सपा-बसपा असमंजस में
नई दिल्ली, 24 जुलाई 2018: कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में राहुल गांधी को गठबंधन की ओर से प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी के रूप में घोषणा की गई है। इसके साथ ही समान विचारधारा वाली पार्टियों को एक साथ लाने पर भी सहमति बनी है। कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष बनने के बाद राहुल गांधी ने पहली बार कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में हिस्सा लिया। बैठक में अगले साल होने वाले चुनाव के लिए पार्टी की रणनीति पर विस्तार से चर्चा की गई।
कांग्रेस के इस फैसले से यूपी में गठबंधन को लेकर सियासत एक बार फिर गर्म हो सकती है। दरअसल, यूपी में बसपा सुप्रीमो मायावती की अगुवाई में समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के साथ गठबंधन की रूपरेखा तैयार हो रही है। हाल ही में बसपा नेताओं ने मायावती को ही गठबंधन का प्रधानमंत्री पद का चेहरा बनाने की बात कही थी। हालांकि, बसपा प्रवक्ता सुधींद्र भदौरिया ने कहा कि राहुल गांधी को गठबंधन का पीएम चेहरा बनाए जाने पर जो भी फैसला लेना होगा, वह बहन मायावती ही लेंगी।
उधर कांग्रेस ने राहुल गांधी को गठबंधन का पीएम चेहरा घोषित कर 2019 लोकसभा चुनाव का शंखनाद कर दिया है। इसके साथ ही सपा और बसपा को असमंजस में भी डाल दिया। सपा का कहना है कि गठबंधन को लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से बात नहीं हुई है। सपा प्रवक्ता सुनील सिंह साजन ने कहा कि अभी तक सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की तरफ से यह नहीं कहा गया है कि गठबंधन में कांग्रेस है या नहीं।
दरअसल, पिछले दिनों लखनऊ के इंदिरागांधी प्रतिष्ठान में हुए बसपा जोनल स्तरीय बैठक में राष्ट्रीय संयोजक समेत तमाम दिग्गज नेता मौजूद रहे। इस मौके पर मायावती को गठबंधन के प्रधानमंत्री चेहरे के तौर पर पेश किए जाने की हुंकार भी भरी गई थी। बसपा नेताओं का कहना था कि सभी क्षेत्रीय दलों ने मायावती को अपना नेता माना है। बसपा प्रदेश अध्यक्ष आरएस कुशवाहा ने कहा कि बहुजन समाज पार्टी सबको साथ लेकर चलने वाली पार्टी है। गरीब, पिछड़े और सर्व समाज को सिर्फ बसपा ने प्रतिनिधित्व दिया है। उन्होंने भाजपा और कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि बाकी सभी पार्टियों ने सिर्फ उनका इस्तेमाल किया है।