिस्तान की जनता की मदद की।
डींगें हांकने वाले पाकिस्तान के लगभग एक लाख अधिकारियों और सिपाहियों ने हिन्दुस्तान की सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। इतना होने के बाद भी पाकिस्तान हिन्दुस्तान के खिलाफ हमेशा खड़ा रहता है, गीदड़ भभकी देता रहता है। सामने से युद्घ जीतने की औकात नहीं है, इसलिए चोरी छुपे आतंकवादियों को भेजने की कोशिश करता रहता है। कश्मीर में घुसपैठिए हिन्दुस्तान की सेना और बीएसएफ द्वारा मौत के घाट उतार दिए जाते हैं। सरकार भुखमरी से मर रहे लोगों की परवाह न करके अपनी सारी ताकत आतंकवादियों को बढ़ावा देने में लगा रही है। पाकिस्तान में खाने पीने के सामानों की किल्लत से वहां की जनता परेशान है।
पीओके में आए दिन सरकार और सेना के खिलाफ प्रदर्शन होते रहते हैं। पीओके की जनता पाकिस्तान से पिण्ड छुड़ाना चाहती है। पाकिस्तान की सरकार पीओके में विकास के नाम पर कुछ नहीं कर रही है। पीओके में पीने के पानी की समस्या है, सड़कों की समस्या है, शिक्षण संस्थाओं की समस्या है, खाने के सामान की समस्या है, कानून व्यवस्था की समस्या है, सेना और पुलिस की गुण्डागर्दी की समस्या है। अपनी समस्याओं को उठाने पर जनता को पुलिस और सेना द्वारा गोलियों से भून दिया जाता है। तभी तो वहां की जनता हिन्दुस्तान के साथ आना चाहती है। अब पीओके की जनता पाकिस्तान सरकार के खिलाफ खड़ी हो गई है। उनको भी हिन्दुस्तान के कश्मीर की तरह तरक्की चाहिए। गाहे बगाहे वहां की जनता हिन्दुस्तान की जय के नारे लगाती है। उन्हें हिन्दुस्तान की सरकार की तरह विकास चाहिए।
हिन्दुस्तान की सरकार भी पीओके पर गंभीर है। पाकिस्तान की दुर्दशा किसी से छुपी नहीं है। पाकिस्तान चीन को अपना दोस्त मानने की गल्ती कर रहा है। जो कि पाकिस्तान की जमीन हथियाने के चक्कर में दोस्त होने का नाटक कर रहा है। चीन में मुसलमानों के साथ हो रहे अत्याचारों से सभी वाकिफ हैं। पाकिस्तान मुसलमानों पर हो रहे अत्याचारों पर आंखमूंदकर बैठा है। पाकिस्तान की सरकार चीन का गुलाम बन कर बैठी है।
नवाज शरीफ के बाद, इमरान खान ने अपना सिक्का चलाने की कोशिश की पर वह भी असफल रहे, देश में राजनीतिक अस्थिरता, अनिश्चितता, उथल पुथल का वातावरण रहा, देश में स्वतंत्र और निश्पक्ष चुनाव सँभव नहीं दिख रहे थे। पूरे देश में रोजमर्रा की जरूरतों के सामान की किल्लत ने अफरा तफरी का माहौल बना दिया। गृहयुद्ध की सी स्थिति से सब परेशान हो गए।आए दिन सरकार के खिलाफ मोर्चों से अराजकता का माहौल हो गया। देश में आपाधापी के बीच चुनाव हुए जिसमें इमरान की सरकार को हार का मुंह देखना पड़ा।
अप्रैल में इमरान सरकार अपदस्थ किए जाने के बाद सभी विपक्षी दलों ने मिलकर शहबाज शरीफ को देश का प्रधानमंत्री मंत्री बनाया। वह भी आए दिन विवादों में घिरे रहे। पाकिस्तान की सेना सरकार पर हर समय नज़र रखती रही। वाजवा मौके की तलाश में था वह विद्रोह कर सरकार पर सेना का कब्जा चाहता था। वाजवा का मिलेट्री शासन का ख्वाब ख्वाब ही रह गया। अब भी वाजवा बाज की तरह सरकार पर आंख गड़ाये बैठा है। परिस्थितियां पाकिस्तान की अब भी सरकार के कंट्रोल में नहीं हैं। देशभर में अफरातफरी का माहौल है। चारों ओर आन्दोलनों ,प्रदर्शनों का माहौल है। सही बात यह है कि सब कुछ अस्त व्यस्त है।देश में सरकार नाम की चीज नहीं है।
पाक के पंजाब में इमरान को बड़ी जीत मिली। इससे प्रभावित होकर अब इमरान आम चुनाव चाहते हैं। देश में हर प्रांत में विरोध के स्वर उठ रहे हैं । सेना कब तक लोगों को बन्दूक का डर दिखा कर दबाती रहेगी। बल प्रयोग समस्या का हल नहीं है। पाकिस्तान की बुनियाद को राजनेताओं ने हिलाकर रख दिया है। आतंकवादियों को बढ़ावा देने के कारण देश में समस्याएं बढ़ती जा रही हैं।अब सत्ता की लड़ाई और तेज हो जाएगी। जनता की समस्याओं को सुनने वाला कोई नहीं है। वाजवा की गिद्ध दृष्टि से पाकिस्तान को भगवान बचाए। लगता है पाकिस्तान में कुछ भी ठीक नहीं है।