हेराल्ड ग्रुप के कर्मचारियों के हक़ की लड़ाई लड़ने वाले लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार जोखू तिवारी मौत से लम्बी लड़ाई लड़ने के बाद मौत के शास्वत सत्य को स्वीकार कर गये। लम्बी बीमारी और उम्र से लड़ते-संभलते शुक्रवार को लखनऊ के मेडिकल कॉलेज के शताब्दी हॉस्पिटल में वो उपचार के दौरान चल बसे। यहां इन्हें क्रिटिकल पोजीशन में पीजीआई से लाया गया था। शनिवार दोपहर बारह बजे के बाद लखनऊ के बैकुण्ठ धाम में उनका अंतिम सस्कार किया जायेगा।
लखनऊ प्रेस क्लब का पर्याय समझे जाने वाले इस हिम्मती कलम के सिपाही ने बहुत जंगे लड़ीं और कामयाब भी खूब हुए। करीब दो वर्ष पहले उम्र के तक़ाजे और भीषण बीमारियों ने इन्हें मृत्यु शैय्या पर ला दिया था। डाक्टरों ने संकेत दिए थे कि जीवन रक्षक यंत्रों पर दो दिन से ज्यादा नहीं संभाला जा सकता है। इन खतरों को धता बता कर जोखू तिवारी मौत से लड़ते रहे, और दो दिन के बजाय दो साल जिये।
दिल्ली, लखनऊ ट्रामा सेंटर और फिर लम्बे समय तक पीजीआई में जिदगी और मौत की जंग जीत कर वो फिट हो गये थे। इतने सेहतयाब हुए की यूपी प्रेस क्लब अपने कमरें में आकर बैठने भी लगे। बेटी को कमज़ोर समझने वाले ज़माने की उस सोच को भी इस पत्रकार ने शिकस्त दे दी। पिता के सुसंस्कारों से लैस सौ बेटों पर भारी जोखू तिवारी की शेर सी बेटियों की खिदमत और हिम्मत का जज्बा ही पिता को बार-बार मौत के मुंह से निकालता रहा।
लम्बे अर्से से यूपी प्रेस क्लब के सचिव रहने वाले जोखू हेराल्ड एम्प्लाइज यूनियन में महासचिव रहकर अखबार कर्मियों के हक़ की आवाज बुलंद करते रहे।
जोखू तिवारी जी की मौत ने हमारे सरपरस्त को भी मार दिया। यूपी प्रेस क्लब के रुतबे को मार दिया। एक धाकड़ और संजीदा हरफनमौला पत्रकार के साथ प्रभावशाली व्यंग्यकार को मार दिया। इनकी मौत अखबार कर्मियों/वर्किंग जर्नलिस्ट की ट्रेड यूनियन के जमाने की आखिरी कील सी महसूस हो रही है।
कई साल से जो आहट डराती थी वो हकीकत बनके आज जब जोखू सर की मौत की ख़बर बनकर बन कर आई तो नजरों के सामने तिलक से सुशोभित एक तेजस्वी चेहरा सामने आया। आद आया पांच साल पहले का वो मंजर। एनेक्सी मीडिया सेंटर में उ.प्र.मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के चुनाव का दिन है। वोट पड़ रहे हैं। युवा से जोश सा ये बुजुर्ग घूमघूम कर आने वालों से दो उम्मीदवारों को वोट देने की इल्तिजा कर रहा है। टीबी सिंह और पंडित नवेद शिकोह का ध्यान रखना।
अलविदा सर
हम आपके बाद आपके संस्कारों की विरासत का ध्यान रखेंगे।।
- नवेद शिकोह