उपभोक्ता परिषद ने कहा नियामक आयोग चुपचाप देख रहा है तमाशा जो रेगुलेटरी फ्रेमवर्क का बड़ा उल्लंघन है
लखनऊ, 23 मार्च : उपभोक्ता परिषद के साप्ताहिक वेबीनार में विद्युत उपभोक्ताओं ने गलत तरीके से किया जा रहे निजीकरण प्रक्रिया पर अपना गुस्सा जाहिर करते हुए कहा कि प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली दरों को बढ़ाने के लिए यह सब षड्यंत्र किया जा रहा है निजी घराने केवल अपना लाभ देखते हैं और जैसे वह निजी क्षेत्र में आएंगे। उन्होंने कहा कि सबसे पहले प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली दरों में इजाफा करने का षड्यंत्र शुरू होगा और उत्तर प्रदेश सरकार उस समय पल्ला झाड़ लगी कि निजी घरानों द्वारा जो प्रस्ताव दिया गया है उस पर हम हस्तक्षेप नहीं कर सकते।
वेबीनार में सभी प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं ने नियामक आयोग की चुप्पी पर भी अपना गुस्सा जाहिर किया और कहा पावर कॉरपोरेशन नियमों का उल्लंघन कर रहा है और नियामक आयोग तमाशा देख रहा है जो बहुत गंभीर मामला है। उन्होंने आरोप लगाया कि नियामक आयोग में काम करने वाली कंसलटेंट कंपनी कैसे टेंडर भर सकती है उस पर अभी तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई।
उपभोक्ताओं ने कहा उत्तर प्रदेश सरकार को सबसे पहले यह खुलासा करना चाहिए कि 42 जनपदों वाले दोनों बिजली कंपनियों पर प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का कुल लगभग 16000 करोड़ सरप्लस निकल रहा है क्या दोनों बिजली कंपनियों में अगले 5 वर्षों तक जो भी निजी घराने आएंगे वह 8 प्रतिशत तक बिजली दरों में कमी करेंगे वैसे सभी बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं का कुल 33122 करोड़ सर प्लस निकल रहा है और यदि ऐसा है तो पावर कॉरपोरेशन यह बताएं की ट्रांजैक्शन एडवाइजर के मसौदे में 16000 करोड़ सर प्लस के मामले में चुप्पी क्यों साधी गई। ट्रांजैक्शन एडवाइजर द्वारा इस पर भी अपनी रिपोर्ट पेश करें क्यों नहीं इंगित किया गया।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा सभी मामलों की जानकारी विद्युत नियामक आयोग को लगातार दी जा रही है अनेकों आपत्तियां दाखिल की गई है लेकिन विद्युत नियामक आयोग चुपचाप तमाशा देख रहा है जो आने वाले समय में रेगुलेटरी फ्रेमवर्क का सबसे बड़ा मामला साबित होगा और इतिहास में लिखा जाएगा कि जब प्रदेश की बिजली कंपनियों और पावर कॉरपोरेशन नियम विरुद्ध तरीके से घोटाले को अंजाम दे रहा था उसे दौरान विद्युत नियामक आयोग पूरी तरह चुप था जो अपने आप में बहुत ही गंभीर मामला है।