- पावर कारपोरेशन का ई-रिक्शा चालकों के लिये प्रस्तावित नयी व्यवस्था पर मचा बवाल
- पावर कारपोरेशन का ई-रिक्शा चालकों के लिये प्रस्तावित नयी व्यवस्था पर मचा बवाल ग्रामीण किसानों की बिजली दरों में व्यापक वृद्धि प्रस्ताव के बाद पावर कारपोरेशन ने गरीब ई-रिक्शा चालकों पर भी जुल्म ढाने के लिये उनके बैटरी चार्ज के लिये प्रस्तावित की टैरिफ में नयी एलएमवी-2 कैटेगिरी
- उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने इसके विरोध में विद्युत नियामक आयोग के कार्यवाहक अध्यक्ष श्री एस के अग्रवाल से की मुलाकात और उनके सामने उठाये अनेकों तथ्य
- उपभोक्ता परिषद का सवाल क्या अब गरीब ई-रिक्शा चालक अपने बैटरी को चार्ज करने के लिये अपने घर में लेंगे दूसरा एलएमवी-2 कनेक्शन, यह उत्पीडन की इंतहा
- पावर कारपोरशन का प्रस्ताव हुआ लागू तो प्रदेश में ई-रिक्शा चालक क्या कमाएंगे और क्या खाएंगे?उपभोक्ता परिषद का एलान नहीं लागू होने देंगे यह व्यवस्थाा
लखनऊ 1 सितम्बर, प्रदेश के ग्रामीण व कृषि क्षेत्र के विद्युत उपभोक्ताओं की दरों में 260 से 350 प्रतिशत प्रस्तावित वृद्धि का मामला अभी शांत भी नही हुआ था इसी बीच उप्र पावर कारपोरेशन की तरफ से प्रदेश के गरीब ई-रिक्शा चालकों पर भी डण्डा चलाने व उनके उत्पीडन को बढावा देने हेतु एक नयी बिजली दर कैटेगरी प्रस्तावित कर दी गयी। जिसके विरोध में उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने आज नियामक आयेाग के कार्यवाहक अध्यक्ष श्री एस के अग्रवाल से नियामक आयोग में मुलाकात कर इस मुददे पर लम्बी चर्चा की और यह मुददा उठाया कि पावर कारपोरेशन की यह नीति पूरी तरह से गरीब जनता विरोधी है इसे अविलम्ब खारिज किया जाये।
पावर कारपोरेशन पिछले कुछ महिनों से केवल गरीब जनता को तबाह करने के पीछे पडा है। जो गलत है। उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि पावर कारपोरेशन द्वारा नियामक आयोग में दाखिल एआरआर की कमियों में अब प्रदेश में ई-रिक्शा जो आम आदमी के जीवन यापन का साधन है और कोई लाभकारी व्यापार नही है के बैटरी को चार्ज करने के लिये पावर कारपोरेशन ने एक नयी टैरिफ दर प्रस्तावित कर दी और उस पर वाणिज्यक दरें भी प्रस्तावित कर दी गयीं हैं। और आगे उसे एमएमवी-2 कैटेगिरी में प्रस्तावित किया गया है।
उपभोग सीमा विद्युत दर
0 से 300 यूनिट प्रति माह रू0 7 प्रति यूनिट
301 से 1000 यूनिट प्रति माह रू0 8 प्रति यूनिट
1000 यूनिट के ऊपर प्रति माह रू0 8.30 प्रति यूनिट
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा विगत दिनों उप्र सरकार द्वारा गरीब जनता को बडे पैमाने पर ई-रिक्शा फ्री में भी बाॅंटे गये और लाखों की सॅंख्या में पूरे प्रदेश में गरीब जनता ने स्वतः ई-रिक्शा खरीदा और अपने जीवन यापन के लिये दिन भर वह ई-रिक्शा चलाते हैं और रात में वह अपने घर पर ही उसे चार्ज कर लेते हैं। निश्चित ही जो भी वह चार्ज करते हैं उनकी घरेलू दर में शामिल होता है। लेकिन अब उन्हें पावर कारपोरेशन यदि एलएमवी-2 वाणिज्यक विधा में कराने की साजिश कर रहा है तो यह कितना बडा अन्याय है कि यदि कोई गरीब जनता ई-रिक्शा चला कर अपना परिवार पाल रहा है और घर में अपनी बैटरी चार्ज कर रहा है तो क्या वह इस व्यवस्था के लागू होने के बाद अपने घर मंे केवल बैटरी चार्ज करने के लिये एलएमवी-2 का एक नया कनेक्शन लेगा? यह पूरी तरह गरीब जनता के साथ बडा अन्याय व शोषण है।
जिसे उपभोक्ता परिषद किसी भी हालत में लागू नही होने देगा। नियामक आयोग के कार्यवाहक अध्यक्ष श्री एस के अग्रवाल ने उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष को आश्वासन दिया कि यह मामला बेहद संवेदनशील और गरीब जनता से जुडा है। टैरिफ तय करते वक्त आयोग गरीब जनता के हित में ही फैसला लेगा। उपभोक्ता परिषद के हर तथ्य पर आयेाग पूरी तरह गंभीर है। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा कि यह कितनी बडी विडम्बना है कि ई-रिक्शा चालक इनवर्टर की तरह अपनी बैटरी चार्ज करते हैं अब उस पर भी पावर कारपोरेशन की गिद्ध नजर लग गयी। कल को पावर कारपोरेशन मोबाईल चार्ज करने के लिये क्या अलग कैटेगिरी बनाएगा। यह कैसी विडम्बना है कि ई-रिक्शा आज भी गरीब जनता के जीवन यापन का एक छोटा सा साधन है ऐसे में इस प्रकार की कार्यवाही से उसका उत्पीडन ही होगा और कुछ नही। इस पर विराम न लगा तो विजिलेंस टीम के लोग भी उसे विधा चेंज मानकर बिजली चोरी में बुक करने से भी नही चूकेंगे। और सब मिलाकर ई-रिक्शा चालक का हर स्तर पर उत्पीडन होगा।